इंडियन प्रीमियर लीग में कड़ी प्रतिस्पर्धा में कम से कम 26 खिलाड़ी पूरे 44 दिन तक मैदान के बाहर बैठकर मूकदर्शक बने रहे और इनमें अधिकतर वे युवा क्रिकेटर थे जिन्हें प्रत्येक टीम में 22 वर्ष से कम उम्र के चार खिलाड़ी रखने की शर्त के आधार पर चुना गया था।
इन खिलाड़ियों में कोलकाता नाइट राइडर्स के वह छह खिलाड़ी भी शामिल हैं जिन्हें टीम फ्रेंचाइजी ने कोच जान बुकानन की सलाह पर टीम होटल छोड़ने के लिए कहा था। कोलकाता के इन खिलाड़ियों में सिद्धार्थ कौल, चेतेश्वर पुजारा, यशपालसिंह, सौराशीष लाहिड़ी, रोहन बनर्जी और राणादेब बोस ने एक मैच भी नहीं खेला और वह आधे टूर्नामेंट के बाद टीम से अलग कर दिए गए।
इनमें से पुजारा ने घरेलू क्रिकेट और भारत की जूनियर टीमों के साथ रहते शानदार प्रदर्शन किया है और उन्हें देश के उभरते सितारों में गिना जाता है लेकिन आईपीएल जहाँ अधिकतर क्रिकेटरों को शिखर पर पहुँचा गया वहीं पुजारा जैसे खिलाड़ियों के लिए यह दुस्वप्न से कम नहीं रहा।
किंग्स इलेवन पंजाब के सात और चेन्नई सुपर किंग्स के छह खिलाड़ी भी सिर्फ तालियाँ पीटने और अभ्यास के समय सीनियर खिलाड़ियों को मदद पहुँचाने तक ही सीमित रहे।