भारत में राजनीतिक और अन्य कारणों से अल्पसंख्यकों का जिक्र ही नहीं, वरन इस तरह से जाप किया जाता है मानो उनके बिना इस देश का कोई भविष्य ही नहीं है। ऐसा लगता है जैसे हमारे देश में अल्पसंख्यकों का होना एक ऐसी दुर्लभ उपलब्धि है, जिसके चलते भारत दुनिया का महानतम देश है।
FILE
वहीं भारत के पड़ोस में पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे तथाकथित इस्लामी देशों में अल्पसंख्यकों के बारे में सोचना तक पाप समझा जाता है। इन देशों में पता ही नहीं चलता कि वहां अल्पसंख्यक रहते भी हैं या नहीं और इन देशों में उनके वजूद का कोई अर्थ है भी या नहीं।
इस संबंध में कहा जा सकता है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में यह स्थिति सदैव से नहीं थी और समय के गुजरने के साथ-साथ यहां अल्पसंख्यक होना एक ऐसा पाप हो गया है, जो कि नर्क में रहने के लिए अभिशप्त हैं जबकि भारत में जितने भी अल्पसंख्यक हैं, उन्हें बहुसंख्यकों से ज्यादा स्वतंत्रता और सम्मान हासिल है।
विभाजन ने बदल दिया लोगों का जीवन... पढ़ें अगले पेज पर....
स्वतंत्रता से पहले अविभाजित भारत में हिंदू, सिख, पारसी, यहूदी और ईसाई रहते थे, पर देश विभाजन के बाद दोनों हिस्सों की ओर बड़े पैमाने पर भगदड़ मची और लाखों-करोड़ों लोगों का जीवन हमेशा के लिए बदल गया।
FILE
लेकिन दुख की बात यह है कि विभाजन का नासूर अभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं हो सका है और विभाजन के लिए जो कारण जिम्मेदार थे और इसके लिए जो नीतियां जिम्मेदार थीं, वे अभी भी चलाई जा रही हैं।
विभाजन के बाद जहां भारत लोकतांत्रिक शैली को अपने अनुरूप बनाने की कोशिश के लिए संघर्ष कर रहा है, वहीं पाकिस्तान और बांग्लादेश में कथित इस्लामी व्यवस्था को अपनाया गया है।
इसका सीधा परिणाम यह है कि इन दोनों देशों में धार्मिक कट्टरता और दमन बढ़ता जा रहा है। इस मामले में आप पाकिस्तान को एक अघोषित 'आतंकवादी देश' का दर्जा दे सकते हैं, जहां भारत के साथ क्रिकेट भी युद्ध की तरह से खेला जाता है।
अब कितनी है पाकिस्तान में हिन्दुओं की आबादी ... पढ़ें अगले पेज पर...
धार्मिक उन्माद का यह हाल है कि अल्पसंख्यकों का दमन तो बदस्तूर चलता ही रहता है, मुस्लिमों के अलग-अलग समुदायों में भी मार-काट होती रहती है। अहमदिया, बहाई जैसे लोगों को मुस्लिम ही नहीं माना जाता तो मुहाजिर और गैरमुहाजिर तथा शिया और सुन्नियों के बीच वर्चस्व की लड़ाई चलती है।
FILE
कट्टरपंथी सुन्नियों का बस चले तो वे पाकिस्तान को शियाओं से ही खाली कर दें। यह स्थिति तब है जबकि पाकिस्तान के जनक मुहम्मद अली जिन्ना खुद एक गुजराती शिया थे।
लेकिन इन स्थितियों और परिस्थितियों के बावजूद पाकिस्तान और बांग्लादेश के निर्माण में अल्पसंख्यकों खासतौर पर हिंदुओं, ईसाइयों और यहूदियों ने काफी योगदान किया है। यह बात सभी जानते हैं कि हिंदू शब्द की उत्पत्ति सिंधु से हुई और जिसे एक पवित्र नदी माना जाता है।
सिंधु के प्रदेश को सिंध कहा जाता है और इस भू-भाग ने हिंदू धर्म और हिंदुत्व के विकास में बहुत योगदान दिया है, पर अब स्थितियां बहुत बदल गई हैं। एक समय पर पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी 20 फीसद तक थी लेकिन अब इस देश में हिंदू मात्र 1.85 फीसद रह गए हैं।
पाकिस्तान में कम नहीं है अल्पसंख्यकों का योगदान...पढ़ें अगले पेज पर...
महाभारत काल में सिंध एक महत्वपूर्ण भू-भाग था। ऐसा कहा जाता है कि लाहौर की स्थापना लव और कसूर शहर की स्थापना कुश ने की थी। इतना ही नहीं, पेशावर और मुल्तान जैसे शहरों में हिन्दू संस्कृति और संस्कृति की जड़ों को पाया जा सकता है।
FILE
भले ही इस बात को पाकिस्तान के कट्टरपंथी शासक स्वीकार न करें लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि पाकिस्तान के निर्माण में अल्पसंख्यकों के योगदान की अनदेखी नहीं की जा सकती है।
वास्तव यह कहना भी गलत नहीं होगा कि देशों में बहुसंख्यक नहीं, वरन अल्पसंख्यक समुदाय किसी देश को आकार देते हैं। धर्म के आधार पर बंटवारे के बाद पाकिस्तान का 1971 में एक और विभाजन हुआ और बांग्लादेश अस्तित्व में आया। शेष हिस्सा जो पश्चिमी पाकिस्तान था, अब पाकिस्तान बनकर रह गया है।
आश्चर्य की बात है कि धार्मिक विभाजन के आधार पर बने इन देशों में से किसी का भी नाम मुस्लिमिस्तान या इस्लामिस्तान नहीं रखा गया वरन इसे 'पाकिस्तान' (पवित्र स्थान) कहा गया।
सबसे पहले 'पाकिस्तान' शब्द को प्रचलन में लाने का श्रेय चौधरी रहमत अली को है, जो कि पाकिस्तान आंदोलन के एक सक्रिय कार्यकर्ता थे। उन्होंने 1934 में एक पर्चा (पैम्पलेट) प्रकाशित कराया था और जिसमें कहा गया था कि पाकिस्तान अभी बने या फिर कभी नहीं बन पाएगा।
पाकिस्तान के बड़े नेता, जो भारत में जन्मे थे... पढ़ें अगले पेज पर...
पाकिस्तान एक मिश्र शब्द है, जो कि ब्रिटिश राज की पांच इकाइयों पंजाब, अफगानिया (जिसे अब नॉर्थ-वेस्ट फ्रंटियर प्रॉविंस कहा जाता है), कश्मीर, सिंध और बलूचिस्तान के प्रारंभिक अक्षरों से मिलकर बना था। पर अब ये 8 प्रांतों पंजाब, आजाद जम्मू और कश्मीर (एजेके), इस्लामाबाद कैपिटल टैरिटरी (आईसीटी), सिंध, फेडरल एडमिनिस्टर्ड ट्राइबल एरियाज (एफएटीए), बलूचिस्तान, गिलगित-बाल्टिस्तान और एनडब्ल्यूएफपी में बंटा हुआ है।
FILE
भारत का विभाजन होने से पहले पाकिस्तान के प्रमुख बड़े नेता भारत में पैदा हुए और भारत के कई बड़े नेता पाकिस्तान में पैदा हुए थे। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का जन्म दरियागंज, दिल्ली की नगर वाली हवेली में हुआ था। पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली का जन्म करनाल (हरियाणा) में हुआ था।
बलूचिस्तान के 7 साल तक गवर्नर और मार्शल लॉ एडमिनिस्ट्रेटर जनरल रहीमुद्दीन खान का जन्म कायमगंज (फर्रुखाबाद) में हुआ था। 1977 में एक सैनिक विद्रोह के बाद सत्ता में आए जनरल मुहम्मद जिया उल हक का जन्म जालंधर (पंजाब) में हुआ था। विभाजन के समय इन सभी लोगों के परिवार पाकिस्तान चले गए थे।
...और भारत की हस्तियां, जो पाकिस्तान में पैदा हुईं... पढ़ें अगले पेज पर....
FILE
इसी तरह बहुत सारे बॉलीवुड सितारे पाकिस्तान के शहरों में पैदा हुए थे। पृथ्वीराज कपूर का जन्म समुद्री, फैसलाबाद में हुआ था। राजकपूर पेशावर में जन्मे थे और देव आनंद का जन्म शकरगढ़ में हआ था तो सुनील दत्त खुर्द, झेलम (पंजाब) में जन्मे थे। मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार भी पाक में ही जन्मे हैं।
राजकुमार का जन्म बलूचिस्तान में हुआ था और भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह (गाह, पंजाब), आईके गुजराल (झेलम, पंजाब) और लालकृष्ण आडवाणी कराची में पैदा हुए थे। प्रसिद्ध क्रिकेटर लाला अमरनाथ लाहौर में पले-बढ़े थे।
बॉलीवुड की फिल्मों में भी पाकिस्तान से जुड़ाव देखने को मिलता है। युद्ध और खेल पर आधारित फिल्मों के अलावा पाकिस्तान की थीम पर कई फिल्में बनी हैं। वर्ष 1949 में फिल्म बनी थी 'लाहौर' जिसमें नरगिस और करण दीवान की मुख्य भूमिकाएं थीं।
2010 में भी 'लाहौर' फिल्म बनी थी और 2007 में नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी अभिनीत 'शूट ऑन साइट' फिल्म बनी थी। इसी तरह पाकिस्तानी फिल्मकारों ने 'खुदा के लिए' (2007) और 'रामचंद पाकिस्तानी' जैसी फिल्में बनाई हैं।
मोहम्मद अली जिन्ना के दादा हिन्दू थे और भुट्टो के पूर्वज भी... पढ़ें विस्तार से अगले पेज पर...
पाकिस्तान के जितने भी संस्थापक हुए हैं उनकी पुश्तैनी जड़ें हिंदू धर्म से जुड़ी रही हैं। इन सभी के पूर्वज हिंदू थे और ये बाद में मुस्लिम बन गए थे। पाकिस्तान के संस्थापक और पहले गवर्नर जनरल मुहम्मद अली जिन्ना, मीठीबाई और जिन्नाभाई पूंजा की संतान थे, जो कि गुजरात से सिंध चले आए थे।
जिन्ना के दादा पूंजा गोकुलदास मेघजी एक हिंदू भाटिया राजपूत थे जिनका काठियावाड़ की गोंडल सियासत के पानेली गांव से संबंध था। जिन्ना के पूर्वज हिंदू राजपूत थे जिन्होंने इस्लाम स्वीकार कर लिया था।
पाकिस्तान के राष्ट्रकवि और 'सारे जहां से अच्छा...' के रचयिता अल्लामा मुहम्मद इकबाल के पिता शेख नूर मुहम्मद एक संपन्न दर्जी थे। उनके दादा सहजराम सप्रू इस्लाम स्वीकार करने के बाद सियालकोट में आ बसे थे।
पाकिस्तान के चौथे राष्ट्रपति और नौवें प्रधानमंत्री रहे जुल्फिकार अली भुट्टो खुर्शीद बेगम से पैदा हुए थे जिनका विवाह पूर्व नाम लाखीबाई था। उनके पिता सर शाहनवाज भुट्टो, गुलाम मुर्तजा भुट्टो के बेटे थे, जो कि एक राजपूत परिवार में पैदा हुए थे और जिन्होंने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था। एक हिन्दू ने लिखा था पाकिस्तान का पहला राष्ट्रगीत....
अविभाजित भारत के ईसा खेल में पैदा हुए जगन्नाथ आजाद एक प्रमुख उर्दूभाषी हिंदू शिक्षाशास्त्री थे जिन्होंने पाकिस्तान का सबसे पहला राष्ट्रगीत लिखा था। पाक के कौमी तराने (राष्ट्रगीत) को आजाद ने कुछ इस तरह लिखा था- 'ए सरजमीने पाक, जर्रे तेरे हैं आज सितारों से ताबनाक, रोशन है कहकशां से कहीं आज तेरी खाक, ए सरजमीने पाक।'
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1947 में खुद जिन्ना ने आजाद से कौमी तराना लिखने को कहा था। इसका उपयोग करीब डेढ़ वर्ष तक ही हो सका था, क्योंकि आजाद के प्रतिद्वंद्वी बीटी बघार से उनकी रचना को चुनौती दी जाने लगी थी। जिन्ना चाहते थे कि धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देने के लिए उर्दू के किसी जानकार हिंदू से राष्ट्रगीत लिखवाया जाए। बाद में आजाद भारत में आ गए थे।
वर्ष 1950 में पाकिस्तान सरकार ने एक नया राष्ट्रगीत 'पाक सरजमीं शाद बाद' को स्वीकार किया। इसे जालंधर (पंजाब) में पैदा हुए हफीज जलंधरी ने लिखा था। जन्म से भारतीय जलंधरी ने कश्मीर का भी राष्ट्रगीत 'वतन हमारा आजाद कश्मीर' लिखा। उन्होंने एक प्रसिद्ध कविता भी लिखी थी। यह थी- 'अभी तो मैं जवान हूं' और इसे मलिका पुखराज ने गाया था और इसका रूपांतर योगेश सेठी ने किया था।
पाकिस्तान के पॉप बैंड 'वाइटल साइंस' का गाना 'दिल-दिल पाकिस्तान, जां-जां पाकिस्तान' एक देशभक्ति पूर्ण गीत के तौर पर बहुत प्रसिद्ध हुआ और इसे पाकिस्तान के पॉप राष्ट्रगीत या दूसरे राष्ट्रगीत का दर्जा मिला। 2003 में बीबीसी ने एक सर्वेक्षण के बाद निष्कर्ष निकाला था कि पाकिस्तान के दस सर्वाधिक प्रसिद्ध गीतों में 'दिल-दिल पाकिस्तान' को तीसरा स्थान हासिल है। पाकिस्तान का गीत 'पाकिस्तान जिंदाबाद, आजादी पैंदाबाद' भी लोकप्रिय है।
इन हस्तियों के बारे में भी जान लें...
पाकिस्तान के हिंदुओं ने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक तौर पर अपने साथ-साथ देश का नाम भी रोशन किया है। अनूप रवि ने क्रिकेट, भेरूलाल बालानी ने राजनीति, राणा भगवानदास ने कानून के क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल की हैं।
विदित हो कि राणा भगवानदास पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रहे हैं। उन्हें मु्ख्य न्यायाधीश इसलिए नहीं बनाया गया, क्योंकि पाकिस्तान में कोई भी गैर-मुस्लिम देश की सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नहीं बन सकता है। इनके साथ ही कृष्ण भील राजनीतिज्ञ रहे हैं। अशोक चांदवानी भारत में पैदा हुए पाकिस्तान पले-बढ़े कनाडा के प्रसिद्ध पत्रकार हैं।
हिंदू अनिल दलपत पहले ऐसे क्रिकेटर थे जिन्हें पाकिस्तान की ओर से टेस्ट क्रिकेट खेलने का मौका मिला था। इसी तरह पूर्वी पाकिस्तान के ब्रजेन दास ऐसे पहले एशियाई थे जिन्होंने चार बार इंग्लिश चैनल को तैरकर पार किया था।
पूर्वी पाकिस्तान के ही प्रसिद्ध वकील धीरेन्द्रनाथ दत्ता एक राजनीतिज्ञ भी रहे थे। सोभो ज्ञानचंदानी सोशल साइंटिस्ट होने के साथ एक सफल लेखक भी रहे। जोगेन्द्र नाथ मंडल विधि और श्रम विभाग के पहले मंत्री रहे और दानिश कनेरिया, लाल कुमार प्रसिद्ध क्रिकेटर हैं।
अमर लाल पाकिस्तान में अल्पसंख्यक मामलों के प्रधानमंत्री के सलाहकार रहे हैं। रमेश लाल पीपीपी के प्रसिद्ध नेता हैं। फैशन डिजाइनर दीपक पेरवानी का काम सारी दुनिया में सराहा जाता है। नवीन पेरवानी गैर पेशेवर स्नूकर खिलाड़ी हैं।
राजेश रमेश क्रिकेटर हैं तो हरेश शर्मा ऐसे नाटककार हैं, जो कि पाकिस्तानी माता-पिता की संतान हैं और सिंगापुर में पैदा हुए थे। राणा चंद्र सिंह एक राजनीतिज्ञ हैं तो राणा प्रसाद को एक सोडा राजपूत शासक के तौर पर जाना जाता है। सुरेनद्र वालासाई अंग्रेजी के पहले पत्रकार हैं।
हरचरण सिंह पहले ऐसे सिख अधिकारी हैं जिन्हें 27 अक्टूबर 2007 को पाकिस्तानी सेना में नियुक्त किया गया था। राजा त्रिदेव रॉय बांग्लादेश के चटगांव चकमा आदिवासियों के पूर्व राजा थे, जो कि प्रसिद्ध पाकिस्तानी लेखक, धार्मिक नेता और राजनीतिज्ञ भी थे जिनका पिछले वर्ष निधन हो गया। वे बौद्ध धर्म के अनुयायी थे और इस्लामाबाद में रहते थे तथा एक समय पर केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे थे। यह हिन्दू राजा पाकिस्तान में रहते थे... आगे पढ़ें...
उनके बारे में अहम बात यह है कि वे एक हिंदू राजा होने के बावजूद पाकिस्तान में रहते थे और उन्होंने बांग्लादेश के निर्माण का भी विरोध किया था। बांग्लादेश ने संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के लिए जो आवेदन किया था, उसका पाकिस्तान ने विरोध किया था और राजा त्रिदेव रॉय के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल संयुक्त राष्ट्र में भेजा था। वे चार देशों में पाकिस्तान के राजदूत भी रहे थे। उन्हें पाकिस्तान में बौद्ध समुदाय का सबसे बड़ा नेता माना जाता रहा है।
पाकिस्तान में काफी संख्या पारसियों की भी है, जो कि पाकिस्तान में अपना और अपने समुदाय का नाम रोशन करने में सफल रहे हैं। बिरम दिनशाजी अवारी प्रसिद्ध कारोबारी हैं। मिनोशेर भंडारा भी कारोबारी हैं। अर्देर्शिर कॉवसजी को समाचार पत्रों में उनके स्तंभों के कारण जाना जाता है।
अबान मरकार कबराजी एक प्रसिद्ध जीव वैज्ञानिक हैं तो जमशेद मारकर एक राजनयिक हैं। दीना एम. मिस्त्री एक प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री हैं और दोराब पटेल पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश हैं। गोदरेज सिधवा अगर धार्मिक शिक्षक हैं तो बाप्सी सिधवा को उनकी लेखन प्रतिभा के लिए सारी दुनिया में जाना जाता है। इन्होंने हिन्दू होने का नुकसान भी उठाया... पढ़ें अगले पेज पर....
हालांकि हिंदू होने के कारण राणा भगवानदास पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस नहीं बन सके लेकिन जस्टिस एआर कार्नेलियस देश के पहले ईसाई चीफ जस्टिस बनने में सफल रहे थे। पाकिस्तान एयर फोर्स के एक प्रसिद्ध फाइटर पायलट का नाम पीटर ओ रायली है और वे ईसाई हैं।
क्रिकेटर यूसुफ योहाना ने इस्लाम स्वीकार कर लिया और वे मोहम्मद यूसुफ बन गए जबकि इससे पहले उन्हें एक ईसाई क्रिकेटर के तौर पर जाना जाता है। ब्रिटेन में रोचेस्टर के बिशप एमिरेटस माइकल नजीर अली एक पाकिस्तानी ईसाई हैं।
पाकिस्तान में कई प्रमुख ईसाई पादरी भी हैं जिन्हें एंथनी थियोडोर लोबो, जोसेफ कोट्स और जोशुआ फजल उद्दीन के नाम से जाना जाता है। जिया अली एक ईसाई होने के साथ-साथ मॉडल और अभिनेत्री हैं, मार्टिन बशीर एक प्रसिद्ध पत्रकार हैं और सेसिल चौधरी एक फाइटर पायलट हैं और इन सबके साथ वे एक ईसाई भी हैं।
एक ईसाई माइकल चौधरी सफल कारोबारी हैं तो अंताओ डिसूजा एक प्रसिद्ध क्रिकेटर। गुलशन ईस्टर एक प्रसिद्ध लेखिका हैं और उनके बारे में एक खास बात यह है कि वे एक मुस्लिम से ईसाई बनी हैं। अगले पेज पर पढ़ें... पाकिस्तानी ईसाइयों के बारे में जानकारी...
राशेल गिल (मॉडल, अभिनेत्री, टीवी होस्ट), मेक्काल हसन (संगीतकार, रिकॉर्ड प्रोड्यूसर), आयरीन परवीन (गायिका) और ईस्टर जॉन एक प्रसिद्ध नर्स हैं लेकिन इन सब में एक बात कॉमन यह है कि ये सभी ईसाई हैं।
इसी तरह सुनीता मार्शल प्रसिद्ध मॉडल हैं, माइकल मसीह फुटबॉलर हैं, वालिस मथायस क्रिकेटर हैं, मर्विन ए. मिडिलकॉट फाइटर पायलट हैं, इंदु मिट्ठा भरतनाट्यम की जानकार हैं, ए. नैयर गायिक हैं, जूलियस सालिक एक कार्यकर्ता हैं और डंकन शार्प क्रिकेटर अन्य प्रमुख पाकिस्तानी ईसाई हैं।
इन सबके अलावा कराची के यहूदी उपासनागृह के नेता अब्राहम रियूबेन को 1936 में कराची सिटी कॉरपोरेशन का काउंसिलर बनाया गया था। एक समय पाकिस्तान में करीब 1300 यहूदी थे लेकिन अब पूरे देश में इनकी संख्या करीब 500 रह गई है और यह भी एक मोटा अनुमान है।
इसका कारण यह है कि यहूदी कट्टरपंथी पाकिस्तान में सबसे ज्यादा असुरक्षित अल्पसंख्यक हैं और इस देश में ऐसा वातावरण नहीं है कि वे यहां रहकर अपने समुदाय और अपने देश के लिए कुछ करने की स्थिति में होंगे। (समाप्त)