किसी क्षेत्र में खुले हाथों उपहार बाँटता तो किसी क्षेत्र में मुट्ठी कसकर सख्ती बरतता, कुछ ऐसा ही है चिदंबरम का बजट 2008, जिसे कहीं वोट बैंक की राजनीति माना जा रहा है तो कहीं अब तक का सबसे अच्छा और आम आदमी का बजट। वैसे तो कोई भी वर्ग इस बजट से पूरी तरह से अछूता नहीं है मगर देश का वर्तमान और भविष्य माने जाने वाले युवा वर्ग पर इस बजट का प्रभाव जानना बेहद आवश्यक है।
भारत निर्माण के लिए 31 हजार करोड़ के आवंटन को ध्येय बनाने वाले इस बजट ने शिक्षा क्षेत्र पर काफी ध्यान देते हुए युवाओं को कई लुभावने तोहफे दिए हैं। इस बार सरकार ने शिक्षा का बजट 20 फीसदी बढ़ाकर 34400 करोड़ रुपए किया है, जो सचमुच स्वागत योग्य है।
शिक्षा क्षेत्र में युवाओं के लिए हर राज्य में में एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय खोलने और आंध्रप्रदेश, राजस्थान और बिहार जैसे राज्यों में तीन नए आईआईटी खोलने की सरकार की योजना ने उच्च व व्यावसायिक शिक्षा में युवा वर्ग की कुशलता वृद्धि का सराहनीय प्रयास किया है। साथ ही विज्ञान के छात्रों के लिए 85 करोड़ रुपए का आवंटन करके भी चिदंबरम ने वाहवाही लूटी है।
जहाँ चिदंबरम ने रोजगार गारंटी योजना को पूर्णतः सफल बताकर सरकार को श्रेय दिया, वहीं उन्होंने इसके बाद युवा वर्ग की रोजगार से संबंधित समस्याओं पर मौन साध लिया। हाँ, अगर अल्पसंख्यक युवा वर्ग की बात करें तो सरकार ने वोट बैंक की राजनीति का दाँव खेलते हुए अर्धसैनिकों बलों में अल्पसंख्यकों के स्थान को बढ़ाकर अल्पसंख्यक युवा वर्ग का दिल जरूर जीता है।
जहाँ बात नौकरी पेशा युवा वर्ग की है तो चिदंबरम की आयकर में भारी छूट उन्हें राहत दिलाएगी। जहाँ इस बजट में आयकर सीमा पुरुष कर्मचारियों करे लिए 1 लाख 50 हजार की गई है वहीं महिला कर्मचारियों के लिए आयकर सीमा 1 लाख 80 हजार तक रखी गई है। साथ ही पाँच लाख से ऊपर की आय पर 30 फीसदी टैक्स, 1.5 से 3 लाख की आय तक 10 प्रतिशत व 3 से 5 लाख तक 20 प्रतिशत टैक्स का तोहफा देकर नौकरीपेशा युवा वर्ग को रियायत अवश्य दी है।
कुल मिलाकर ग्रामीण व अल्पसंख्यक युवा वर्ग के लिए इस बजट में काफी कुछ उम्मीदें हैं मगर रोजगार जैसे प्रमुख पहलुओं की अनदेखी करके युवा वर्ग को थोड़ी-सी निराशा जरूर हुई है। मगर फिर भी इस युवाओं पर इस बजट के प्रभाव को दूरगामी माना जा सकता है। (वेबदुनिया)