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राज्य सेवा परीक्षा

जरूरी है दूरदृष्टि, पक्का इरादा और अनुशासन

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- डॉ. मंगल मिश्

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मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली राज्य सेवा परीक्षा प्रदेश की सबसे बड़ी प्रतियोगी परीक्षा है। इसमें सर्वाधिक संख्या में प्रतियोगी सम्मिलित होते हैं और यह मध्यप्रदेश सरकार द्वारा दिए जा सकने वाले रोजगारों में से सबसे प्रतिष्ठित रोजगार उपलब्ध कराती है।

लंबी प्रतीक्षा के बाद हाल ही में आयोग द्वारा इस परीक्षा का नया पाठ्यक्रम और भर्ती के लिए नवीन विज्ञापन जारी किया गया है। जो विद्यार्थी न्यूनतम 21 वर्ष की आयु के हैं और स्नातक हैं, वे इस परीक्षा में सम्मिलित होकर राज्य सेवा के माध्यम से प्रतिष्ठित प्रशासनिक पद प्राप्त कर सकते हैं।

भारत में सरकारी नौकरी के कुछ खास आकर्षण हैं। इन आकर्षणों में सबसे महत्वपूर्ण तत्व है- रोजगार की सुविधा और सामाजिक प्रतिष्ठा। यही कारण है कि निजी क्षेत्र में सरकारी क्षेत्र से अधिक वेतन दिए जाने के बाद भी युवाओं का रुझान राज्य सेवा परीक्षा में बढ़ते प्रतियोगियों की संख्या से स्पष्ट अनुभव किया जा सकता है। परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर जितने लाभ हैं, उतनी ही परीक्षा और उसकी प्रतियोगिता कठिन है।
  मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली राज्य सेवा परीक्षा प्रदेश की सबसे बड़ी प्रतियोगी परीक्षा है। इसमें सर्वाधिक संख्या में प्रतियोगी सम्मिलित होते हैं।      


प्रतियोगियों को यह ध्यान रखना चाहिए कि दुनिया में कोई भी कार्य या कोई भी परीक्षा पास करना यदि अन्य व्यक्ति के लिए संभव है तो वह आपके लिए भी संभव है। 1975 से 1977 के बीच भारतीय राजनीति में- 'कड़ी मेहनत, दूरदृष्टि, पक्का इरादा, अनुशासन'- ये शब्द बहुत चर्चित थे। प्रतियोगी परीक्षा में सम्मिलित होने वाले प्रत्येक विद्यार्थी के लिए ये चारों शब्द ही सफलता के गुरुमंत्र हैं और राज्य सेवा परीक्षा भी इसका अपवाद नहीं है।

परिवर्तित पाठ्यक्रम और नियमों के अनुसार सामान्य अध्ययन और एक वैकल्पिक प्रश्नपत्र द्वारा राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण की जा सकती है। सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्र में पूर्व में 75 प्रश्न होते थे, जो अब बढ़ाकर 150 कर दिए गए हैं और प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है। इस प्रकार सामान्य अध्ययन का प्रश्नपत्र 150 अंकों का होगा जिसकी समयावधि 2 घंटे होगी। वैकल्पिक विषय का प्रश्नपत्र भी 2 घंटे का होगा, लेकिन इसमें कुल 120 प्रश्न होंगे। प्रत्येक प्रश्न ढाई अंक का होगा। इस प्रकार वैकल्पिक प्रश्नपत्र के 300 अंक होंगे। सामान्य अध्ययन के 150+ वैकल्पिक विषय के 300=450 अंकों के आधार पर मेरिट का निर्धारण किया जाएगा।

स्त्रोत : नईदुनिया अवसर

सामान्य अध्ययन के पाठ्यक्रम में हुए व्यापक परिवर्तनों से अनेक बातें उभरकर सामने आती हैं, जो प्रतियोगियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं-
1. सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्र में प्रश्नों की संख्या बढ़ जाने के कारण प्रश्न को तेजी से समझना और शीघ्रता से उसका उत्तर अंकित करना- यह क्षमता विकसित करना अत्यंत आवश्यक है। इस हेतु प्रतियोगियों को व्यापक अध्ययन करना चाहिए और सभी तथ्यों को कम से कम एक बार अवश्य पढ़ लेना चाहिए।

