Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

भविष्य में होगी फार्मासिस्ट की डिमांड

हमें फॉलो करें भविष्य में होगी फार्मासिस्ट की डिमांड
प्रश्न : भारत में फार्मेसी शिक्षा का क्या भविष्य है?
ND
उत्तर : भविष्य तो बहुत अच्छा है। बहुत-सी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारत में आ रही हैं। अगर आपके पास सही शिक्षा एवं योग्यता है जिसकी कंपनियों में माँग है तो 'रोजगार' कोई समस्या नहीं है। ड्रग रेग्युलेटरी, ड्रग डिस्कवरी (दवाओं की खोज), क्लिनिकल फार्मेसी एवं नैनो तकनीकी क्षेत्रों में आने वाले वर्षों में मानव संसाधन की काफी आवश्यकता होगी।

इस समय फार्मेसी शिक्षण संस्थाएँ फार्मा कंपनियों के लिए फार्मा स्नातकों की पूर्ति करने में अक्षम हैं एवं इस कमी को पूरा करने हेतु वे मूलभूत विज्ञान (बेसिक साइंस) के स्नातकों को उचित ट्रेनिंग देकर काम चला रही हैं। समय की नाजुकता को ध्यान में रखकर सभी व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का मूल विज्ञान के साथ जुड़ना आवश्यक हो गया है।

प्रश्न : फार्मेसी में इस समय कौन-से महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं एवं कौन-से नए जुड़ने जा रहे हैं?
उत्तर : स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम इस समय उपलब्ध हैं और देशभर में बहुत-सी संस्थाओं में इन पाठ्यक्रमों की शिक्षा उपलब्ध है। स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में विशेषज्ञता रही है। स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में इंडस्ट्रीज की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बदलाव लाना आवश्यक है।

कुछ संस्थाएँ इस दिशा में काम कर रही हैं। क्वालिटी एश्योरेंस, आईपीआर एवं डाक्यूमेंटेशन, क्लिनिकल रिचर्स, एप्लाइड फॉर्म बायो इंफॉर्मेटिक्स, एप्लाइड फॉर्म मैनेजमेंट जैसे कुछ पाठ्यक्रम भी अब काफी प्रचलित हो रहे हैं। बहुत-से विश्वविद्यालय अब फार्मा मार्केटिंग एवं ड्रग रेग्युलेटरी अफेयर में एक वर्षीय डिप्लोमा लाने की भी पहल कर रहे हैं।

फार्मा उद्योग की आवश्यकताओं को देखते हुए, देश में पहली बार 10+2 के बाद एमबीए फार्मा टेक (3+2) शुरू किया गया है। इसके अलावा अन्य स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम जैसे एमएससी एप्लाइड फार्म, माइक्रोबायोलॉजी एवं एप्लाइड फार्म एनालिसिस एवं एप्लाइड फार्म बायोइंफॉर्मेटिक्स जैसे पाठ्यक्रम भी विश्वविद्यालयों ने शुरू किए हैं।

प्रश्न : फार्मेसी शिक्षा के वरिष्ठ शिक्षक रहते हुए आपने शिक्षा का राष्ट्रीय स्तर पर सर्वेक्षण किया है। आपके फार्मेसी की गुणवत्ता के बारे में क्या विचार हैं?
उत्तर : मैं फार्मेसी के शिक्षण में पिछले 30 साल से कार्यरत हूँ। मुझे दुःख है कि फार्मेसी में समयानुसार बदलाव नहीं हो पा रहा है। शिक्षा संस्थाओं की संख्या तो बढ़ी है, शिक्षा भवनों की स्थिति में भी काफी सुधार हुआ है, शिक्षा के साधन तो मौजूद हैं, लेकिन शिक्षा के इस मंदिर में शिक्षकों की कमी महसूस हो रही है। इसका सबसे बुरा असर उन नवयुवकों पर पड़ता है, जो फार्मेसी व्यवसाय को अपना रहे हैं। सरकार के प्रयासों के तहत हर संस्था अपनी अलग इमारत बनाने के लिए बाध्य है, लेकिन छात्रों के हित में काम करने हेतु प्रबंधकों में शिक्षा के प्रति समर्पण की भावना समाज ही निर्मित कर सकता है।

प्रश्न : फार्मेसी शिक्षकों की कमी के लिए आप किन्हें जिम्मेदार मानते हैं?
उत्तर : ये वो सिद्धांत, प्रणाली, तंत्र हैं जिनमें हम सदियों से जीते आए हैं। हम में दूरदृष्टि की कमी रही है एवं हमारी शिक्षा नीति ने मूलभूत आवश्यकताओं को भी नजरअंदाज कर शिक्षा को व्यापार की श्रेणी में रख दिया है। दुर्भाग्य ये है कि लगभग सभी अच्छी शिक्षा संस्थाएँ
अपने शिक्षकों की मूलभूत आवश्यकताओं का ख्याल नहीं रखतीं और शिक्षक इन अभावों के रहते पद छोड़कर चले जाते हैं।

प्रबंधक अपनी मनमानी करते हैं और उसके परिणामों के बारे में कभी नहीं सोचते। इसी वजह से एक नए वर्ग का जन्म हुआ है, जो शैक्षिक व्यवसाय को बेहतर नौकरी की तलाश में एक सीढ़ी की तरह इस्तेमाल करता है।

प्रश्न : फिर इसका हल क्या है?
उत्तर : हमको ऐसे लोगों की तलाश करनी है, जो ऐसी शिक्षा दे सके, जो छात्रों तक पहुँच सके। ऐसे बहुत-से लोग हैं, जो खराब प्रबंधन के कारण हतोत्साहित हैं और जिन शिक्षकों को अपनी योग्यता के हिसाब से ज्यादा वेतन भी मिलता है तो भी उनको प्रबंधकों के हाथ की
कठपुतली होने से छात्रों एवं शिक्षकों के हित में काम करने का अवसर नहीं मिलता।

ऐसे लोगों को एक प्रणाली में लाना चाहिए, जो उनकी योग्यता के हिसाब से हो। शिक्षा स्तर के सुधार में छात्रों का उनको प्राप्त शिक्षण सुविधाओं के प्रति सोच भी काफी मायने रखता है जिसके आधार पर शिक्षकों एवं प्रबंधन के व्यवहार में उचित परिवर्तन लाया जा सकता है। उन शिक्षकों, कर्मचारियों को उनके अच्छे कार्य के लिए समय-समय पर प्रोत्साहित भी किया जाना चाहिए ताकि उन्हें एहसास हो कि उनके सुझावों पर भी अमल होता है एवं वे भी शिक्षा में भागीदार हैं।

प्रश्न : आप अपने शिक्षकों को किस तरह फार्मेसी व्यवसाय में होने वाले बदलाव एवं आधुनिक प्रणालियों से अवगत कराते हैं?
उत्तर : हम उन्हें लगातार अनुसंधान एवं औद्योगिक परामर्श की सुविधा, सहयोगात्मक अनुसंधान परियोजनाओं के अंतरराष्ट्रीय मूल्यांकन, फार्मा उद्योगों में लघु काल प्रशिक्षण, देश-विदेश में शोध कार्य को प्रस्तुत करने हेतु एवं पुस्तकों की खरीद के लिए उचित धनराशि की सुविधा तथा प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों को नियमित रूप से आमंत्रित कर व्याख्याताओं की व्यवस्था आदि सुविधा देकर नए जगत से जोड़े रखते हैं।

प्रश्न : देश में फार्मेसी की शिक्षा के लिए अपना दृष्टिकोण बताएँ?
उत्तर : मेरे हिसाब से विभिन्न माध्यमों (मीडिया) द्वारा छात्रों को फार्मेसी की शिक्षा एवं उत्कृष्ट संस्थाओं हेतु मार्गदर्शन दिया जाना चाहिए। बड़ी इमारतें, एसी कक्षाएँ, पाँच सितारा वातावरण शायद प्रबंधन के लिए प्राथमिकता न हो, परंतु उन्हें शिक्षण की गुणवत्ता एवं छात्रों की शिक्षा के लिए उचित साधनों को प्रमुखता देनी चाहिए।

हर छात्र को इस बात की समझ होनी चाहिए कि कहाँ उसका भविष्य उज्ज्वल हो सकता है। उसके लिए आने वाले दिनों में वे ही संस्थाएँ बचेंगी, जो कि छात्रों की जरूरतों को ध्यान में रख उच्च स्तर की शिक्षा प्रदान करने में सफल रहेंगी। अन्य संस्थाओं की दशा में सुधार लाना
होगा। इस दिशा में उचित पहल की आवश्यकता है।

(जैसा कि नरसी मोनजी विश्वविद्यालय मुंबई के स्कूल ऑफ फार्मेसी के डीन डॉ. आरएस गौड़ ने बताया)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi