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उभर रहा है भारतीय अर्थव्यवस्था का नवस्वरूप

हमें फॉलो करें उभर रहा है भारतीय अर्थव्यवस्था का नवस्वरूप
- डॉ. शरद जैन
हमारा देश आज विश्व में एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में मान्यता प्राप्त कर गया है। इसके चार प्रमुख कारण हैं : बढ़ती विकास दर, प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी, गरीबी प्रतिशत में निरंतर गिरावट तथा आम आदमी के रहन-सहन में बदलाव। गत कुछ वर्षों से देश की विकास दर 8 प्रतिशत से ऊपर पहुँच जाने से प्रचलित भावों पर प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2001 के 18912 रु. से बढ़कर वर्ष 2007 में 21000 रु. के ऊपर पहुँच गई है।

कुल आबादी में गरीबी का प्रतिशत, जो वर्ष 1993-94 में 36 था, वह 2004-05 में घटकर 22 प्रतिशत पर आ गया है। उक्त उपलब्धियाँ देश में जारी आर्थिक सुधारों के कारण संभव हो पाई हैं। आर्थिक सुधारों के साथ अर्थव्यवस्था के विश्वव्यापीकरण के कारण देश में आम आदमी के रहन-सहन में बदलाव आया है। कुछ समय पूर्व न्यूनतम मासिक वेतन प्रदाय किया जाता था, अब उसके स्थान पर भारी वार्षिक पैकेज ने अपनी जगह बना ली है। इससे रहन-सहन के बदलाव में नया सोच उत्पन्न हुआ है। इस सोच का कारण है बाजारवाद। बाजार शक्तियाँ ही रहन-सहन में बदलाव लाने का कार्य कर रही हैं। मॉल संस्कृति उपभोक्ताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रही है। उपभोक्ता वस्तुओं की निरंतर माँग में वृद्धि के कारण नित नए मॉल्स नए-नए उत्पाद बाजार में लाकर उपभोक्ताओं पर अपनी पैठ बना रहे हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था के सशक्तीकरण का एक अन्य कारण रहा है, लगातार बढ़ती औद्योगिक गतिविधियाँ। औद्योगिक गतिविधियाँ निरंतर बढ़ने का मुख्य कारण रहा है, पीपीपी मॉडल पर हो रहा निरंतर अधोसंरचना विकास कार्य। नए-नए विद्युतगृहों के लगने से उद्योगों के लिए विद्युत उपलब्धता की निरंतरता, स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना का निर्माण, प्रमुख बंदरगाहों का इससे जुड़ना, हवाई अड्डों का विस्तार और कई को अंतरराष्ट्रीय दर्जा प्राप्त हो जाना, रेलवे सुविधाओं का आधुनिकीकरण तथा माल ढुलाई में तेजी व दूरसंचार में आई क्रांति आदि इसके प्रमुख अंग रहे हैं। बढ़ती औद्योगिक गतिविधियों के कारण शेयर बाजार का भी अत्यधिक विस्तार हुआ है।

बीएसई तथा एनएसई विश्व के प्रमुख शेयर बाजारों में अपना स्थान बना चुके हैं तथा भारतीय शेयर बाजार में देश के निवेशकों के साथ-साथ विदेशी संस्थागत एवं अन्य निवेशकों की आस्था बढ़ी है। एफआईआई के लिए भारत एक आदर्श निवेश स्थल बन चुका है। स्टॉक, म्यूच्युअल फंड तथा अन्य क्षेत्रों में एफआईआई भारी निवेश कर रहे हैं। प्रोजेक्ट्स के आधार पर अन्य निवेशक भी अपना धन नियोजित कर रहे हैं।

इस कारण भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 300 अरब डॉलर के ऊपर पहुँच चुका है तथा उसने अब तक का नवकीर्तिमान स्थापित कर लिया है। देश में विदेशी पूँजी निवेश लाकर आर्थिक एवं मौद्रिक गतिविधियों को बढ़ावा देने हेतु विदेशी बैंकों को देश में अपना व्यवसाय करने की सुगम अनुमति प्राप्त है। इसी तरह बीमा क्षेत्र को निजी कंपनियों द्वारा अपना व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए कई मान्य विदेशी कंपनियाँ भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर जीवन व सामान्य बीमा क्षेत्रों में प्रवेश पा गई हैं। आम उपभोक्ताओं को इससे वांछित लाभ प्राप्त हो रहा है।

अर्थव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र में निजी निवेशकों को प्रवेश मिलने से सरकारी एकाधिकार का युग समाप्त हो गया है। अर्थव्यवस्था में नवयुग प्रारंभ होकर इसका हितकर संचार हो रहा है।
इधर भारतीय कंपनियों द्वारा विश्व विख्यात विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण हुआ है। ऑटोमोबाइल्स, फार्मास्युटिकल्स, स्टील और आईटी सेवा क्षेत्र से जुड़ी कई भारतीय कंपनियों ने विश्व की ख्यात कंपनियों का अधिग्रहण कर लिया है। विश्व में भारतीय आज सबसे बड़े स्टील निर्माता के रूप में स्थापित हो गए हैं। उधर विश्व की कुछ बड़ी कंपनियों ने भारतीय कंपनियों का भी अधिग्रहण किया है। कई प्रमुख भारतीय इंजीनियरिंग फर्मों द्वारा विदेशों में तेल, गैस, कोयला निकालने हेतु वहाँ की सरकारों तथा निजी फर्मों की साझेदारी में खुदाई का कार्य किया जा रहा है। हमारे कुछ उद्योगपतियों ने पहली बार विश्व के गिने-चुने अमीरों की जमात में अपना विशिष्ट स्थान बनाया है। इससे विश्व में भारतीयों को नई गरिमामय पहचान मिली है।

सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत विश्व में अपनी पैठ जमाने में पूर्ण सफल हुआ है। सकल राष्ट्रीय आय में आईटी क्षेत्र का योगदान 52 प्रतिशत तक पहुँच गया है। कुल भारतीय निर्यात में सबसे अधिक हिस्सा हमारे सॉफ्टवेयर का हो गया है। इसी कारण भारतीय विशेषज्ञता ने विश्व स्तर पर अपनी पहचान स्थापित कर ली है। विदेशों में हमारे विशेषज्ञ बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सीईओ नियुक्त किए गए हैं। इससे विश्व में भारतीयता को नई पहचान मिली है।

इसके ठीक विपरीत कई भारतीय विषय विशेषज्ञ ऊँचे वेतनमान एवं मनचाही सुविधाओं की प्राप्ति के कारण योरप, अमेरिका, कनाडा आदि देशों में जाकर स्थायी रूप से बस गए हैं। चूँकि वर्तमान में तुलनात्मक रूप में कई भारतीय कंपनियों द्वारा वहाँ से अधिक वेतनमान तथा वांछित सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं, फलतः वहाँ बसे भारतीय डॉक्टर्स, मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स, आईटी विशेषज्ञ स्वदेश लौट आए हैं तथा लौट रहे हैं। गत कतिपय वर्षों से यह परिवर्तन आकार ले रहा है। इसके साथ कई विदेशी विषय विशेषज्ञों का उच्चतम वेतन पर भारत में नौकरी प्राप्त करने हेतु निरंतर आना जारी है।

पोखरण विस्फोट के पश्चात भारत अब विश्व के परमाणु संपन्न देशों की पंक्ति में खड़ा हो गया है। इससे निश्चित ही देश की सुरक्षा एवं स्वाभिमान में अभिवृद्धि हुई है। भारत ने सफलतापूर्वक अपने स्वयं के उपग्रह प्रक्षेपित कर दिए हैं। अन्य देशों को उपग्रह प्रक्षेपित करने की व्यावसायिक सुविधा विकसित कर सुगमता से उपलब्ध करा दी है। जमीन से जमीन पर तथा हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें भी भारत ने विकसित कर ली हैं तथा इसमें निरंतर उन्नयन तथा विकास होता ही जा रहा है।

सरकार द्वारा देश की स्थानीय संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारी 33 से लेकर 50 प्रतिशत तक सुनिश्चित कर दी गई है। महिलाओं के लिए संबंधित पद भी आरक्षित किए जा चुके हैं। भारतीय संविधान में संशोधन कर जिले से ग्राम पंचायत स्तर तक चुनाव के माध्यम से आमजन की सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित की जा चुकी है।

विश्व की सभी तरह की कारें तथा दोपहिया वाहनों के मॉडल्स देश में विश्वसनीय स्तर पर निर्मित किए जा रहे हैं। सबसे छोटी एवं सस्ती कार विकसित की जा चुकी है। माँग के अनुसार वाहनों की तुरंत उपलब्धि अब संभव हो गई है। पंद्रह से बीस हजार रुपए उपलब्ध होने पर वित्तीय संस्थानों से अपेक्षित वाहन किस्तों पर उपलब्ध हो सकता है। देश में पहली बार बड़े पैमाने पर प्रत्येक गाँव को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत पक्की सड़कों से जोड़ने का कार्य आरंभ किया जा चुका है।

जिन ग्रामों की आबादी 1000 के लगभग है, वे सभी पक्की सड़कों से जोड़े जा चुके हैं। वर्तमान में 500 तक की आबादी वाले ग्रामों में पक्की सड़कें बनाने का कार्य जारी है। देश के लगभग 95 प्रतिशत गाँव विद्युत प्रदाय लाइनों से जोड़े जा चुके हैं। कई राज्यों में अबाध विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूती आई है। फलस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों में कई कृषकों ने अपने पक्के मकान बनवा लिए हैं।

अनुसूचित जाति, जनजाति तथा अन्य पिछड़ी जातियों के लिए शिक्षा व नौकरी में 50 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित कर दिए जाने से इन सभी वर्गों के परिवारों में आर्थिक एवं सामाजिक सुरक्षा का वातावरण निर्मित हो गया है। सरकार के साथ-साथ चुनिंदा निजी क्षेत्रों में भी नौकरी के लिए आरक्षण दिए जाने से इन वर्गों की आय में अभिवृद्धि हुई है।
(लेखक एशियन डेवलपमेंट बैंक के वरिष्ठ आर्थिक एवं वित्तीय सलाहकार रह चुके हैं।)

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