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वेलेंटाइन कविता : प्रेम का मतलब तुम
रविकांत
प्रेम-1 प्रेम का मतलब है तुम्हारे साथ रहना। प्रेम-2 तुम मुझे माफ नहीं करती पर सारे अपमान पी कर भी मैं तुम्हें मना लेता हूं। हालांकि तुम कहती हो कि इसका उल्टा ही सच है। मैं बांहें फैलाकर जरा-सा मुस्करा देता हूं। प्रेम-3 तुम्हारे खिलाफ सुनी बहुत सी बातों पर मुझे यकीन भी है। पर उनकी चर्चा मैं तुमसे कभी भी नहीं करूंगा। पता नहीं ये बात मेरे जेहन में है या तुम्हारे।