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अमेरिका में 'हिट' हो रही है हिन्दी

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अब अमेरिका में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो कि मुंबई में काम पाने या बॉलीवुड में अपने पैर जमाने के लिए बेहतर हिंदी सीखने की ललक रखते हैं। इनमें बच्चों से लेकर बूढ़े तक शामिल हैं

हालांकि भारत में जहां विदेशों में काम सीखने के लिए अंग्रेजी सीखने का क्रेज है तो अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन जैसे देशों के छात्र और पढ़े लिखे लोग अपनी पेशेवर क्षमताओं को उत्कृष्ट बनाने के लिए हिंदी की वर्णमाला पर अपना ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में हिंदी के पूर्व छात्र रसल मैसन 2010 में एक भारतीय कन्ग्लामरेट में काम करने के लिए मुंबई में शिफ्ट हो चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पश्चिमी देशों के बहुत सारे लोग हिंदी कक्षाओं में प्रवेश ले रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि भारत और भारतीय उपमहाद्वीप में उभरता हुए बाजार हैं जिनका दोहन करने के लिए उन्हें हिंदी जानना बहुत जरूरी है।

सीएटल में रहने वाले मिडिल क्लास छात्र रायन स्पेंसर भारत में प्रति रविवार को एक घंटे के लिए स्काइप कॉल लगाते हैं। उनका एजेंडा क्या है? उन्हें हिंदी का अच्छा जानकार बनना है।

भारत एक उभरता हुआ पॉवरहाउस है, कैसे...आगे पढ़ें...


भारत एक उभरता हुआ पॉवरहाउस

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पिछले वर्ष अप्रैल में सपरिवार छुट्‍टियों पर उत्तरप्रदेश की यात्रा पर आए 12 वर्ष के रायन के पिता रिची स्पेंसर ने वाराणसी के एक हिंदी प्रोफेसर की सेवाएं लीं और उन पर दायित्व डाला गया कि वे रायन को हिंदी की बुनियादी जानकारी से रूबरू कराएं।

अब 51 वर्षीय स्पेंसर का कहना है कि 'भारत एक उभरता हुआ पावरहाउस है'। पेशे से एक सर्जन स्पेंसर का कहना है कि जब रायन बड़ा होगा तो हिंदी का ज्ञान उसके काम आएगा। स्पेंसर परिवार में रायन की हिंदी क्लास एक ऐसा मामला है जिसमें मदद करने के लिए सारा परिवार जुट जाता है।

उसकी रविवार क्लास की तैयारियां शुक्रवार से ही शुरू हो जाती हैं। डिनर के समय पर पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले रायन से परिवार का प्रत्येक सदस्य वर्णमाला को लेकर सवाल पूछता है। शनिवार को रायन इंटरनेट के जरिए हिंदी टेस्ट देता है और इन टेस्ट्‍स का नतीजा उनके भारतीय अध्यापक को समीक्षा के लिए ई-मेल से भेजा जाता है।

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आखिर क्यों सीख रहे हैं अमेरिकी हिन्दी भाष

इस संदर्भ में यह उल्लेखनीय है कि स्पेंसर परिवार पश्चिम के उन लोगों में शामिल है जो कि अपने बच्चों को भारत के बढ़ते महत्व को देखते हुए पढ़ाई पर बहुत ध्यान देते हैं। एक दशक पहले जब अमेरिकी विदेश विभाग ने हिंदी को ऐसी भाषाओं में स्थान दिया था कि जिन्हें सीखा जाना चाहिए तब सरकारी नौकरियों को पाने की कोशिश में लगे अमेरिक‍ी हिंदी भाषा को सीखने को उत्सुक होते थे क्योंकि अमेरिकी विदेश सेवा भर्ती होने वाले लोगों को हिंदी जानने के कारण बोनस अंक दिए जाते थे। आज भी जिन लोगों को अच्छी हिंदी आती है उनके लिए संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) और सीआईए (सेंट्रल इनवेस्टिगेशन एजेंसी) में अच्छे जॉब मिल जाते हैं।

पर जैसे-जैसे भारत का विदेशों में महत्व बढ़ रहा है, विशेषज्ञों का मानना है कि वैसे वैसे हाल के वर्षों में हिंदी क्लासों की मांग बढ़ रही है। यह मांग विशेष रूप से अमेरिका में अधिक है। इस मामले में हार्वर्ड में हिंदी के प्रोफेसर रिचर्ड डिलैसी का कहना है कि 'निश्चित रूप से भारत से जुड़े और विशेष रूप से हिंदी से संबंधित प्रोग्राम और कोर्सेज आने वाले हैं।'

पिछले वर्ष अमेरिका में मेडफोर्ड‍ स्थित टफ्‍ट्‍स यूनिवर्सिटी में कैम्पस सर्वेक्षण कराया गया तो जानकारी हुई कि वहां 1100 छात्रों के बीस फीसद छात्रों ने मांग की कि उनके पाठ्‍यक्रम में विदेशी भाषा के तौर पर हिंदी की पढ़ाई कराई जाए।

लो‍कप्रिय विश्वविद्यालयों जैसे इलिनॉयस स्थित नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी और ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी ने हाल में हिंदी प्रोफेसरों के पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए। इस मामले में डिलैसी का कहना है कि उभरते बाजारों में प्रवेश करने के लिए हिंदी को एक जरूरत माना जाने लगा है।

अपार संभावनाएं नजर आ रही हैं हिन्दी में, कैसे...आगे पढ़ें..


