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एस्ट्रो, फ्रेंडशिप और प्लेनेट

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- भारती पंडित
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रेखा परेशान है कि उसकी किसी से फ्रेंडशिप नहीं होती, तो अंशु अपने आसपास फ्रेंड्स की भीड़ से परेशान है। जय को लगता है कि उसके फ्रेंड्स उसके लिए लकी है तो नीरव को लगता है कि फ्रेंड्स की वजह से उसके काम खराब होते है। आखिर एक शब्द है फ्रेंडशिप और इतने सारे कमेंट्स?

वास्तव में आपके कितने फ्रेंड्स होंगे और आपकी उनसे कितनी बनेगी यह आपके प्लेनेट्स पर डिपेंड करता है। उन्हीं के अनुसार आपके रिलेशन बनते और बिगड़ते हैं।

* यदि होरोस्कोप में ज्यूपिट, मरक्यूरी और मून सही पोजीशन में है तो आपके आसपास फ्रेंड्स का जमघट लगा रहेगा। ऐसे लोग बड़ी जल्दी दोस्ती करते हैं।

* यदि शुक्र या बुध का लग्न है तो भी दोस्त जल्दी बनाते है। मगर सोच-समझकर दोस्ती करते हैं।

* यदि गुरु, सूर्य का लग्न है तो ऐसे लोग दोस्त कम बनाते हैं।

* यदि मंगल, शनि का लग्न है तो हर किसी से दोस्ती हो जाती है जो नुकसान भी देती है।

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* यदि लग्न में गुरु या सूर्य हो तो ये व्यक्ति समाज में आदर तो पाते है मगर ग्रहों के विशेष स्वभाव के कारण रिलेशन मेंटेन नहीं कर पाते। स्वाभिमान की अधिकता इन्हें किसी के आगे झुकाने नहीं देती और गहरी मित्रता से दूर रहते हैं।

* कमजोर मून, ज्यूपिटर या मरक्यूरी के कारण दोस्त बनते ही नहीं है। लोग इन्हें पसंद ही नहीं करते।

* यदि सेकंड हाउस में मार्स या शनि हो तो व्यक्ति दोस्तों के कारण परिवार को भी दाँव पर लगा सकता है मगर उसे दोस्तों से नुकसान ही होता है।

* यदि सेकंड हाउस में शुभ ग्रह हो तो दोस्तों से लाभ होता है।

* यदि फिफ्थ और इलेवंथ हाउस आपस में रिलेशन रखे या इनके स्वामी अपने भाव या एक-दूसरों को देखें तो दोस्तों से बहुत लाभ होता है और प्रोफेशनल फील्ड में लाभ मिलता है।

* यदि शुक्र का लग्न हो और शुक्र शनि से प्रभावित हो तो दोस्तों के कारण नशे की, बुरी आदतों में पड़ने से नुकसान ही होता है। अतः अपने ग्रहों को देखें और सोच-समझकर दोस्ती करें।

विशेष : हाथ में पीला धागा बाँधने से, हल्के पीले वस्त्र पहनने से और केवडा या चन्दन का इत्र लगाने से दोस्त जल्दी बनते हैं।

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