2. इस प्रश्नपत्र में 'सूचना और संचार प्रौद्योगिकी' के नाम से एक नई इकाई जोड़ दी गई और यह स्पष्ट किया गया है कि इसमें अभिलक्षण, प्रयोग और शब्दावलियों जैसे वेबसाइट, ऑनलाइन, सर्च इंजन, ई-मेल, वीडियो मेल, चैटिंग, वीडियो कॉन्फ्रेंस, हैकिंग, क्रेकिंग, वायरस और सायबर अपराध से संबंधित प्रश्न सम्मिलित होंगे। इसका अर्थ यह है कि शासन यह चाहता है कि भावी प्रशासनिक अधिकारी कम्प्यूटर के ज्ञान से संपन्न हों। इस विषय की तैयारी सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुभवी व्यक्ति के मार्गदर्शन में की जाना चाहिए। यह इकाई विशेष रूप से व्यावहारिक है अतः निश्चित रूप से प्रतियोगियों ने प्रतिदिन कम से कम 1 घंटा कम्प्यूटर सीखना चाहिए। निःसंदेह इस इकाई से संबंधित पूछे जाने वाले प्रश्न प्रतियोगी के आधारभूत ज्ञान की परख करेंगे।

उचित होगा कि गत 5 वर्षों में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्र में इस विषय से संबंधित प्रश्नों को हल करने का अभ्यास कर लेना चाहिए। साथ ही कम्प्यूटर से संबंधित समस्त आधारभूत जानकारी जैसे कम्प्यूटर का विकास, इनपुट तथा आउटपुट, स्पीड, हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, की-बोर्ड तथा उसकी अलग-अलग क्रियाएँ ध्यान से समझना चाहिए।

3. यह सत्य है कि सामान्य अध्ययन का प्रश्नपत्र वास्तव में अब 'सामान्य' नहीं रहा, इसे व्यवहार में 'सामान्य अध्ययन' के स्थान पर 'विस्तृत अध्ययन' समझा जाना चाहिए। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग ने इस पाठ्यक्रम को राजस्थान तथा संघ लोक सेवा आयोग के समकक्ष करने का प्रयत्न किया है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि अब इस प्रश्नपत्र के प्रश्नों का स्तर भी सिविल सेवा परीक्षा के समान विविधता से भरा हुआ होगा।

4. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व की घटनाएँ निश्चित रूप से अधिक पूछी जाएँगी। इसकी तैयारी के लिए राष्ट्रीय स्तर का समाचार-पत्र पढ़ना और टीवी पर प्रतिष्ठित न्यूज चैनल देखना उपयोगी होगा।

5. सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्र में जिन अध्यायों में परिवर्तन नहीं किया गया है, उनमें भी गहन तैयारी करना आवश्यक है। हो सकता है- प्रश्न छोटे हों, क्योंकि 2 घंटे में 150 प्रश्न हल करने की अपेक्षा प्रतियोगी से की जा रही है। लेकिन ये छोटे प्रश्न भी 'नाविक के तीर' के समान होंगे, जो गहन अध्ययन करने वाले प्रतियोगी द्वारा ही हल किए जा सकेंगे।

स्त्रोत : नईदुनिया अवसर

सामान्य अध्ययन के साथ उचित वैकल्पिक विषय चुनना अत्यंत आवश्यक है, जो चयन में सहायक हो सके। अनुभव बताता है कि यदि पदों की संख्या अधिक होती है तो कट ऑफ मार्क्स का प्रतिशत कम होता है अर्थात कम अंक प्राप्त करने वाले प्रत्याशी भी सफल हो जाते हैं।

राज्य सेवा परीक्षा में स्केलिंग पद्धति लागू होने के कारण कुछ विषय ऐसे हो गए हैं जिनमें अच्छे अंक प्राप्त होने के बावजूद प्र्रतियोगी चयनित नहीं हो पाते विशेषकर विज्ञान और इंजीनियरिंग के विषयों में। संस्कृत और उर्दू साहित्य में चयन का प्रतिशत बहुत कम होता है इसलिए प्रतियोगी को सोच-विचार कर वैकल्पिक विषय का चयन करना चाहिए। वर्तमान स्थिति में सर्वाधिक सफल वैकल्पिक विषय लोक प्रशासन है। इस विषय को लेकर उत्तीर्ण होने वाले प्रतियोगियों की संख्या सर्वाधिक होती है।

