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छठ पर्व पर लोकगीत की परंपरा

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वैसे तो हर तीज-त्योहार पर लोकगीतों की परंपरा रही है किंतु छठ पर्व पर विशेष धुन और विशिष्ट अंदाज में लोकगीत गाने की परंपरा है। इस परंपरा के अनुसार पूजन के दौरान महिलाएं समूह में लोकगीत गाते हुए चलती हैं। 

भारत के जिन क्षेत्रों में प्रमुख रूप से छठ या षष्ठी का व्रत किया जाता है, वहां लोकगीतों के बगैर यह व्रत अधूरा माना जाता है। छठ पर्व के यह लोकगीत भी विशेष होते हैं। उन्हीं में से एक प्रचलित लोकगीत है यह -  
 
कांचे ही बास के बहगिया।
बंहगी लचकत जाए।
बाट जे पूछेला बटोहिया।
इ दल केकरा के जाए।
आन्हर होइहे रे बटोहिया
इ सूरूज बाबा के जाए।
इ आदित बाबा के जाए।

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