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फेल हो गया कामसूत्र का पेंटर

- सुशील झा (दिल्ली)

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, शनिवार, 9 मार्च 2013 (16:15 IST)
कामसूत्र पर बनाई गई पेंटिंग को पटना आर्ट्स कॉलेज के न तो शिक्षक कला मानते हैं, न छात्र। गोपाल शून्य ने जब इन पेटिंग्स को अपनी परीक्षा के लिए बतौर असाइनमेंट पेश किया, तो उसे फेल कर दिया गया। और वह भी काफी फजीहत के बाद।

कॉलेज प्रशासन का कहना है कि छात्र का अपनी महिला शिक्षक को ऐसी पेंटिंग बना कर देना उचित नहीं है। पटना के कुछ छात्र इन तस्वीरों का विरोध भी करने लगे हैं। प्रिंसिपल कहते हैं यह यौन प्रताड़ना का मामला है।

छात्र गोपाल शून्य बताते हैं, ‘असल में असाइनमेंट में हम लोगों को रेप्लिका ही बनाना होता है। मैंने भी कुछ ऐतिहासिक चित्रों की नकल बनाई है। लेकिन शिक्षिका ने इसे ऐतिहासिक चित्रों की नकल भी नहीं माना और कहा कि ये अश्लील है। हमारे कॉलेज में न्यूडिटी की पढ़ाई होती है पहले ही वर्ष में। मुगलकालीन समय में भी ऐसे चित्रों का वर्णन है।’

लेकिन जरूरत क्या थी ऐसे चित्र बनाने की?

गोपाल कहते हैं कि वो 'इरोटिक वर्ल्ड' विषय पर ही पढ़ाई कर रहे थे और इसीलिए उन्होंने ऐसी पेंटिंग बनाई। वो कहते हैं, ‘ये मेरे लिए सामान्य था। कोई नई बात नहीं थी। मैंने सोचा भी नहीं था कि इससे कोई विवाद होगा।’

हालांकि शिक्षिका रीता शर्मा को गोपाल की पेंटिंग नागवार गुजरी है।

बीबीसी से फोन पर बात करते हुए रीता कई बार भड़क गईं, ‘ये कला का कॉलेज है। यहां कला की शिक्षा दी जाती है। उस लड़के की मंशा कुछ और थी। यहां लड़कियां पढ़ती हैं। आपने देखे होंगे चित्र। ये विषय मैंने नहीं दिया था चित्र बनाने को। कॉलेज के प्रिंसिपल और शिक्षकों ने मिलकर ये फैसला किया कि इस लड़के को फेल किया जाए।’

कला का विद्यालय, काम-कला का नहीं : कामसूत्र के विषय पर पेंटिंग से क्या आपत्ति है, यह बार बार पूछे जाने पर रीता शर्मा का कहना था, ‘यह कला विद्यालय है, काम-कला विद्यालय नहीं है। मैं ऐसे फालतू विषयों पर बात नहीं कर सकती। पूरे कॉलेज ने ये फैसला लिया है। ये पेंटिंग उस लड़के की विकृत मानसिकता का परिचायक है। वो लड़का विकृत है।’

इसके बाद जब बीबीसी ने कॉलेज के प्रिंसिपल चंद्रभूषण श्रीवास्तव से बात की तो उनका कहना था कि समाज में जिस चीज का विरोध होता है वो नहीं होना चाहिए।

उनका कहना था, ‘ये लड़का पहले भी बदमाशी करता रहा है। उसने पहले किसी और की पेंटिंग दे दी। फिर माफी मांगी। हमने उसे एक और मौका दिया तो उसने ऐसी पेंटिंग बनाई जिस पर उसकी टीचर ने शिकायत की। ये यौन प्रताड़ना का मामला है।’

बहस : लेकिन क्या कला महाविद्यालय में कामसूत्र, सेक्स और न्यूडिटी पर बहस और काम नहीं होना चाहिए? प्रिंसिपल चंद्रभूषण बातों बातों में एमएफ हुसैन का मामला भी उठाते हुए कहते हैं कि अगर कला से समाज को आपत्ति है तो उसको बदलना चाहिए।

वो कहते हैं, ‘ये पूरे कॉलेज का निर्णय है। अकेले मेरा नहीं। जो शिक्षिका है जिनके तहत ये काम हुआ है। उनको आपत्ति थी। पूरे कॉलेज ने चर्चा की और फैसला किया।’

उधर इस मामले में कुछ छात्र भी इसका विरोध कर रहे हैं। इन पेंटिंग का विरोध करने वाले छात्र आशीष सिन्हा ने बीबीसी को फोन पर बताया, ‘इस मामले में गुरु-शिष्य परंपरा को खत्म किया गया है। भारतीय संस्कृति को खराब करने के लिए ऐसी पेंटिंग्स बनाई गई है।’

लेकिन कामसूत्र की नकल से क्या आपत्ति है?

आशीष कहते हैं, ‘कामसूत्र भारतीय संस्कृति में तो है, लेकिन गुरु शिष्य-परंपरा भी है और इस परंपरा को ठेस पहुंचाई गई है।’

इस मुद्दे पर पटना में छात्र संघों के बीच भी मुद्दा गर्माया हुआ है और मामला तूल पकड़ रहा है।

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