प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने सोमवार को कहा कि वर्ष 2011-12 के आम बजट का उद्देश्य राजकोषीय घाटे को कम करना और कर के बोझ को घटाना है। उन्होंने कहा कि यह बजट देश की आर्थिक वृद्धि की चुनौतियों का मुकाबला करेगा।
प्रधानमंत्री ने वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा आम बजट पेश किए जाने के बाद कहा कि वित्तमंत्री ने सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि आप सभी को खुश नहीं कर सकते। वित्तमंत्री ने जहाँ तक संभव था अच्छा काम किया है। विवादास्पद कालेघन के मुद्दे और बजट में कालेधन को वापस लाने के लिए माफी योजना की घोषणा नहीं किए जाने के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह की माफी योजना पहले भी रही है, जिससे कोई खास सफलता नहीं मिली।
उन्होंने कहा कि मैं नहीं समझता कि काले धन की समस्या का स्थायी इलाज करने में इससे सफलता मिली है। हमें इस बुराई से निपटने के लिए अपनी व्यवस्था में समग्र सुधार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह बजट हमारी अर्थव्यवस्था के समक्ष अगले वित्तीय वर्ष में आने वाली सभी चुनौतियों से निपटेगा। यह बजट हमारी अर्थव्यवस्था, सतत विकास, समावेशी विकास, समान विकास की चुनौतियों का समाना करने में सक्षम है और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने का दृढ़ प्रयास है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बजट में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए बहुत कुछ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उच्च विकास दर को बनाए रखने की आवश्यकता है और इसके लिए ढाँचागत क्षेत्रों, समाजिक और कृषि के क्षेत्र में पर्याप्त प्रवाधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए यह जरूरी है कि राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण पाने का रास्ता अपनाया जाए वित्त मंत्री ने राजकोषीय घाटे और राजस्व घाटे को कम करने की योजना बनाकर एक सराहनीय कार्य किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वित्त मंत्री ने कर के छूट के दायरे को बढ़ाकर सभी कर दाताओं को लाभ दिया है ।
उन्होंने कहा कि बजट सुधारोन्मुख सरकार का संकेत देता है क्योंकि मुखर्जी ने बीमा और पेंशन कोष से संबंधित कानून लाने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि अगर ये वादे संसद में ठोस रूप अख्तियार कर लें तो इससे पूँजी बाजार और निगमित भावनाओं को बढ़ावा मिलेगा। सिंह ने कहा कि प्रत्यक्ष कर संहिता अगले साल एक अप्रैल को हकीकत का रूप लेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से प्रयासों में कोई कमी नहीं है। हालाँकि जीएसटी को लेकर कुछ कठिनाइयाँ हैं क्योंकि कुछ राज्य साथ नहीं हैं। हमें विश्वास है कि हमें सफलता मिलेगी। (भाषा)