सर्वोच्च अपीली प्राधिकरण के रूप में हाउस ऑफ लार्ड्स की जगह लेते हुए ब्रिटेन का पहला सर्वोच्च न्यायालय गुरुवार से अस्तित्व में आ गया। इस कदम का मकसद देश में न्यायिक स्वतंत्रता स्थापित करना है।
मध्य लंदन में पार्लियामेंट स्क्वैयर पर उच्चतम न्यायालय की नवीन इमारत में 11 न्यायाधीशों ने अपने पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह में भारत के विधिमंत्री एम वीरप्पा मोइली समेत कई लोगों ने शिरकत की।
वर्ष 1876 से इंग्लैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड के लिए ब्रिटिश संसद का उच्च सदन हाउस आफ लार्ड्स, अपीली अदालत की भूमिका निभाता आया है।
बहरहाल नव स्थापित सर्वोच्च न्यायालय संसद से स्वतंत्र होगा और बेहद महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करेगा। शपथ ग्रहण करने के बाद सर्वोच्च न्यायालय के अध्यक्ष लार्ड निकोलस फिलिप्स ने कहा कि यह कदम ‘न्यायिक खुलापन’ के लिए महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा‘इस देश में शक्ति पृथक्करण का यह अंतिम चरण है। हम यहाँ तक स्वच्छ तरीके से धीरे धीरे पहुँचे हैं, लेकिन हम वहाँ पहुँचे हैं जहाँ न्यायाधीशों को विधायिका और कार्यपालिका से पूरी तरह से अलग कर दिया गया है।’