मनीष पांडे के नाम से सप्ताहभर पहले तक भारत के अधिकतर लोग अनजान थे, लेकिन अब लगभग हर भारतीय क्रिकेटप्रेमी की जुबान पर यह नाम है। इसी तरह टीएस सुमन, शादाब जकाती, नमन ओझा, रजत भाटिया, कामरान खान भी अब अनजान नाम नहीं हैं।
ये सब उन युवा भारतीय खिलाड़ियों में शामिल हैं, जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका में दूसरे इंडियन प्रीमियर लीग में बल्ले या गेंद से अपना विशेष प्रभाव छोड़ा और हो सकता है कि पिछले आईपीएल में चमकने वाले यूसुफ पठान, रविंदर जडेजा और प्रज्ञान ओझा की तरह आने वाले समय में इन्हें भी भारतीय टीम में जगह मिल जाए।
रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की टीम जब दक्षिण अफ्रीका पहुँची, तो मनीष पांडे भी उसमें शामिल थे लेकिन वे टीम प्रबंधन की योजना का अहम हिस्सा नहीं थे। उन्हें लीग चरण में शुरू में केवल दो मैच खेलने का मौका मिला, जिनमें से एक पारी में वे निचले क्रम में बल्लेबाजी के लिए उतरे।
बेंगलुरु के कप्तान अनिल कुंबले ने उन्हें अंतिम लीग मैच में डेक्कन चार्जर्स के खिलाफ पारी का आगाज करने के लिए भेजा और 19 वर्ष के इस बल्लेबाज ने भारतीय क्रिकेट में नया इतिहास रच दिया। उन्होंने इस मैच में नाबाद 114 रन बनाए और इस तरह से आईपीएल में शतक जड़ने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बने। पांडे ने इसके बाद सेमीफाइनल में भी 48 रन की पारी खेली। इन दोनों मैचों में उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया।
डेक्कन चार्जर्स के तिरुमालसेट्टी सुमन ने गेंद को हिट करने के अपने कौशल से क्रिकेट पंडितों को प्रभावित किया। हैदराबाद के इस 25 वर्षीय बल्लेबाज को जब वीवीएस लक्ष्मण की जगह अंतिम एकादश में लिया गया तो फिर डेक्कन के पूर्व कप्तान की टीम में वापसी नहीं हो पाई। सुमन ने सेमीफाइनल तक 11 मैच में 227 रन बनाए, जिसमें आठ छक्के शामिल हैं।
मध्यप्रदेश के नमन ओझा ने सुमन की तरह अपने आक्रामक तेवरों का अच्छा इजहार किया और राजस्थान रॉयल्स की तरफ से आठ मैच खेलने में सफल रहे। इनमें 68 रन की पारी भी शामिल है। इसके अलावा वे विकेट के पीछे भी प्रभावित करते रहे, हालाँकि कप्तान शेन वॉर्न की बल खाती गेंदों को संभालने में उन्हें कुछ दिक्कत भी हुई।
पिछले सत्र में रणजी ट्रॉफी में एक हजार से अधिक रन बनाकर राष्ट्रीय टीम में जगह के दावेदार बने अजिंक्या रहाणे ने मुंबई इंडियन्स की तरफ से खेले गए आठ मैच में प्रभावित किया। उन्होंने नाबाद 62 रन की एक खूबसूरत पारी खेलकर सचिन तेंडुलकर को भी अपनी प्रशंसा करने के लिए मजबूर किया।
पंजाब के सन्नी सोहाल और करण गोयल (124) ने भी कुछ अवसरों पर प्रभावित किया। इनमें से विशेषकर सोहाल ने सलामी बल्लेबाज की भूमिका अच्छी तरह से निभाई और आठ मैच में 115 रन बनाए।
यदि गेंदबाजों की बात करें तो जकाती ने काफी प्रभावित किया। तमिलनाडु के इस स्पिनर की ऑफ ब्रेक और आर्म बाल कमेंटेटरों के बीच चर्चा का विषय रही। उन्होंने नौ मैच में 13 विकेट लिए और मुथैया मुरलीधरन की मौजूदगी के बावजूद महेंद्रसिंह धोनी के आक्रमण के अहम अंग बने रहे।
वॉर्न ने दक्षिण अफ्रीका पहुँचकर बयान दिया था कि कामरान खान उनके तुरुप के इक्के होंगे। उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ में जन्मे इस मध्यम गति के गेंदबाज ने अपने कप्तान को निराश नहीं किया तथा गेंदबाजी एक्शन संदिग्ध पाए जाने तक जो पाँच मैच खेले उनमें प्रभावशाली गेंदबाजी की और छह विकेट लिए।
कामरान जब नहीं खेल पाए तो वॉर्न ने गुजरात के अनजान से गेंदबाज अमितसिंह को चमकने का मौका दिया। अमित के एक्शन पर भी उंगलियाँ उठीं, लेकिन वे पाँच मैच में नौ विकेट लेकर अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे।
दिल्ली के ऑलराउंडर रजत भाटिया ने आठ मैच में दस विकेट लेकर गेंदबाजी में प्रभावशाली प्रदर्शन किया, जबकि प्रदीप सांगवान ने 13 मैच में 15 विकेट लेकर राष्ट्रीय चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी तरफ खींचा।
जहाँ तक विकेटकीपरों का सवाल है तो ओझा ने खुद को देश के चोटी के पाँच विकेटकीपरों में शुमार किया, लेकिन उन्हें अभी स्पिनरों के सामने विकेटकीपिंग की कला में निपुण बनना होगा। मुंबई इंडियन्स के पिनाल शाह की विकेटकीपिंग भी अच्छी रही।