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दो विधायकों की प्रतिष्ठा दाँव पर

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- रायगढ़ से भोलाराम सिन्ह
रायगढ़ विधानसभा सीट पर भ्रष्टाचार और विकास के बीच मुकाबला है। यहाँ दो विधायकों की प्रतिष्ठा दाँव पर लगी हुई है। भाजपा ने विधायक विजय अग्रवाल पर भरोसा जताकर उन्हें दोबारा मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने पूर्व मंत्री कृष्णकुमार गुप्ता का टिकट काटकर सरिया विधायक डॉ. शक्राजीत नायक पर दाँव खेला है। कांग्रेस में भितरघात की आशंका जताई रही है, जबकि भाजपा के लिए भ्रष्टाचार का मुद्दा भारी पड़ रहा है।

रायगढ़ सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। इस सीट पर पिछले सात चुनावों को देखें तो छह बार कांग्रेस का ही कब्जा रहा। यहाँ से कांग्रेस के गुप्ता लगातार पाँच बार विधायक रहे। पिछली बार भी उन्होंने चुनाव लड़ा था, लेकिन भाजपा प्रत्याशी विजय अग्रवाल ने साढ़े आठ हजार वोटों से उन्हें हराकर कांग्रेस के गढ़ को तोड़ दिया। इस बार भी गुप्ता टिकट के दावेदार थे, लेकिन कांग्रेस ने सरिया विधायक डॉ. नायक को मौका दे दिया। सरिया विधानसभा क्षेत्र के परिसीमन की भेंट चढ़ने और रायगढ़ विधानसभा के 41 मतदान केंद्र लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र में शामिल होने के कारण इस बार स्थिति अलग बन रही है।

इसी तरह सरिया क्षेत्र के 71 गाँव रायगढ़ विधानसभा में जुड़ गए हैं, जो कांग्रेस के गढ़ माने जाते हैं। वहाँ डॉ. नायक की पकड़ अच्छी बताई जाती है। टिकट कटने से पूर्व मंत्री गुप्ता के कुछ समर्थक खुलकर कांग्रेस प्रत्याशी का विरोध कर रहे हैं। पिछले चुनाव में उनके विरोध में रहने वाले कांग्रेस के एक गुट का समर्थन भी भाजपा को मिलने की संभावना है। इन परिस्थितियों में डॉ. नायक और अग्रवाल के बीच मुकाबला रोचक हो गया है।

कांग्रेस जहाँ रायगढ़ विधानसभा व विलुप्त सरिया क्षेत्र में भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाए हुए है, वहीं, भाजपा के कार्यकर्ता रमन सरकार के पाँच साल के विकास कार्यों को गिना रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू की सभा हो चुकी है। 18 नवंबर को लोकसभा में विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी की सभा प्रस्तावित है। इससे भाजपा के पक्ष में माहौल बना है। इसी प्रकार कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी व प्रदेश प्रभारी महासचिव नारायण सामी की सभा हुई है।

जातिगत समीकरण बिगाड़ेगा खेल : यहाँ जातिगत आधार पर वोट बँटने की संभावना है। लगातार 23 साल तक कांग्रेस से विधायक रहे गुप्ता को प्रत्याशी नहीं बनाने के कारण मारवाड़ी समाज का झुकाव भाजपा की तरफ जा सकता है। दूसरी तरफ बसपा ने साहू समाज के हंसराम साहू को प्रत्याशी बनाया है। इससे पिछड़ा वर्ग का रुझान बसपा की तरफ जा सकता है, जबकि भोजपुरी समाज के प्रमोद सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोंक रहे हैं। क्षेत्र में भोजपुरी समाज के करीब 17 हजार मतदाता हैं। उड़िया व कोलता समाज के मतदाताओं का वोट भी निर्णायक हो सकता है। इस समय के करीब 34 हजार वोटर हैं।

परिसीमन का भी असर : परिसीमन के चलते भाजपा व कांग्रेस असमंजस की स्थिति में हैं। दोनों ही दल के कार्यकर्ता दावा कर रहे हैं कि परिसीमन का लाभ उन्हें मिलेगा।

निगम क्षेत्र की सड़कों की हालत को लेकर जहाँ कांग्रेस इसे मुद्दा बनाने में जुटी है। वहीं, भाजपा रायगढ़ में केलो परियोजना व मेडिकल कॉलेज के नाम पर वोट माँग रही है। पूरे क्षेत्र में दोनों ही दलों के बैनर-पोस्टर दिखते हैं।

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