हर मौसम का असर पड़ता है मिजाज पर....
वेबदुनिया डेस्क
मौसम बदल गया है। क्या आपने अपने स्वभाव में भी परिवर्तन महसूस किया है? जरा बताएं, क्या आपने कभी गौर किया है कि जब भी बारिश होती है अचानक आप गुमसुम हो जाते हैं। कभी-कभी जब तीखी धूप हो तो आप चिड़चिड़े हो जाते हैं। कभी हवा तेज चले तो आपका मन रोमांटिक होने लगता है। यह सब बातें कवि और कलाकार के कयास लगाने की नहीं है। वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया है कि मौसम का असर मिजाज पर पड़ता है।
जुलाई-अगस्त के महीनों में जब वातावरण का तापमान 250 सैल्सियस या अधिक हो जाता है और वायु में नमी की मात्रा काफी अधिक हो जाती है, तब हम बेचैनी महसूस करने लगते हैं। जैसे-जैसे ताप और आर्द्रता बढ़ती जाती है, बेचैन होने वाले व्यक्तियों की संख्या भी बढ़ने लगती है। मौसम हमारे मन, मिजाज और भावनाओं को प्रभावित करता है। जैसे अचानक तापमान गिरने से बच्चे, बूढ़े और शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति जुकाम, बुखार, निमोनिया आदि के शिकार हो जाते हैं। उसी तरह मन पर भी उदासी के बादल मौसम की देन है और खुशियों की बरखा भी मौसम का ही असर है।
वसंत में बदलते हैं विचार, बढ़ते हैं तलाक
वसंत में बदलते हैं विचार, बढ़ते हैं तलाक कहने को तो यह प्रेम ऋतु मानी गई है लेकिन आंकड़े बताते हैं कि सबसे ज्यादा डिप्रेशन और आत्महत्या के केस इसी ऋतु में आते हैं। आपराधिक घटनाओं में भी इसी काल में वृद्धि होती है। यहां तक कि तलाक के मामले भी इसी ऋतु में बढ़ रहे हैं।