Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

ज़िंदगी उलझी रही

Advertiesment
हमें फॉलो करें ज़िंदगी उलझी रही
सतपाल ख्याल
NDND
खौफ़ से सहमी हुई है खून से लथपथ पड़ी
अब कोई मरहम करो घायल पड़ी है ज़िंदगी।

पुर्जा-पुर्जा उड़ गए कुछ लोग कल बारुद से
आज आई है खबर कि अब बढ़ी है चौकसी।

किस से अब उम्मीद रक्खें हम हिफ़ाजत की यहाँ
खेत की ही बाड़ सारा खेत देखो खा गई ।

यूँ तो हर मुद्दे पे संसद में बहस खासी हुई
हल नहीं निकला फ़कत हालात पर चर्चा हुई।

कौन अपना दोस्त है और कौन है दुश्मन यहाँ
बस ये उलझन थी जो सारी ज़िंदगी उलझी रही।

अपना ही घर लूटकर खुश हो रहें हैं वो ख्याल
आग घर के ही चरागों से है इस घर मे लगी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi