सोमवार की सुबह से श्यामराव की शुरुआत एक आम आदमी के रूप में होती है। जैसे-जैसे सोमवार बीतता है, श्यामराव की मुलाकात उसकी गर्भवती बहन (गौरी कर्णिक), जो वास्तव में गर्भवती नहीं है, बदमाश अकाउंटेंट (राज जुत्शी), गुस्सैल पत्नी (तनाज़ करीम) और एक ऐसी बहन (तृप्ता पाराशर) जिसके बारे में वह जानता भी नहीं है, से होती है। कानून का शिकंजा भी उस पर कसता जाता है। श्यामराव की समझ में आ जाता है कि आम और शरीफ आदमी के रूप में जिंदगी जीना इतना आसान नहीं है, जितना कि वह समझ रहा था। उसकी कहानी को हास्यभरे अंदाज में दिखाया गया है। निर्देशक के बारे में :
मनु चौबे ने बालाजी टेलीफिल्मस द्वारा निर्मित धारावाहिकों में लेखन कार्य किया है। टीवी से फिल्मों की दुनिया में वे इसलिए आए हैं, क्योंकि फिल्मों का दायरा विस्तृत है। मनु का इरादा सप्ताह के हर दिन पर फिल्म बनाने का है। सोमवार से वे शुरुआत कर चुके हैं और मंगल, बुध होते हुए वे रविवार तक जाना चाहते हैं। ‘वन फाइन मंडे’ में उन्होंने हास्य को प्रमुखता दी है। अगली फिल्मों में वे एक्शन, रोमांस, रहस्य जैसे तत्वों को प्रमुखता देंगे।