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टेस्ट क्रिकेट के रुझान को तय करेगी यह श्रृंखला

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-अमय खुरासिया

ऑस्ट्रेलियन टीम भारत आ पहुँची है। तमाम आवभगत के साथ जयपुर में उन्हें वह मुहैया कराया जा रहा है जो मेहमानों के प्रति हमारी परंपरा रही है। आज यह हर भारतीय के लिए सोचना आवश्यक है कि क्या ऐसी सुविधाएँ हमें ऑस्ट्रेलिया में मुहैया कराई जाती हैं।

यदि नहीं तो समय आ गया है कि हम अपनी भावनाओं को चापलूसी का रंग न दें और मेहमान नवाजी की अतिशयोक्ति करने से बचें। हम कितनी जल्दी भूल जाते हैं कि यह वही टीम है जिसके कप्तान ने करीब एक वर्ष पहले हमारे बोर्ड अध्यक्ष को मंच से बाहर का रास्ता दिखाया था। कभी कभी गोरों के प्रति हमारे तौर तरीके देखकर लगता है कि हम अभी भी हीनभावना से ग्रसित हैं। हम यह मानकर चलते हैं कि वे हमसे बेहतर हैं जो कि बहुत खेदजनक है।

ऑस्ट्रेलिया के भारत दौरे का पहला मैच नौ अक्टूबर से शुरू हो रहा है। यकीन मानिए यह बहुत से दिग्गज क्रिकेटरों की अंतिम श्रृंखला होगी। अनिल कुंबले की श्रीलंका में असफलता, राहुल द्रविड़ के लिए रनों का अभाव, सौरव गांगुली को टीम से निकालना यह सब संकेत हैं टीम में होने वाले परिवर्तनों के।

मध्यक्रम को प्रतिस्थापित करने की बातें हो रही हैं जिसने पिछले 12 वर्षों से भारतीय क्रिकेट को सहारा दिया। कप्तान के रूप में धोनी को टेस्ट टीम की कमान सौंपने की बातें हो रही हैं। यह स्वीकारना होगा कि कुछ खिलाड़ी इतिहास के आखिरी अध्याय की अंतिम पंक्तियों के नजदीक हैं।

यह दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दौरे पर केवल टेस्ट क्रिकेट ही खेला जाएगा। दर्शकों का रुझान पाँच दिवसीय क्रिकेट के प्रति कितना घटा है यह भी इस श्रृंखला से तय हो जाएगा। गतिशील और उथलपुथल की जिंदगी ने ट्वेंटी-20 क्रिकेट को एक विशिष्ट स्थान दे दिया है। ट्वेंटी-20 क्रिकेट का आवरण सदैव रहेगा, क्योंकि टेस्ट क्रिकेट का धैर्य लोग खो चुके हैं।

यह विडम्बना ही है कि धैर्य और संघर्ष जो जीवन में बहुत आवश्यक है, केवल पाँच दिवसीय मैचों में देखने को मिलता है। इसका दर्शकों के दिलों में धीरे-धीरे स्थान खोना बदलते सामाजिक परिवेश की ओर भी प्रकाश डालता है। तत्काल की आदत ही ट्वेंटी-20 को इतना प्रसिद्ध बना रही है।

आइए इन किवदंतियों की कला को उनके अंतिम पड़ाव के नजदीक चावसे देखें क्योंकि पोंटिंग, हेडन, द्रविड़, तेंडुलकर जैसे क्रिकेटरों के उदय होने में एक लंबा अंतराल लगेगा। परिवर्तन की प्रक्रिया के नियम स्पष्ट नहीं होते। उसके साथ जुड़े कष्टों का अहसास खिलाड़ी और खेल प्रेमियों दोनों को ही भोगना पड़ता है।

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