'मेलकीसदेक की आज्ञानुसार तू सदा के लिए पुरोहित है।'
पुरोहिताई एक संस्कार है, जिसके द्वारा धर्माध्यक्ष, पुरोहित और दूसरे धर्माधिकारी, अपने पवित्र कर्त्तव्य करने के लिए आवश्यक शक्ति और कृपा प्राप्त करते हैं।
पुरोहित एक व्यक्ति होता है, जो मुख्यतः मनुष्यों के पापों के लिए ईश्वर को बलिदान चढ़ाता है। सब धर्मों में हमेशा से पुरोहित आते रहे हैं। लोगों ने महानतम ईश्वर को बलिदान चढ़ाने के लिए, हमेशा से किसी की आवश्यकता महसूस की है।
पुराने व्यवस्थान में संपूर्ण लेवीय ग्रंथ, यहूदी पुरोहितों और महान ईश्वर को बलिदान चढ़ाने के विषय में है। पुरोहिताई यहूदी धर्म का मुख्य अंग है। जैसा कि हमारी वर्तमान कलीसिया में है जो येसु ख्रीस्त के द्वारा स्थापित किया गया है।
जिस तरह हमने कहा था, एक पुरोहित, ईश्वर को बलिदान चढ़ाने वाला होता है। हमारे प्रभु ने अंतिम ब्यालू के समय बलिदान चढ़ाने की शक्ति दी, जब उसने रोटी और दाखरस को स्वयं के शरीर और रक्त में परिवर्तित करते हुए कहा, 'यह मेरी स्मृति में किया करो।' इन शब्दों के द्वारा उसने उन्हें ख्रीस्तयाग अर्पित करने को कहा। बारह प्रेरित प्रथम धर्माध्यक्ष और पुरोहित थे। वे स्वयं महापुरोहित येसु ख्रीस्त द्वारा अभिषक्त किए गए थे। प्रेरितों के कार्यकलाप और धर्मग्रंथ के दूसरे भागों में हम पाते हैं कि पुरोहिताई के पवित्र संस्कार द्वारा उन्होंने दूसरे व्यक्तियों को धर्माध्यक्ष और पुरोहितों की शक्ति प्रदान की। केवल धर्माध्यक्षों और पुरोहितों के पास ही वह शक्ति है, जो ख्रीस्त ने बारह प्रेरितों को प्रदान की थी।
यह स्मरण करने योग्य है कि...
- ख्रीस्त को मिस्सा बलिदान में चढ़ाने की शक्ति सिर्फ पुरोहित को है।
- 'मेरी स्मृति में यह किया करो।' (लूकस 22:19)
- उसे तुम्हारे पापों को क्षमा करने की शक्ति है।
'जिनके पाप तुम क्षमा कर दोगे, उनके क्षमा हो जाते हैं, जिनके रोके रखोगे, उनके रुके रहते हैं।' (योहन 20:23)
- उसे सुसमाचार के प्रचार का अधिकार है।
'इसलिए संसार के कोने-कोने में जाकर सुसमाचार का प्रचार करो।' (मत्ती 28:19)
- केवल पुरोहित ही अंतमलन दे सकता है। (अंतमलन संस्कार)
('आपके बीच कोई बीमार है? तो वह गिरजा के स्थविरों को बुलावे कि वे उसको प्रभु के नाम में तेल मलते हुए उस पर प्रार्थना करें। वह विश्वासपूर्ण प्रार्थना रोगी को बचा लेगी और प्रभु उसको फिर स्वस्थ बना देंगे। इसके अतिरिक्त यदि उसने पाप किए हैं तो उसे उनकी भी क्षमा मिल जाएगी।' (याकूब 5:14-15)
- यदि एक पुरोहित एक काथलिक विवाह में उपस्थित नहीं है तो वह विवाह अमान्य और शून्य है। यह कलीसिया का कानून है। ख्रीस्त ने कलीसिया को, अपने सदस्यों के लिए कानून बनाने का अधिकार दिया है, जब उसने कहा, 'जो तुम्हारी सुनता है, वह मेरी सुनता है... और जो तुम्हारी नहीं सुनता है, वह मेरी भी नहीं सुनता है।'
उपरोक्त अधिकारों के अलावा धर्माध्यक्ष को पुरोहिताई संस्कार में व्यक्तियों को पुरोहिताभिषेक करने का अधिकार है। धर्मप्रांत पर शासन करने के लिए धर्माध्यक्ष अपनी पल्लियों के पुरोहितों को नियुक्त करते हैं। पुरोहित धर्माध्यक्ष के साथ मिलकर धर्मप्रांत की देखभाल करते हैं।
सब संस्कारों में केवल तीन संस्कार जीवन में एक बार ही दिए जाते हैं। ये बपतिस्मा, दृढ़ीकरण और पुरोहिताई संस्कार, इसलिए कहावत चरितार्थ है, 'एक बार पुरोहित, सदा के लिए पुरोहित।'