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आधी सदी का अमर गीत...

-माहीमीत

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ऐ मेरे वतन के लोगों, तुम खूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है हम सबका, लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर, वीरों ने है प्राण गंवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो, कुछ याद उन्हें भी कर लो
जो लौट के घर न आए, जो लौट के घर न आए...
ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी

27 जनवरी को उज्जैन की आबोहवा में पले-बढ़े कवि प्रदीप का यह अमर गीत अपने जन्म 50 साल पूरे कर लेगा। पिछली आधी सदी से यह महान गीत आम भारतीयों के दिल को झकझोर रहा है। इस गीत को सुन आज भी देश की कई माताएं, बहनें, पत्नियां और बच्चे उन अपनों के लौटने का इंतजार कर रहे हैं, जो चीन की 1962 की सुर्ख आंधी में शहीद हो गए थे। हिन्दुस्तान के इतिहास का यह ऐसा इकलौता गीत है, जो इंसानी संवेदनाओं की तह को आधी सदी बीत जाने के बाद भी बार-बार उदासी के सागर में नई हिलोरे पैदा करने की कोशिश कर रहा है।

प्रदीप ने अपने इस गीत में भारतीय सैनिकों के साहस, वीरता और देशप्रेम के साथ-साथ उनकी दुर्दशा और दुखद अंत का ऐसा अविस्मरणीय चित्र खींचा था, जो आज भी हमारे मानस से ओझल नहीं हो पा रहा है। इसे दुर्भाग्य का गीत कहना कितना उचित होगा मुझे यह तो नहीं पता लेकिन यह चीन की क्रूरता का चित्रण एक अलहदा तरीके से करता है।

बर्फीले पहाड़ों पर मानवीयता के रक्तरंजित होने का इससे वीभत्स दृश्य कहीं नहीं दिखाई देगा। इस गीत की आत्मा उसके शब्द हैं और एक-एक शब्द को प्रदीप ने जिस तह में जाकर लिखा है वही इसे पिछले 50 सालों से हमारे दिलो दिमाग में बैठा हुआ है। अब इस अमर गीत की कुछ पंक्तियां गुनगुनाते हैं-

ये शुभ दिन है हम सबका, लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर, वीरों ने है प्राण गंवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो, कुछ याद उन्हें भी कर लो
जो लौट के घर न आए, जो लौट के घर न आए...
ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी
ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी

इस अद्वितीय गीत की धुन महान संगीतकार सी. रामचन्द्र ने बनाई थी। सबसे पहले यह गीत स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने संवेदनशीलता के साथ 27 जनवरी 1963 को नेशनल स्टेडियम में संगीतकार सी. रामचन्द्र के लाईव आर्केस्ट्रा के साथ गाकर पूरे देश को रोने पर मजबूर कर दिया था।

इतना गुजर जाने के बावजूद आम भारतीयों की आंखों में इस गीत को सुनकर आंसुओं के सैलाब बहने लगते हैं। 27 जनवरी को एक बार से फिर इस गीत को लता मंगेशकर इसके 50 साल पूरे होने पर मुंबई में 1 लाख लोगों के साथ गाएंगीं। 27 जनवरी को यह दिवस पूरा देश श्रेष्ठ भारत दिवस समारोह के रूप में मनाएगा।

मुंबई में स्वर कोकिला लता मंगेशकर को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी सम्मानित करेंगे। कार्यक्रम के दौरान 1 लाख लोग देश के लिए बलिदान देने वाले अमर शहीदों की याद में ये गीत गाएंगे और इस कार्यक्रम में देश के शहीद परिवारों, सैनिकों एवं भारत की जनता की ओर से गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी इस अमर गीत हेतु लता मंगेशकर का सार्वजनिक अभिनंदन करेंगे।

सबसे पहले जब इस गीत को लता ने गाया था। उस समय देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू यह गीत सुन भाव-विभोर हो गए थे। एक बार फिर से वही ऐतिहासिक मौका आ रहा है। देश के अमर शहीदों को सलाम करते हुए इस गीत की कुछ पंक्तियां और गुनगुनाते हैं।

जब घायल हुआ हिमालय, खतरे में पड़ी आजादी
जब तक थी सांस लड़े वो... जब तक थी सांस लड़े वो...,
फिर अपनी लाश बिछा दी...
संगीन पे धरकर माथा, सो गए अमर बलिदानी...
जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी...

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