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जिंदगी बचा सकता है सिटी स्‍कैन

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- डॉ. शिवरा

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कई जाँचें जिंदगी बचाने के लिए जरूरी होती हैं। सीटी स्कैन उनमें से एक है। रोग का ठीक निदान होने पर उसका इलाज भी सही तरीके से किया जा सकता है। आमतौर पर लोग सीटी स्कैनिंग जैसी महत्वपूर्ण जाँच को भी नाहक समझ लेते हैं जो कि मरीज के हित में नहीं होता।

केट स्कैन या सीटी स्कैन अर्थात कॉम्प्यूटेड एक्सिअल टोमोग्राफी एक आधुनिक प्रकार की विशेष जाँच है जिसके द्वारा शरीर के अंदरुनी अंगों को देखा व उनके रोगों का पता लगाया जा सकता है। इसमें सीटी मशीन या स्कैनर द्वारा शरीर के भीतरी हिस्सों की अलग-अलग स्तर पर अनेक इमेजेस (प्रतिबिम्ब) या चित्र लिए जाते हैं व उन्हें एक कम्प्यूटर की सहायता से इस प्रकार मिला दिया जाता है कि शरीर के अंग विशेष की ऐसी छवि प्राप्त हो जाती है जिसका अध्ययन कर बीमारी का सटीक निदान करना संभव हो जाता है। एक्स-रे एवं सोनोग्राफी से जोजानकारियाँ नहीं मिल पातीं, वे सीटी स्कैन से मिल जाती हैं। इससे शरीर के अंदरुनी अंग के किस हिस्से में गड़बड़ी है उसका बिलकुल सही-सही और बीमारी की प्रारंभिक अवस्था में ही पता लगाकर आवश्यक उपचार प्रारंभ करना संभव है। पहले सीटी स्कैन द्वारा केवल मस्तिष्क कीजाँच ही संभव थी, पर अब शरीर के किसी भी अंग का सीटी स्कैन किया जा सकता है। स्पाइरल सीटी और अल्ट्राफास्ट स्कैनर द्वारा मात्र कुछ सेकंड्स (2-3 सेकंड) में किसी भी अंग का स्कैन संभव है।

कैसे काम करता है सीटी?

जैसे आप ब्रेड या डबलरोटी की स्लाइस काटते हैं, उसी प्रकार सीटी स्कैनर भी शरीर के अंदरुनी अंग (जैसे मस्तिष्क) के अनेक स्लाइस में बिम्ब प्राप्त करता है। कम्प्यूटर द्वारा इन बिम्बों को मिलाकर उस अंग की एक बहुआयामी छवि प्राप्त कर ली जाती है। इसे कम्प्यूटर मॉनिटरपर देखा जा सकता है एवं फिल्म भी (एक्स-रे के समान) प्राप्त की जा सकती है।

क्या सीटी स्कैन सुरक्षित एवं पीड़ारहित है?

सीटी स्कैन एक अत्यंत सुरक्षित व दर्दरहित जाँच है। मरीज को बस कुछ क्षणों के लिए शांतिपूर्वक परीक्षण टेबल पर लेटे रहना पड़ता है। कभी-कभी सीटी जाँच के लिए आयोडीनयुक्त कन्ट्रास्ट इंजेक्शन या मुँह से दिया जाता है। इससे मरीज को थोड़ी बेचैनी या कभी-कभी एलर्जीहो सकती है, परंतु ऐसा बहुत ही कम होता है। फिर भी यदि आयोडीन से एलर्जी के बारे में पहले से मालूम हो तो डॉक्टर को अवश्य बता देना चाहिए। इसी प्रकार यदि गर्भावस्था हो तो भी डॉक्टर को जरूर बताना आवश्यक है, क्योंकि सीटी में भी एक्स-रे (रेडिएशन) की कुछ मात्रा अवश्य शरीर में जाती है।

सीटी स्कैन कब कराना आवश्यक है?

मस्तिष्क से संबंधित बीमारियों जैसे कुछ समय के लिए या पूरी तरह लकवा लगना, मूर्च्छा या बेहोशी, दुर्घटना आदि से सिर में चोट, मस्तिष्क के अंदर खून जमा हो जाना, मस्तिष्क में गठान (ट्यूमर) होने का संदेह, स्पाइनल कॉर्ड (रीढ़) संबंधी समस्याओं आदि में सीटी स्कैन सबसे उपयोगी, महत्वपूर्ण एवं आवश्यक जाँच है।

पेट व छाती के अंदरुनी अंगों की बीमारियों की पहचान में भी सीटी स्कैन की महत्वपूर्ण भूमिका है।

फेफड़ों, लीवर आदि के कैंसर की विभिन्न अवस्थाओं (स्टेजेस) की जानकारी भी कैट स्कैन द्वारा प्राप्त की जाती है।

कई बार सर्जन बायोप्सी जाँच, ऑपरेशन एवं कैंसर में सिंकाई (रेडियोथैरेपी) के पूर्व भी कैट स्कैन करवाते हैं ताकि जाँच, उपचार या ऑपरेशन बिलकुल ठीक-ठीक हो।

सीटी स्कैन के पहले की तैयार

सीटी स्कैन के 4 घंटे पहले से ठोस आहार लेना बंद कर देना चाहिए। पानी या इसी प्रकार के तरल पेय सीमित मात्रा में ले सकते हैं। जब कन्ट्रास्ट दिया जाना हो, तब यह सावधानी अत्यंत जरूरी है।

सीटी स्कैन के पूर्व गहने व अन्य धातु से बने सामान जैसे स्टील के बकल वाला बेल्ट, कड़े आदि उतार दिए जाते हैं।

सीटी स्कैन के दौरा

सीटी स्कैन के 4 घंटे पहले से ठोस आहार लेना बंद कर देना चाहिए। पानी या इसी प्रकार के तरल पेय सीमित मात्रा में ले सकते हैं
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मरीज को सामान्यतया टेबल पर पीठ के बल बिना हिले-डुले लेटना पड़ता है। टेबल चलायमान होती है। इसके अलावा डॉक्टर या टेक्नीशियन के निर्देशों का पालन करना आवश्यक है। व्यक्ति की तकलीफ एवं परीक्षण की जरूरत के मान से सामान्यतया 10 से 15 मिनट में जाँच पूरी होजाती है। जाँच के बाद मरीज बिना किसी रोक के अपनी पुरानी दिनचर्या अपना सकता है।

कन्ट्रास्ट मीडियम क्या है व कितने सुरक्षित है?

कई बार साधारण केट स्कैन से जाँच संभव नहीं होती तब कन्ट्रास्ट, जो प्रायः आयोडीनयुक्त होते हैं व एक्स-रे किरणों को अपने पार नहीं जाने देते (रेडियो ओपेक) का उपयोग इंजेक्शन या घोल के रूप में पिलाकर किया जाता है। इनसे शरीर में कभी-कभी गर्माहट व मुँह में धातुई स्वाद आ सकता है। ऐसा होने पर घबराने या डरने की जरूरत नहीं। कभी-कभी एलर्जी होकर मतली, उल्टी व साँस लेने में तकलीफ जैसी शिकायतें हो सकती हैं, जो सामान्य उपचार से ठीक हो जाती है। बहुत ही अपवादस्वरूप ऐसी गंभीर प्रतिक्रिया हो सकती है जिसके लिएअस्पताल में भरती करना आवश्यक हो जाए।

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