चौकों और छक्कों की बरसात के कारण तेज क्रिकेट के दीवानों की पहली पसंद बना ट्वेंटी-20 के 'तूफानी चरित्र' पर आईपीएल में 'रणनीतिक ब्रेक' ने ब्रेक लगा दिया है, जिसे सचिन तेंडुलकर और शेन वार्न जैसे दिग्गज लय की राह में रोड़ा मानते हैं।
दक्षिण अफ्रीका में चल रहे इंडियन प्रीमियर लीग में दस ओवर बाद साढ़े सात मिनट का ब्रेक प्रत्येक टीम पर भारी पड़ रहा है लेकिन तेंडुलकर जैसे चोटी के खिलाड़ी की कड़ी प्रतिक्रिया के बावजूद आयोजक विज्ञापनों की खातिर इसे अपनाए हुए हैं।
तेंडुलकर ने हाल में कहा मुझे लग रहा है कि ब्रेक लय को तोड़ रहा है। दस ओवर के बाद साढे़ सात मिनट का ब्रेक ध्यान भंग करता है। यह अच्छी लय की राह में रोड़ा है।
यदि आँकड़ों पर गौर किया जाए तो साबित हो जाता है कि अधिकतर मैच में इसके बाद विकेट गिरा है। यही नहीं इसके बाद अगले ओवर में तेजी से रन भी नहीं बन पाए हैं, जिसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अब तक खेली गई 28 मैच की 53 पारियों में 11वें ओवर में केवल नौ बार दस या इससे अधिक रन बने।
लगभग प्रत्येक टीम ने इस ओवर में विकेट गँवाए हैं। शाहरुख खान भी यदि इन आँकड़ों को देखेंगे तो उन्हें लग जाएगा कि कोलकाता नाइट राइडर्स को सिर्फ खिलाड़ियों ने ही नहीं बल्कि 'रणनीतिक ब्रेक' ने भी दगा दिया।
शाहरुख की तरह विजय माल्या भी यदि इस नियम पर निराशा जताएँगे तो उनका दर्द भी समझा जाएगा क्योंकि रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को भी ब्रेक के बाद ऐसे झटके लगे हैं, जिससे वह उबर नहीं पाया।
डेक्कन चार्जर्स के खिलाफ आठवें मैच में पीटरसन किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ 11वें मैच में द्रविड़ और दिल्ली डेयर डेविल्स के खिलाफ 14वें मैच में टेलर के विकेट गँवाने से रॉयल चैलेंजर्स बैकफुट पर पहुँच गया। इन तीनों मैच में उसे हार का सामना करना पड़ा था।
तेंडुलकर और हरभजन को इसलिए ब्रेक का यह नियम अच्छा नहीं लग रहा है क्योंकि उनकी टीम इसका दर्द झेल चुकी है। आईपीएल के 12वें मैच में जब तेंडुलकर पूरी लय में थे और 36 रन बनाकर क्रीज पर डटे थे, तभी ब्रेक आ गया और इसके बाद पाँचवीं गेंद पर यह स्टार बल्लेबाज पैवेलियन लौट गया। डेक्कन चार्जर्स ने इसका फायदा उठाया और 12 रन से मैच जीत लिया।
शेन वार्न भी ब्रेक के तुरंत बाद विकेट गँवाने वाले खिलाड़ियों में शामिल हैं। उनकी टीम पिछली चैंपियन राजस्थान रॉयल्स ने अपने पहले मैच में ही बेंगलुरु के खिलाफ ब्रेक के बाद 12वें ओवर में यूसुफ पठान और रविंदर जडेजा के विकेट गँवाए।
आखिर में ब्रेक टीम की हार का कारण बना और इसलिए वह भी इसके खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि जो भी टीम लय में होती है यह ब्रेक उसे तोड़ देता है लेकिन बकौल तेंडुलकर हमें इस साल तो इसी के साथ जीना होगा।
कोलकाता की टीम अब तक जिन छह पारियों में रणनीतिक ब्रेक तक पहुँची है, उनमें से उसने चार पारियों में 11वें ओवर में विकेट गँवाए। इनमें से दो बार हॉज आउट हुए जो दोनों अवसरों पर ब्रेक से पहले पूरे रंग में दिख रहे थे।
कोलकाता की टीम इस ओवर में कभी दस या इससे अधिक रन नहीं बना पाई और उसने 11वें ओवर में औसतन 5.80 की औसत से रन बनाए हैं जबकि इस ओवर में सभी टीमों का कुल मिलाकर औसत लगभग 6.62 है।
किंग्स इलेवन पंजाब ने तीसरे मैच में ही ब्रेक के तुरंत बाद युवराज सिंह, महेला जयवर्धने और पीयूष चावला के विकेट गँवाए थे। चेन्नई सुपर किंग्स का पाँचवें मैच में ब्रेक तक स्कोर बिना किसी नुकसान के 106 रन था लेकिन 11वें ओवर बाद स्कोर बोर्ड पर दो विकेट पर 108 रन दर्ज थे।
इस ब्रेक ने तेंडुलकर, राहुल द्रविड़, केविन पीटरसन, मैथ्यू हेडन, जयवर्धने, युवराज, महेंद्रसिंह धोनी, रोस टेलर और ब्रैंडन मैक्कुलम जैसे मँझे हुए बल्लेबाजों की लय बिगाड़ी है। इन सभी खिलाड़ियों सहित 11वें ओवर में अब तक कुल 15 विकेट गिरे और इसीलिए हरभजन इसे टर्निंग प्वाइंट मानते हैं।
हरभजन ने इस बारे में अपने ब्लॉग में लिखा कि प्रत्येक मैच में ब्रेक के बाद एक विकेट गिरा है और यह मैच का टर्निंग प्वाइंट साबित हो रहा है। साढ़े सात मिनट के ब्रेक से बल्लेबाजों की लय आसानी से टूट जाती है।