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युवाओं की पसंद सरकारी नौकरी या प्रायवेट?

वेबदुनिया डेस्क

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हाल ही के एक सर्वे में यह पाया गया है कि दुनियाभर में सीईओ के पदों पर पहुंचे लोगों की औसत आयु काफी कम हो गई है। पहले फाइनेंशियल क्षेत्र में जहां कोई भी व्यक्ति लगभग 54-55 साल की उम्र में सीईओ बन पाता था, अब वह घटकर 42 से 45 साल हो गई है।

आईटी के क्षेत्र में तो कमाल ही हो गया है। वहां 37 से 40 वर्ष के बीच के युवा आईटी की बड़ी-बड़ी कंपनियों के सीईओ के रूप में काम कर रहे हैं। ऐसे में इन नए लीडरों के आगे भविष्य की कितनी बड़ी संभावना है, उसके बारे में एक मोटी-मोटी कल्पना तो की ही जा सकती है।

इससे एक बात और सामने आई कि सरकारी नौकरियों की तुलना में निजी क्षेत्र में प्रतिभावान लोगों ने कई गुना अधिक तरक्की की।

इससे कुछ समय पहले एक पत्रिका ने सर्वेक्षण के आधार पर अपनी एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की थी। उस रिपोर्ट के तथ्य चौंकाने वाले थे। अभी तक यही माना जा रहा था कि आर्थिक उदारीकरण के बाद पूरी दुनिया में प्रतिस्पर्धा और निजीकरण का जो दौर चल रहा है, उसके कारण युवाओं में या तो खुद का काम करने के प्रति आकर्षण बढ़ा है या फिर निजी क्षेत्र की नौकरियों के प्रति, लेकिन उस पत्रिका का निष्कर्ष यह था कि अब भी ज्यादातर युवा सरकारी नौकरियों को ही अपने लिए बेहतर मानते हैं।

सचाई थोड़ी अलग हो सकती है, लेकिन ये रिपोर्टें दो अलग-अलग क्षेत्र के युवाओं की पसंद को व्यक्त कर रही हैं। उच्च और मजबूत आर्थिक पृष्ठभूमि के युवाओं के लिए निश्चित रूप से सरकारी नौकरियां अब उतने आकर्षण का केंद्र नहीं रह गई हैं। हालांकि वर्ष 2008 की आर्थिक मंदी में अपनी नौकरी गंवा चुके कई लोगों को यह मलाल जरूर रहा होगा कि काश वे सरकारी नौकरी में होते...।

2008 में वैश्विक मंदी से भारत कम ही प्रभावित रहा, लेकिन निजी क्षेत्रों में कई नौकरियों का सफाया हो गया, जिससे एक बार फिर यह बहस गर्मा गई कि युवाओं को सुरक्षित माने जाने वाली सरकारी नौकरी करनी चाहिए या अपने सपनों को पूरा करने के लिए निजी क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखानी चाहिए।

कई लोग मानते हैं कि सरकारी नौकरी सुख सुविधा और सुरक्षित भविष्य के लिए सही है, लेकिन जीवन में कई गुना तरक्की करने के लिए निजी क्षेत्र में जाना सही निर्णय होगा। कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि जो लोग अपने आसपास कम्फर्ट जो़न बना लेते हैं, उन्हें सरकारी नौकरी भाती है, लेकिन जो लोग रिस्क लेने के लिए तैयार हैं, उन्हें निजी क्षेत्र जीवन के नए मुकाम देता है।

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