Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

महावातविध्वंसन रस

हमें फॉलो करें महावातविध्वंसन रस
जैसा कि नाम से ही जाहिर है कि महावातविध्वंसक रस यानी वात तथा वात रोगों का विध्वंस करने वाला रस। इसके सेवन से वात संबंधी सभी दोषों का शमन होता है, गर्भवती महिलाओं को अपने गर्भ की सुरक्षा हेतु इसका सेवन करना चाहिए। पेट के दोष दूर करने वाले इस रस का निर्माण किस प्रकार किया जाता है, इसकी जानकारी दी जा रही है-

घटक द्रव्य : शुद्ध पारद, शुद्ध गंधक, नाग भस्म (शतपुटी), बंग भस्म, लौह भस्म, ताम्र भस्म, अभ्रक भस्म, पीपल, सोहागे का फूला, काली मिर्च, सोंठ- ये सभी 11 द्रव्य 10-10 ग्राम और शुद्ध बच्छनाभ 45 ग्राम।

भावना द्रव्य : त्रिकुट, त्रिफला, चित्रकमूल और कूठ चारों द्रव्यों का क्वाथ। भांगरा, निर्गुण्डी के पत्ते, आंवला, अदरक और नीबू इन चारों का रस और आक का दूध, इन सबकी 3-3 भावनाएं।

निर्माण विधि : पहले कज्जली कर लें, फिर सब भस्में मिला लें। अच्छी तरह घुटाई करके शेष द्रव्यों को कूट-पीसकर कपड़छान महीन चूर्ण करके इसमें मिला लें। इसके बाद भावना द्रव्यों की 3-3 भावनाएं देकर 1-1 रत्ती की गोलियां बनाकर अच्छी तरह सुखाकर शीशी में भर लें।

मात्रा : 1-2 गोली दिन में तीन बार, तीव्र वात प्रकोपजन्य रोग होने पर अदरक के रस या शहद के साथ, आमवातजन्य रोग हो तो अरण्डी, घी या कुनकुने गर्म पानी के साथ लेना चाहिए।

लाभ : इस योग के प्रयोग से वात विकार, वात प्रकोप, वातजन्य शूल, ग्रहणी, सन्निपात, मन्दाग्नि, अपस्मार, शरीर शीतल होना, पित्तोदर, प्लीहा वृद्धि, अर्श और स्त्रियों के गर्भाशय विकृति से होने वाले रोगों में लाभ होता है।

* यह योग वात प्रकोप और वातवाहिनियों के क्षोभ का शमन करने में उत्तम काम करता है। वात वाहिनियों के क्षोभ में उपयोगी होने से अपतानक अपतन्त्रक, आक्षेप और तीव्र वेग वाले आशुकारी पक्षाघात में वात वृद्धि के लक्षण अधिक होने पर इसके सेवन से वातप्रकोप का शमन होता है।

* इसका उपयोग केवल वात विकृति होने पर ही किया जाता है। यदि वात पित्तात्मक दोष हो तो सूतशेखर रस देना चाहिए।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi