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चंद्र-कुंडली के बारह भाव और सूर्य

चंद्र-कुंडली में सूर्य और भविष्यफल

हमें फॉलो करें चंद्र-कुंडली के बारह भाव और सूर्य
- सुरेंद्र बिल्लौरे

चंद्र-कुंडली में सूर्य की स्थिति से जानिए भविष्य
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सूर्य का चंद्र कुंडली में परिभ्रमण : - प्रत्येक ग्रह परिभ्रमण करते है एवं कुंडली में अलग-अलग भाव में विराजमान रहते हैं। चंद्र-कुंडली में सूर्य परिभ्रमण करते समय अलग-अलग भाव में जातक को क्या फल देता है, जानिए :-

प्रथम भाव- सूर्य जातक की चंद्र-कुंडली में प्रथम भाव में परिभ्रमण के समय मान-सम्मान में कमी, धन हानि, भय एवं स्वभाव में उग्रता को बढ़ाता है। परिवार से दूरी भी बना सकता है, इसी के साथ जातक को बीमारी का भय बना रहता है।

द्वितीय भाव- सूर्य जब चंद्र-कुंडली में द्वितीय भाव में भ्रमण करता है, तो जातक को धन-हानि, आर्थिक कष्ट, परिवार के साथ मतभेद तथा भय देता है।

तृतीय भाव- सूर्य जब चंद्र-कुंडली में तृतीय भाव में भ्रमण करता है, तो जातक को पद की प्राप्ति, स्वभाव में सुधार, शत्रु पर विजय एवं परिवार में सुख-सम्मान दिलाता है।

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चतुर्थ भाव- सूर्य जब चंद्र-कुंडली में चतुर्थ भाव में भ्रमण करता है, तो जातक को अशांति, क्लेश, बीमारी, आर्थिक कष्ट देता है। इसी के साथ पत्नी-पति के संबंध में दूरी बनाता है।

पंचम भाव- सूर्य जब चंद्र-कुंडली में पंचम भाव में भ्रमण करता है, तो मानसिक बीमारी, अधिकारी से परेशानी, दुर्घटना का भय तथा परिवार से दूरी बनता है।

षष्टम भाव- सूर्य जब चंद्र-कुंडली में षष्टम भाव में भ्रमण करता है, तो खुशियां तथा मानसिक शांति देता है। शत्रुओं का नाश करता है।

सप्तम भाव- सूर्य जब चंद्र-कुंडली में सप्तम भाव में भ्रमण करता है, तो उदर एवं मूत्राशय की बीमारी तथा परिवार में आपसी समझ की कमी करता है।

अष्टम भाव- सूर्य जब चंद्र-कुंडली में अष्टम भाव भ्रमण करता है, तो आकस्मिक घटनाएं घटित होने की संभावना बनी रहती है। आर्थिक तंगी, धन हानि, रोग एवं लड़ाई-झगड़े करता है।

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नवम भाव- सूर्य जब चंद्र-कुंडली में नवम भाव में भ्रमण करता है, तो मानसिक परेशानी, धन हानि, शत्रुओं का बढ़ना तथा अनायास खर्च, मान-सम्मान में कमी लता है।

दशम भाव- सूर्य जब चंद्र-कुंडली में दशम भाव में भ्रमण करता है, तो इच्छाओं की पूर्ति, उपहार, सम्मान तथा सुख शांति देता है एवं प्रमोशन दिलाता है।

एकादश भाव- सूर्य जब चंद्र-कुंडली में एकादश भाव में भ्रमण करता है, तो मांगलिक कार्य, नए मित्र एवं सुख की प्राप्ति करता है।

द्वादश भाव- सूर्य जब चंद्र-कुंडली में इस भाव में भ्रमण करता है, तो मानसिक हानि, सोच में कमी, आर्थिक हानि, खर्च का बढ़ना तथा दुर्घटना का भय रहता है।

विशेष : सूर्य जब कष्ट दें, तो आदित्यह्रदय स्त्रोत का पाठ करें, सूर्य को अर्घ्य दें।

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