पर्यटकों को लुभाने में राजस्थान अग्रणी राज्य बनता जा रहा है। खासतौर से विदेशी सैलानियों के लिए रणबांकुरों, त्याग, तपस्या तथा बलिदान की अनूठी गाथाओं को अपने अंचल में समेटे शौर्य और साहस की इस धरती पर घूमने आना एक सुखद अनुभव होता है।
राजस्थान घूमने के दौरान पर्यटक राजा-महाराजाओं के इतिहास, उनकी जीवन शैली एवं प्रदेश की कला संस्कृति को ही नहीं देखना चाहते, बल्कि उससे परिचित भी होना चाहते है। प्रदेश के पर्यटक स्थल, कला तथा संस्कृति के साथ यहां का समृद्व साहित्य भी सैलानियों को आकर्षित करता है।
राजस्थान की रंगीली धरती के रंग भी निराले है। कहीं ऊंची नीची अरावली की पहाड़ियां है, तो कहीं गुरुशिखर और कहीं पठार और मैदान हैं। राजा-महाराजाओं के इतिहास तथा शौर्य को दर्शाते चितौडगढ़, कुंभलगढ़, रणथंभौर, लोहागढ, तथा बालाकिला जैसे विशाल किले तथा दुर्ग और प्राचीन हवेलियों पर उत्कीर्ण स्थापत्य कला सैलानियों के दिल को छूकर राजस्थान के गौरव से परिचित कराती हैं।
रणथंभौर, सरिस्का केवलादेव तथा तालछापार जैसे अभयारण्य वन्य जीव तथा पक्षी प्रेमियों को लुभाते है। सांस्कृतिक वैभव ऐसा है कि जो एक बार राजस्थान आता है वह बार-बार इस धरा पर आने की तमन्ना रखता है।
राज्य में पर्यटन प्रोत्साहन एवं संवर्द्धन के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राज्य सरकार की ओर से उठाए गए कारगर कदमों का परिणाम है कि विदेशी सैलानियों को लुभाने में राजस्थान देश के शीर्ष पांच राज्यों में शुमार है। भारत आने वाले सौ सैलानियों में से 7 सैलानी पर्यटन के लिए राजस्थान को चुनते है।
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राज्य सरकार की ओर से पर्यटन को बढा़वा देने के लिए किए गए प्रयासों से 13 दिसंबर 2008 से 31 अक्टूबर 2012 तक पिछले चार सालों के दौरान राज्य में 49 लाख 30 हजार विदेशी पर्यटक आए, जबकि इस अवधि में राजस्थान आने वाले देशी पर्यटकों की तादाद 1050 लाख 67 हजार रही। पर्यटन विभाग के अनुसार 8 दिसंबर 2003 से 31 अक्टूबर 2007 तक पूर्ववर्ती सरकार के चार वर्षों के दौरान प्रदेश में 42 लाख 59 हजार विदेशी सैलानी आए थे एवं इसी अवधि में 789 लाख एक हजार देशी सैलानी राजस्थान में पर्यटन के लिए भ्रमण पर आए थे।
सरकार ने पर्यटन को बढा़वा देने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की है, जिससे घरेलू एवं विदेशी सैलानियों में राज्य के पर्यटन स्थल देखने के प्रति आकर्षण बढा़ है। सैलानियों को लुभाने के लिए ग्रामीण पर्यटन पर जोर देकर 26 जिलों के 27 गांव विकसित किए गए हैं। इसमें वर्ष 2009-10 एवं 2010-11 में 7 जिलों के 8 गांवों में विकास कार्य पूरे कराए गए, जिन पर 375 लाख रुपए खर्च हुए।
वर्ष 2011-12 में 12 जिलों के 12 गांवों में 600 लाख रुपए के तथा चालू वर्ष 2012-13 में 7 जिलों के 7 गांवों में 350 लाख रुपए के विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। महानगरों में रहने वाले लोग आपाधापी की इस व्यस्त जिंदगी में कुछ समय गांव की माटी से रू..ब..रू होकर अपने परिवार को सुकून देना चाहते हैं, इससे ग्रामीण पर्यटन को बढा़वा मिल रहा है।
