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घाटे को कम करने का प्रयास: प्रणब

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पेरिस , शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011 (17:59 IST)
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने आगामी बजट में राजकोषीय घाटा कम करने के लिए कड़े कदम उठाने का आज संकेत दिया। उल्लेखयनी है कि 2008 के वैश्विक वित्तय संकट के बाद वित्त मंत्री ने पिछले दो बजट में उद्योग व्यापार जगत के लिए कर राहत देने के साथ साथ सरकारी खर्च में उदारता बरती थी जिससे राजकोषीय घाटा उँच हो गया था।

यहाँ जी-20 के वित्त मंत्रियों की बैठक के मुखर्जी ने कहा कि पूर्व में वैश्विक वित्तीय संकट के मद्देनजर वित्तीय प्रोत्साहन नीति की जरूरत थी। लेकिन अब स्थिति सुधर गई है। उच्च आर्थिक वृद्धि दर के बाद हमें राजकोषीय घाटे को कम करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए और हम इसका अनुपालन कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि वित्तीय संकट से निपटने के लिए घरेलू कंपनियों को करोड़ों रुपए का वित्तीय प्रोत्साहन देने के कारण वित्त वर्ष 2009-10 में राजकोषीय घाटा, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.8 फीसदी था और चालू वित्त वर्ष के दौरान इसके 5.5 फीसदी रहने का अनुमान है।

मुखर्जी ने कहा कि जब वित्तीय संकट शुरू हुआ, अधिकतर देशों ने वित्तीय प्रोत्साहन दिए। परिणामस्वरूप बजट घाटे में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और यह चालू खाता घाटा में दिख रहा है। मुखर्जी ने कहा कि प्रोत्साहन पैकेज से भारत 2008-09 में 6. 8 फीसदी और 2009-10 में 8 फीसदी आर्थिक हासिल करने में सफल रहा।

वित्त मंत्री ने कहा कि वास्तव में राजकोषीय घाटे को कम करने की प्रक्रिया चालू वर्ष में शरू हो चुकी है। सरकार ने 2008 और 2009 में दिए गए प्रोत्साहन पैकेज को 2010 के बजट में आंशिक रूप से वापस लेना शुरू कर दिया था।

सरकार की प्रोत्साहन नीति के कारण चालू खाते का घाटा बढ़ा है। चालू वित्त वर्ष में इसके 3.5 फीसदी रहने का अनुमान है जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 2.9 फीसदी था। (भाषा)

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