यदि किसी कारण से लोक प्रशासन नहीं लेना चाहें तो प्रारंभिक परीक्षा में समाजशास्त्र और राजनीति शास्त्र भी उपयोगी होते हैं। इसके बाद इतिहास और प्राणीशास्त्र का नंबर आता है। वैकल्पिक विषय का चयन करने में आपकी रुचि और पूर्व में आपने क्या अध्ययन किया है- इससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि सफलता दिलाने में वह विषय कितना सहायक है, क्योंकि रुचि तो पद के आकर्षण से उत्पन्न हो जाती है और अभी किए जाने वाला अध्ययन पूर्व के अध्ययन पर भारी पड़ जाता है। इसलिए बहुत सोच-विचार करके वैकल्पिक विषय का चयन करना चाहिए। यदि प्रतियोगी संशय में हो तो किसी विशेषज्ञ से भी सलाह ले लेना चाहिए।

परीक्षा की तैयारी के लिए पुस्तकों की कोई एक प्रामाणिक सूची नहीं है। विश्वविद्यालय स्तर पर चलने वाले पाठ्यक्रम में प्रचलित प्रतिष्ठित लेखकों की प्रामाणिक पुस्तकें, एनसीईआरटी द्वारा प्रकाशित विद्यालयीन पाठ्यपुस्तकें तथा दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित पुस्तकें उपयोगी होती हैं। प्रकाशन विभाग द्वारा 'संदर्भ 2008' प्रकाशित किया गया है, जो भारत के संबंध में प्रामाणिक जानकारी देता है।

मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रकाशित किया जाने वाला 'मध्यप्रदेश संदेश' भी विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है। साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रकाशित की जाने वाली विभिन्ना पत्रिकाओं का भी अध्ययन करना चाहिए। परीक्षा होने में लगभग 4 माह का समय शेष है अतः कम समय को देखते हुए किसी प्रतिष्ठित संस्था द्वारा प्रकाशित नोट्स का अध्ययन भी किया जा सकता है।

अनुभव बताता है कि राज्य सेवा परीक्षा में सफल सभी उम्मीदवार किसी-न-किसी स्तर पर कोचिंग अवश्य लेते हैं। अपवादस्वरूप जो विद्यार्थी नियमित कोचिंग प्राप्त नहीं करते, उन्हें किसी वरिष्ठ मार्गदर्शक की सेवाएँ सुलभ होती हैं, जो एक अनौपचारिक कोचिंग के रूप में विद्यार्थी को लाभान्वित करती है। इस दृष्टि से यह कहना उचित होगा कि इस परीक्षा के लिए कोचिंग अनिवार्य नहीं है, लेकिन अनिवार्य से कम भी नहीं है। विद्यार्थी ने यह ध्यान रखना चाहिए कि किसी ऐसी संस्था में ही प्रशिक्षण प्राप्त करें, जहाँ मार्गदर्शन देने वाले व्यक्ति प्रतिष्ठित विद्वान हों।

जो व्यक्ति स्वयं प्रतियोगी परीक्षाओं में अनुत्तीर्ण होकर अब कोचिंग संचालित कर रहे हों, उनसे सावधान रहना चाहिए। यदि कोचिंग कक्षाओं में किसी कारण से प्रवेश न ले सकें तो अपने महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापकों से नियमित मार्गदर्शन में परीक्षा की तैयारी करना चाहिए। कोचिंग का एक महत्वपूर्ण लाभ यह होता है कि आपको प्रतिदिन प्रतियोगिता का एक वातावरण मिलता है जिससे अपनी तैयारी नियोजित रूप से आगे बढ़ाने में मदद मिलती है।

शिखर जितना ऊँचा होता है, चढ़ाई उतनी कठिन होती है। इसलिए राज्य सेवा परीक्षा को आसान न मानते हुए उसके सभी आयामों पर ठीक प्रकार से विचार करके तैयारी करना चाहिए। इस वर्ष की राज्य सेवा परीक्षा का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसके साथ ही अन्य राज्यों की परीक्षा की तैयारी भी स्वतः हो जाएगी अतः इस अवसर को भुनाने का पूरे मनोयोग से प्रयत्न करना आवश्यक है।

(लेखक इंदौर के एक निजी महाविद्यालय के प्राचार्य एवं सिविल सेवा परीक्षा के विशेषज्ञ एवं मार्गदर्शक हैं।)

स्त्रोत : नईदुनिया अवसर

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