पर्यटन को बढा़वा देने के लिए नवाचार अपनाने में भी राजस्थान आगे रहा है। ट्रेन टूरिज्म में राजस्थान की सिरमौर स्थिति को और मजबूत करते हुए पैलेस ऑन व्हील्स की तर्ज पर रेल मंत्रालय के सहयोग से रॉयल राजस्थान ऑन व्हील्स नाम से दूसरी पर्यटक रेल 11 जनवरी 2009 से शुरू की गई है। इसके अलावा जयपुर में द ग्रेट इंडियन ट्रेवल बाजार 2009 में 19 से 21 अप्रैल, वर्ष 2010 में 11 से 13 अप्रैल तथा वर्ष 2011 में 17 से 19 अप्रैल तक सफलतार्पूवक आयोजन किया गया। यह मार्ट भारत में किसी भी राज्य सरकार की ओर से प्रायोजित पहला अंतरराष्ट्रीय ट्रेवल मार्ट है।
ग्रामीण पर्यटन को बढा़वा देने के मकसद से पर्यटन विभाग ने पहली बार आभानेरी उत्सव का आयोजन 29 से 31 दिसंबर 2008 को चांद बावडी़, आभानेरी दौसा में किया।
राजस्थान को साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में स्थापित करने के दृष्टिकोण से पुष्कर मेले के दौरान 17 से 20 नवंबर 2010 तक अंतरराष्ट्रीय हॉट एयर बैलून उत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें 8 देशों की बैलून टीमों ने हिस्सा लिया। अंतरराष्ट्रीय पतंग उत्सव का आयोजन पिछले साल 5 से 7 जनवरी तक उदयपुर में किया गया, जिसमें देश-विदेश के ख्याति प्राप्त पतंगबाजों ने भाग लिया।
साल 2012 में अंतरराष्ट्रीय पतंग उत्सव राजस्थान दिवस समारोह में 28 से 30 मार्च तक आयोजित किया गया, जिसमें देशी तथा विदेशी ख्याति प्राप्त पतंगबाजों ने जौहर दिखाए।
राज्य सरकार की ओर से सैलानियों को आकर्षित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों का परिणाम है कि चार वर्षों के दौरान राजस्थान को 17 पुरस्कारों से नवाजा गया है।
पर्यटन क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहन देने की दृष्टि से राज्य सरकार ने पर्यटन इकाई नीति 2007 की अवधि मार्च 2013 तक बढा़ई है। इस नीति के तहत पर्यटन इकाइयों के लिए ग्रामीण इलाकों में सरकारी जमीन भूमि का आवंटन, स्थानीय डीएलसी दरों पर किया जा रहा है।
एग्रो प्रोसेसिंग इकाइयों की तरह पर्यटन इकाइयों के लिए जिला कलेक्टर को 10 हैक्टेयर तक भूमि का रूपांतरण करने के अधिकार दिए गए हैं।
प्रदेश में विशेष पर्वों एवं धार्मिक स्थलों के मेलों के सुचारू आयोजन एवं धार्मिक स्थलों पर जाने वाले श्रद्घालुओं की सुरक्षा तथा यात्रा के दौरान आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य स्तरीय मेला प्राधिकरण का गठन किया गया है। राज्य में पर्यटन इकाइयों की 803 परियोजनाएं अनुमोदित की गई हैं, जिनमें लगभग 6143.37 करोड रुपए के विनियोजन की संभावना है।
राजस्थान की कला-साहित्य एवं संस्कृति सबसे समृद्घ एवं गौरवशाली रही है। यहां की वीर प्रसूता भूमि के कण-कण में कला-संस्कृति रची-बसी हुई है।
यूनेस्को ने जयपुर के जंतर-मंतर को वर्ल्ड हेरिटेज साइट सूची में शामिल किया है। चित्तौडगढ़ किला एवं बाडमेर के किराडू मन्दिर समूह को इस सूची में शामिल कराने के लिए पर्यटन विभाग की ओर से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग नई दिल्ली को प्रस्ताव भेजे गए हैं।
इसके अलावा राज्य में स्थित ऐतिहासिक बावड़ियों एवं किलों का यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट पर सीरियल नोमिनेशन दर्ज कराने के क्रम में गागरोन किला, झालावाड़, रणथंभौर, सवाई माधोपुर, कुंभलगढ़, राजसमंद, आमेर, जयपुर तथा चित्तौडगढ़ किले के डोजियर तैयार करके यूनेस्को को भेजे गए हैं। पुरातत्व एवं संग्रहालय के तहत प्रदेश के ऐतिहासिक स्मारकों, प्राचीन धरोहरों तथा संग्रहालयों में संरक्षण, जीर्णोद्घार, सौंदर्यीकरण एवं विकास कार्य कराए गए हैं। (वार्ता)