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गर्मियों का जानलेवा रोग हैजा

-सेहत डेस्क

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हैजा रोग 'विबियो कोलेरी बैक्टीरिया' से फैलता है। इसका असर आंतों में होता है, उलटी-दस्त आते रहते हैं। समय पर उपचार न किया जाए तो मौत संभव है।गंदे पानी का सेवन, दूषित खाद्य पदार्थों का सेवन करने से यह रोग होता है। इस बैक्टीरिया के कई प्रकार होते हैं, इसमें रोग के लक्षण के आधार पर संक्रमण के प्रकार का पता लगाया जाता है।

इस रोग के प्रभाव में आने के बाद दो-तीन दिन में रोग के लक्षण नजर आते हैं। इलाज से जब रोगी ठीक हो जाता है, तब भी काफी समय तक ये बैक्टीरिया संबंधित के शरीर में बने रहते हैं।

इसके बैक्टीरिया मनुष्य के मल में पाए जाते हैं, जब मक्खियाँ उस मल पर बैठती हैं, तो उनके पैरों की गद्दियों में ये बैक्टीरिया चिपक जाते हैं।

जब ये मक्खियाँ खाने की वस्तुओं पर बैठती हैं, तो ये बैक्टीरिया वहाँ छूट जाते हैं। इन वस्तुओं को जब स्वस्थ व्यक्ति खाता है, तो ये उसकी आंत में पहुंच जाते हैं और आंतों में संक्रमण पैदा कर रोग बढ़ाते हैं।

इस रोग में उलटी-दस्त, जबर्दस्त दस्त होने के कारण शरीर के पानी के साथ ही द्रव व लवण भी निकल जाते हैं, तुरंत इनकी पूर्ति शरीर में फिर से करना जरूरी होता है। यदि दो दिन तक ऐसी ही स्थिति रहे व इलाज में कोताही की जाए तो रोगी मर जाता है।

यह बीमारी शीघ्र महामारी का रूप धारण कर लेती है, इसलिए सार्वजनिक स्थानों पर सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। खुले स्थानों पर रखी वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।

हैजा के लक्षण

हैजे के बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर अपनी संख्या बढ़ाते रहते हैं और जब पर्याप्त संख्या में हो जाते हैं तो वहाँ विष पैदा करते हैं, यह विष रक्त द्वारा शरीर के अन्य भागों में जाता है और रोग बढ़ता है।

* इस रोग में जबरदस्त उलटियाँ व दस्त होते हैं। कई बार उलटी नहीं भी होती है और जी मिचलाता है व उलटी होने जैसा प्रतीत होता है।

* उलटी में पानी बहुत अधिक होता है, यह उलटी सफेद रंग की होती है। कुछ भी खाया नहीं कि उलटी में निकल जाता है।

* उलटी के साथ ही पतले दस्त लग जाते हैं और ये होते ही रहते हैं, शरीर का सारा पानी इन दस्तों में निकल जाता है। इस बीमारी में बुखार नहीं आता, बस रोगी निढाल, थका-थका सा कमजोर व शक्तिहीन हो जाता है।

* इस रोग में प्यास ज्यादा लगती है, पल्स मंद पड़ जाती है, यूरिन कम आता है व बेहोशी तारी होने लगती है।

उपचार का तरीका

विज्ञान के इस युग में हैजे के बैक्टीरिया को खत्म करने की दवा नहीं बनी है। एक और बात यह है कि इस बैक्टीरिया की अन्य जातियों ने दवा के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है।

अभी हमारे पास जो एंटीबायोटिक दवाएँ हैं, वे रोग की अवधि कम करती हैं, इसे फैलने से रोकती है। इसका एक वैक्सीन भी बना है, जो कि छह माह तक ही क्रियाशील रहता है।

* रोग की संभावना होते ही डॉक्टर से इलाज लें। डॉक्टर सलाइन चढ़ाकर, एंटीबायोटिक दवाएँ देकर रोग को बढ़ने से रोक सकता है।

* नमक-शकर-पानी का घोल पिलाया जाता है या बना बनाया इलेक्ट्रोलाइट पिलाकर रोगी को लवणों की पूर्ति की जाती है।

* रोगी की हालत गंभीर हो तो रक्त शिरा में इंजेक्शन देकर तुरंत आराम पहुँचाने की कोशिश की जाती है।

हैजे से बचाव

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* खुले फल, खाद्य पदार्थ व अन्य वस्तुओं का सेवन न करें। दूषित पानी पीने से बचें, खुली जगह मल त्याग न करें व दूसरों को भी करने से रोकने का प्रयास करें। हैजे के मरीज से दूर रहें। मक्खियों से बचाव करें।

* हैजे का वैक्सीन उपलब्ध है, जो कि छह माह तक प्रभावशील रहता है। यदि आपको ऐसे स्थान पर रहना मजबूरी हो, जहाँ हैजे से संबंधित वातावरण हो तो हर छह माह बाद इसका वैक्सीन लगवा लिया करें।

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