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परंपराओं के प्रतीक है आभूषण

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- एम. मजहर सली
ज्वैलरी डे 15 फरवरी पर विशेष

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दुनिया को अपनी चमक दमक से आकर्षित करने वाले आभूषण गंगा जमुनी तहजीब वाले देश भारत में लगभग हर धर्म से जुड़ी परम्पराओं का अभिन्न अंग हैं। इस मुल्क में जेवर सिर्फ आभूषण नहीं बल्कि रीति-रिवाज भावनाओं और आन बान शान का प्रतिबिम्ब है।

आभूषणों के दीवाने देश भारत में जेवरात के प्रति आकर्षण अब भी कम नहीं हुआ है हालांकि पसंद और तौर तरीकों में बदलाव जरूर हुआ है। कभी सोने की चिड़ियाँ कहा जाने वाला भारत आज भी सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और मुल्क का आभूषण उद्योग सबसे तेजी से विकास कर रहे क्षेत्रों में शुमार किया जाता है।

कभी सोने-चाँदी हीरे जवाहरात के जखीरे को अपनी शान और ताकत के प्रदर्शन का जरिया मानने की राजा महाराजाओं की धारणा वाले देश में शादी ब्याह तथा अन्य रस्मों में आज भी आभूषण को सबसे शानदार तोहफा माना जाता है। भारत में श्रृंगार का अभिन्न अंग और महिलाओं की कमजोरी समझे जाने वाले आभूषणों की चमक कभी फीकी नहीं पड़ी।

  आभूषणों के दीवाने देश भारत में जेवरात के प्रति आकर्षण अब भी कम नहीं हुआ है हालांकि पसंद और तौर तरीकों में बदलाव जरूर हुआ है। कभी सोने की चिड़ियाँ कहा जाने वाला भारत आज भी सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और देश का आभूषण उद्योग आज तेजी से विकास कर रहा है      
एक आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल 800 टन सोने की खपत होती है जिसमें से 600 टन स्वर्ण का इस्तेमाल आभूषण बनाने में होता है। दुनिया के कई हिस्सों में 15 फरवरी को ज्वैलरी डे मनाया जाता है हालांकि इसके पीछे कौन सी विशेष मान्यताएँ हैं इसका स्पष्ट प्रमाण उपलब्ध नहीं है।

समय बदलने के साथ आभूषणों की पसंद और उनसे जुड़े तौर तरीकों में भी बदलाव हुआ है। देश में कामकाजी महिलाओं की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी के साथ आभूषण निर्माता ऐसे जेवरात बनाने पर विशेष ध्यान दे रहे हैं जो कामकाजी महिलाओं और युवतियों की पसंद की कसौटी पर खरे उतर सकें। आभूषण निर्माता कंपनियाँ पहनने के लिहाज से सुविधाजनक तथा कम कीमती मगर ज्यादा आकर्षक आभूषण बनाने पर ध्यान दे रही हैं।

गीतांजलि जेम्स तनिष्क और डी दमाज जैसी प्रमुख आभूषण निर्माता कंपनियाँ नए जमाने की नारी की जरूरतों के हिसाब से जेवरात की नई नई श्रृंखलाएं बाजार में उतार रही हैं। आभूषण उद्योग पर लाखों लोगों की रोजी रोटी टिकी हुई है। भारतीय माणिक्य और आभूषण के बाजार पर मुख्यत: असंगठित क्षेत्र का कब्जा है। हालांकि गुणवत्ता को लेकर जागरूकता बढ़ने से लोग अब ब्रांडेड जेवरात ज्यादा पसंद कर रहे हैं।

उद्योगों के समूह एसोचैर्म की रिपोर्ट के मुताबिक आभूषण उद्योग देश के 13 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मुहैया कराता है। वर्ष 2010 तक देश के घरेलू आभूषण का कुल कारोबार 20 अरब डालर तक पहुँच जाने की उम्मीद है। आभूषण निर्यात संवर्द्धन परिषद के मुताबिक अमेरिका और हांगकांग भारत से माणिक्य और आभूषण के सबसे बड़े आयातक हैं। ब्रांडेड आभूषणों का बाजार प्रतिवर्ष 40 फीसदी की बढ़ोत्तरी के साथ साल 2010 तक दो अरब 20 करोड़ रुपए तक पहुँच जाएगा।

दुनिया को हीरे की चमक भी हमेशा लुभाती रही है। बेहतरीन कारीगारों की बदौलत भारत हीरा तराशने के उद्योग में भी अन्य देशों से मीलों आगे है। वर्ष 1725 तक भारत ही विश्व का एकमात्र हीरा उत्पादक देश था।

गोलकुंडा में हीरों की विश्व प्रसिद्ध खान से निकला हीरा आज भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में सबसे ऊँचे दाम पर बिकता है। तेजी से बदलते समय में भागती दौड़ती जिंदगी जहाँ अपने लिये आभूषणों की जरूरतों को नया रूप दे रही है वहीं भारत में जेवरात का चलन इसकी परम्पराओं में रचा बसा होने के कारण इस उद्योग के और बढने की पूरी सम्भावना है।

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