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ग्रह दिलाते हैं प्रतिष्ठा

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प्रतिष्ठा हर किसी को नहीं मिलती ना ही कोई यूँ ही जगप्रसिद्ध होता है। कई युवा अपनी प्रतिष्ठा को बनाने में सालों-साल गुजार देते है तो कुछ ऐसे भी होते है जिन्हें थोड़े सी कोशिश से फेम मिल जाती है। कोई जीते जी प्रतिष्ठित बन जाता है तो कोई अपने मरने के बाद प्रसिद्ध होता है।

प्रतिष्ठा या फेम बिना कुछ किए-धरे नहीं मिलती बल्कि इसके लिए वैसे कर्म भी करने पड़ते हैं। अच्छे कर्म जो प्रतिष्ठा दिलाएँ , यह हमारी होरोस्कोप के प्लेनेट से डिसाइड होता है। प्रतिष्ठा के लिए हमें होरोस्कोप का 9,8 , सेंटर, 4 , 10, 5 और 7 वें घर को देखना होगा।

इन से संबंधित ग्रह, इन पर पड़ने वाली दृष्टियाँ, इनमें युतियाँ या इन भावों के आपसी संबंध, ग्रहों का मार्गी, उदय, युवा होना आवश्यक होता है। सेंटर हाऊस स्वयं के विचारों,स्वस्थ शरीर और पर्सनेलिटी को बताता है। भाव 9, धर्म, यश, संत प्रकृति, धार्मिक कार्य या अनुष्ठान आदि के बारे में बताता है। भाव 8 गुप्त विद्या व यश को बताता है। भाव 4 जनता से संबंधित मामलों की जानकारी देता है। जनता से संबंध अच्छे होना ही प्रतिष्ठा की निशानी है। भाव 10 कर्म का है। युवा अपने जीवन काल में कैसे कार्य करेगा कि फेम मिल सकें, यह इस घर से जाना जाता है। 5 विद्या का घर है, विद्या अच्छी हो या पाँचवें घर के मालिक की शुभ स्थिति हो तो प्रतिष्ठा दिलाने में सहायक होगी। भाव 7 स्त्री से संबंधित है यदि इस भाव की स्थिति या इस भाव का मालिक कमजोर है तो प्रतिष्ठा में कलंक भी लग सकता है।

* भाव 9 का स्वामी गुरु हो तो ऐसे युवा प्रतिष्ठा पाते है। गुरु उच्च का, स्वराशि या मित्र राशि में होना चाहिए।

* भाव 9 का मालिक सुख भाव 5 में स्वराशि का हो तो ऐसे जातक अपने क्षेत्र में प्रसिद्ध होते ही है।

* शुक्र, मंगल की वृश्चिक राशि में हो एवं शनि-शुक्र, शनि-मंगल, शुक्र-राहू सप्तम भाव में अशुभ ग्रह कि स्थिति में न हो।

* सुख भाव 5 का स्वामी भाग्य स्थान 9 में हो या भाग्य स्थान का मालिक सुख भाव में हो तो ऐसे जातक विश्वविख्यात होते है।

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* लग्नेश यानी सेंटर का मालिक का मातृभाव 4 या सुखभाव 5 में हो तो उसको प्रसिद्ध बनाएगा।

* नवम भाव में शनि-चंद्र, गुरु-चंद्र का होना उस जातक को प्रतिष्ठावान बनाएगा।

* नवमेश का लग्न में लग्नेश के साथ होना या लग्न में भाग्येश के साथ शनि-चंद्र का होना उस जातक को संत बनाकर प्रसिद्ध बनाऐगा।

* भाव 10 में शुभ गुरु हो तो ऐसे जातक अपने कर्मो द्वारा जगप्रसिद्ध होते है।

* भाव 5 में शुभ ग्रहों का होना उस जातक को अपनी योग्यता द्वारा प्रसिद्ध बनाएगा।

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