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ताड़पत्र पर लिखा है भविष्य

जानिए नंदी नाड़ी ज्योतिष विज्ञान

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अनिरुद्ध जोशी

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भारत में ज्योतिष की 150 से ज्यादा विद्याएँ हैं। सामुद्रिक विज्ञान, पंच पक्षी विज्ञान, लाल किताब, कुंडली आधारित ज्योतिष शास्त्र, हस्तरेखा, अँगूठा विज्ञान, प्रश्न कुंडली विज्ञान, नंदी नड़ी ज्योतिष विज्ञान आदि सभी पर लोग विश्वास करते हैं। यहाँ हम जानते हैं कि ताड़ पत्र द्वारा भविष्य बताए जाने वाली विद्या नंदी नाड़ी ज्योतिष विज्ञान के बारे में।

दक्षिण भारत में लोकप्रिय और प्रचलित है नंदी नाड़ी ज्योतिष विज्ञान। माना जाता है कि इस विद्या के जन्मदाता भगवान शंकर के गण नंदी थे। नंदी ने ही कामशास्त्र की भी रचना की थी। उक्त ज्योतिष विद्या अनुसार ताड़पत्र पर लिखे भविष्य के द्वारा इस विद्या के जानकार लोग भविष्य बताते हैं।

इस ज्योतिष विद्या द्वारा पुरुष से उसके दाएँ और महिला से उसके बाएँ अँगूठे का निशान लेते हैं। फिर कुछ ताड़पत्र आपके समक्ष रखकर आपसे आपके नाम का पहला और अंतिम शब्द पूछा जाता है। आपके नाम से जिस भी ताड़पत्र का मिलाप हो जाता है तब फिर उसके माध्यम से आपके कुछ प्रश्न और माता-पिता अथवा पत्नी के नाम का मिलाप किया जाता है। जिस भी ताड़पत्र से मिलाप होता है उसे पढ़कर आपका भविष्य बताया जाता है।

इस ज्योतिष विद्या के अनुसार कुंडली भी बनाई जाती है यदि आपको अपने जन्मतिथि, नक्षत्र, वार, लग्न आदि का पता है तो जानकार ताड़पत्री तलाश कर आपकी कुंडली बना सकता है। आम तौर पर अन्य ज्योतिष में बारह भाव होते हैं लेकिन इस विद्या अनुसार सोलह भाव माने जाते हैं। ये सोलह भाव निम्न है :-

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1. प्रथम भाव अर्थात लग्न से शरीर, स्वास्थ्य और बारह भावों पता चलता है।
2. द्वितीय भाव से धन की स्थिति, पारिवारिक स्थिति, शिक्षा एवं नेत्र संबंधी विषयों का पता चलता है।
3. तृतीय भाव से पराक्रम और भाई-बहन के विषय में जानकारी मिलती है।
4. चतुर्थ भाव से मातृ सुख, जमीन-जायदाद, वाहन सहित सांसारिक सुख के बारे में जाना जा सकता हैं।
5. पंचम भाव से संतान संबंधी जानकारी मिलती है।
6. छठे भाव से रोग एवं शत्रुओं के बारे में जाना जाता है।
7. सातवाँ भाव जिससे जीवनसंगिनी के बारे में पता चलता है।
8. आठवें भाव से आयु, जीवन में आने वाले संकट, दुर्घटना के बारे में जानकारी मिलती है।
9. नौवें भाव से धर्म, पैतृक सुख एवं भाग्य को जाना जाता है।
10. दसवाँ भाव नौकरी एवं कारोबार की सफलता और असफलता के बारे में बताता है।
11. ग्यारहवें भाव से दूसरी शादी के विषय में जानकारी मिलती है।
12. बारहवें भाव से व्यय, मृत्यु एवं पुनर्जन्म के विषय में जानकारी मिलती है।
13. तेरहवें भाव से पूर्व जन्म के कर्म और उनसे मुक्ति के उपाय का ज्ञान मिलता है।
14. चौदहवें भाव से शत्रु से बचाव के उपाय एवं उपयुक्त मंत्र जप की जानकारी मिलती है।
15. पंद्रहवें भाव से रोग और उनके उपचार के विषय में जानकारी मिलती है।
16. सोलहवें भाव से ग्रहों की दशा, अंतरदशा, महादशा में मिलने वाले परिणाम को जाना जाता है।

भविष्य का सटीक वर्णन :
माना जाता है कि इस विद्या के जानकार लोग ताड़पत्री पर लिखे भविष्य अनुसार नंदी नाड़ी ज्योतिष में दिन और निश्चित समय में होने वाली घटनाओं का जिक्र भी कर सकते हैं। निश्चित समय में होने वाली घटनाओं को आधार मानकर इससे पंचांग की सत्यता की भी जाँच की जा सकती है।

अगर अन्य ज्योतिष विधि से प्राप्त फलादेश का नंदी नाड़ी ज्योतिष विधि से मिलान करें तो भविष्य में आपके साथ होने वाली घटनाओं के विषय में आप निश्चित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। उक्त विद्या अनुसार ग्रहों की पीड़ा का निदान भी किया जाता है। जो भी हो भारत में नंदी नाड़ी ज्योतिष विज्ञान के जानकार भले ही कम हों, लेकिन दक्षिण भारत में इस विद्या में विश्वास रखने वाले लोग अधिक हैं।

अगर आपको अपनी जन्मतिथि एवं जन्म समय की जानकारी नहीं होती है तब भी इस शास्त्र विधि अनुसार आप अपना भविष्य जान सकते हैं या कुंडली बनवा सकते हैं। (वेबदुनिया डेस्क)

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