अपार संभावनाएं नजर आ रही हैं हिन्दी में

एक यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र की मेजर पढ़ाई करने वाले मैसन का कहना है कि उनके एक दक्षिण एशियाई दोस्त ने उन्हें एक ट्रायल हिंदी क्लास में भाग लेने के लिए प्रेरित किया था, लेकिन बाद में उन्होंने इसके एक वर्षीय कोर्स में प्रवेश ले लिया था क्योंकि उन्होंने भाषा सीखने के ‍दीर्घकालिक लाभों को सोचा था।

पश्चिम देशों के लोगों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही हिंदी को देखते हुए कई लोगों को इसमें कारोबारी संभावनाएं भी नजर आने लगीं। इस बात को ध्यान में रखते हुए अली तकी ने एक लैंग्वेज इंस्टीट्‍यूशन की नींव डाली जोकि स्काइप के जरिए हिंदी सिखाते हैं।

पच्चीस वर्षीय तकी का कहना है कि हिंदी के जो लाभ हैं, उनमें से एक यह है कि इसे विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का दरवाजा माना जा सकता है। महिंद्रा के एफर्डेबल हाउसिंक कारोबार के लिए रणनीति और विकास का काम देने वाले मैसन का कहना है कि हिंदी भाषा की अच्छी जानकारी के चलते ही वे अपने कई भारतीय ग्राहकों से सीधी बातचीत करने में सक्षम हैं।

वहीं कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि भारतीय संस्कृति को जानने, समझने की बढ़ती ललक के चलते ही युवा अमेरिकी हिंदी सीख रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में एक एसोशिएट प्रोफेसर पूरन चंद्र टंडन का कहना है कि 'स्लमडॉग मिलयिनेयर' जैसी पुरस्कार विजेता फिल्म और 'अवतार' ने युवा अमेरिकी दर्शकों को भारतीय संस्कृति से परिचित कराया है। एक ऑनलाइन लैंग्वेज पोर्टल के लिए पार्ट टाइम हिंदी टीचर का काम सिखाने वाली प्राची अग्निहोत्री इस बात से सहमत हैं।

क्या कहती हैं हिन्दी गुरु...आगे पढ़ें...


क्या कहती हैं हिन्दी गुरु

गौरतलब है कि सुश्री अग्निहोत्री पुणे स्थित कंपनी-टीटो इंडिया- में एक सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल हैं। आईटी कंपनी की इस युवा प्रोफेशनल का कहना है कि उनके शिष्यों में से ज्यादातर अमेरिकी हैं और वे ज्यादातर स्काइप लेसन्स के लिए साइन अप करते हैं।

इन लोगों ने अंग्रेजी में डब की गई बॉलीवुड फिल्में देखी हैं या फिर ये अमेरिका में योग और आध्यात्मिकता की वर्कशाप्स में भाग ले चुके होते हैं। तीस वर्षीय सुश्री अग्निहोत्री का कहना है कि जब उन्होंने आठ वर्ष पहले अपनी स्काइप कक्षाएं शुरू की थीं तब उनके केवल दो छात्र थे, लेकिन अब दस हैं ‍और इनमें से सात अमेरिकी हैं।

अली तकी ने 2009 में नई दिल्ली स्थित अपना भाषा संस्थान- जबान-शुरू किया था। तब उनके साथ एक अमेरिकी महिला भी थीं। पिछले वर्ष जबान ने स्काइप पर 490 पाठ भेजे थे जो कि 2010 में भेजे गए पाठों की संख्या से सात गुना अधिक है। वेब पर पढ़ाई कराने वाले इस संस्थान का ज्यादातर ट्राफिक अमेरिका से आता है। एक अमेरिकी राजनयिक बनने को प्रेरित टेरी रैंडल ने मार्च में हिंदी पाठ लेना शुरू किया था।

ये राजनयिक बनना चाहती हैं, इसलिए... आगे पढ़ें...


ये राजनयिक बनना चाहती हैं, इसलिए...

यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन में एक हिंदी टीचर रह चुके तकी का कहना है कि अमेरिका में हिंदी को लेकर रुचि बहुत अधिक है। जो लोग ऑनलाइन एनरोल करते हैं, ‍उनका जॉब प्रोफाइल देखने पर आपको पता लगेगा कि उनमें भावी राजनयिक, सामाजिक कार्यकर्ता, कॉलेज के छात्र और भारत में अपने काम के सिलसिले में आने वाले पेशेवर लोग होते हैं।

कैलिफोर्निया की 50 वर्षीय टेरी रैंडल का कहना है कि स्काइप के जरिए हिंदी सीखने में वे अपनी सुविधा के अनुसार भाषा सीख सकती हैं। एक राजनयिक बनने की आकांक्ष‍ी टेरी ने मार्च में जबान पर ऑनलाइन क्लास के लिए एनरोल किया था और इसके बाद वे पिछली नवंबर में हुई अमेरिकी विदेश सेवा की परीक्षा के अंतिम दौर के लिए चयनित प्रत्याशी हैं।

एक फिल्मकार रैंडल का कहना है कि हिंदी पर उनकी पकड़ के चलते विदेश सेवाओं के लिए उनकी दावेदारी मजबूत होगी और वे कहती हैं कि एक दिन भारत में काम करके उन्हें बहुत खुशी होगी।

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