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तिब्बत के मंदिरों में विराजित हैं श्रीगणेश

चीन के चारों दिशाओं के द्वार पर हैं गणपति

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चीन के प्राचीन हिन्दू मंदिरों में चारों दिशाओं के द्वारों पर गणपति के दर्शन होते हैं।

* पूर्व के गणपति को 'वजू' कहते हैं। उनके हाथ में छोटा छत्र होता है।

* पश्चिम के गणपति को 'वजूवासी' कहते हैं। उनके हाथ में धनुष-बाण है।

* उत्तर के गणेशजी का नाम 'वजमुख विनायक' है, उनके हाथ में तलवार है।

* दक्षिण के गणपति को 'वजू भक्षक' कहते हैं और उनके हाथ में पुष्प माला है।

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तिब्बत के हिन्दू और बौद्ध मंदिर :-

* तिब्बत के सैकड़ों हिन्दू मंदिरों और बौद्ध विहारों के प्रवेश द्वार पर गणेश की मूर्ति विराजमान है।

* कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों से 'गणपति हृदय' नाम मंत्र जपवाया था।

* इसके सिवाए बुद्ध का ही एक चिह्न हाथी है और गणपति का मस्तक भी हाथी का है। इससे बौद्धों के देवता के रूप में गणेश प्रिय रहे होंगे।

* वैसे यहां हिन्दुओं के गणेश और बौद्धों के गजबुद्ध को एक-दूसरे के साथ प्रेम से मिलते हुए दिखाने वाले चित्र और मूर्तिया बहुतायात में उपलब्ध है।

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