न्यूयॉर्क। वैज्ञानिकों ने महज तीस मिनट में इबोला संक्रमण की पहचान कर लेने वाली एक सस्ती तकनीक तैयार की है जो जल्द ही डॉक्टरों को उपलब्ध हो जाएगी। वैज्ञानिकों के अनुसार डीएनए प्रोग्रामिंग वाले ब्लाटिंग पेपर की मदद से इबोला की जांच की जा सकती है।
वैज्ञानिकों ने प्रमाणित किया है कि केवल बारह घंटों में प्रोटोटाइफ इबोला टेस्ट को विकसित किया जा सकता है जिसे बनाने में लगभग बीस डॉलर के सामान का उपयोग होता है।
इस परीक्षण में एक जैविक घोल का उपयोग किया जाता है जिसमें आरएनए राइबोन्यूक्लिक एसिड भी मिला होता है। आरएनए मनुष्य की आनुवंशिकी में प्रमुख भूमिका निभाता है।
बोस्टन और हावर्ड विश्वविद्यालय से जुडे वैज्ञानिक जिम कालिन ने इस शोध का नेतृत्व किया।
कालिन ने कहा कि यह जैविक चूर्ण साधारण पानी के उपयोग से भी सक्रिय हो सकता है। एक बार जब यह चूर्ण दोबारा गीला होता है तो छोटे कागज के टुकड़े पर ये ऐसे काम करता है जैसे वह किसी जीवित कोशिका के अंदर हो।
उन्होंने कहा कि केवल बारह घंटों में उनकी टीम के दो सदस्यों ने इबोला की परीक्षण करने वाले चौबीस सेंसर बनाए।
यह जांच किट इबोला संक्रमण होने पर पीले रंग को बैंगनी रंग में बदल देती है और यह परिवर्तन महज आधे घंटे में नजर आने लगता है।
कालिन ने स्पष्ट किया कि उनके द्वारा विकसित इबोला टेस्ट अभी उन जगहों पर उपयोग होने लायक नहीं है जहां यह बीमारी बड़े स्तर पर फैली हुई है लेकिन उम्मीद है कि ऐसी जगहों पर टेस्ट करने लायक तकनीक भी विकसित की जा सकती है। (वार्ता)