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वीर्य शोधन चूर्ण

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अनुचित तरीके से आहार-विहार करने, तेज मिर्च-मसालेदार, तले हुए व खटाईयुक्त पदार्थों का सेवन करने, दूषित चिंतन करने से शरीर की धातुएं दूषित होने लगती हैं।

अंततः शरीर की सर्वश्रेष्ठ धातु शुक्र भी दूषित हो जाती है और ऐसा व्यक्ति शुक्र दौर्बल्य, शुक्र क्षीणता और शुक्र विकार का शिकार हो जाता है। इस व्याधि से निजात दिलाने के लिए अत्यंत सरल नुस्खा निम्नलिखित है, इसे गरीबों का उपाय भी कह सकते हैं, लेकिन है पॉवर फुल-

द्रव्य : बबूल के वृक्ष की बिना बीजों वाली कच्ची फलियां, बबूल के ही कोमल पत्ते और बबूल का ही गोंद, तीनों समान मात्रा में लें।

विधि : तीनों को छाया में सुखाकर कूट-पीसकर महीन चूर्ण करके शीशी में भरकर रख लें। यह वीर्य शोधन चूर्ण है। इस चूर्ण को एक चम्मच 5-6 ग्राम मात्रा में लें और इतनी ही पिसी मिश्री लें। दोनों को मिलाकर फांक लें और ऊपर से दूध पी लें। चाहें तो सिर्फ एक बार सुबह सेवन करें या चाहें तो सुबह और रात दोनों समय सेवन करें।

लाभ : यह सरल, सीधा और सस्ता सा नुस्खा जादुई व गुणकारी है। कम से कम 60 दिन नियमित रूप से सेवन करने पर धातु शुद्ध और पुष्ट होती है, शुक्र की वृद्धि होती है, शुक्र गाढ़ा और निदर्ोेष होता है तथा स्वप्न दोष तथा शीघ्रपतन जैसी व्याधियां गायब हो जाती हैं। यह नुस्खा परीक्षित है। हानिकारक आहार-विहार का त्याग और उचित आचरण का पालन करते हुए इस योग का प्रयोग करें।

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