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आज के शुभ मुहूर्त

(दशमी तिथि)
  • तिथि- वैशाख कृष्ण दशमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-भद्रा, प्रेस स्वतंत्रता दिवस
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
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चैत्यवंदन- (पूर्वविधि)

हमें फॉलो करें चैत्यवंदन- (पूर्वविधि)
आइए, अब परमात्मा के समक्ष चैत्यवंदन करके परमात्मा की स्तवना-भक्ति करें। सबसे पहले खड़े होकर हाथ जोड़कर मस्तक पर अंजलि रचाते हुए, कमर से थोड़े झुककर बोलें-

इच्छामि खमासमणो वंदिऊं, जावणिज्जाए निसीहीआए।

यहाँ पर नीचे झुकते हुए 'पंचांग प्रणिपात' प्रणाम कर के दो हाथों की अंजलि, मस्तक व दोनों घुटने जमीन पर टिकाते हुए बोलें-

मत्थएण वंदामि। इच्छाकारेण संदिसह भगवन्‌।
इरियावहियं पडिक्कमामि? इच्छं, इच्छामि पडिक्कमिउं ॥1॥
इरियावहियाए - विराहणाए ॥2॥
गमणागमणे ॥3॥
पाणक्कमणे, बीयक्कमणे, हरियक्मणे, ओसाउत्तिंग पणग-दग-मट्टी-मक्कडा-संताणा-संकमणे ॥4॥
जे मे जीवा विराहिया ॥5॥
एगिंदिया, बेइंदिया, तेइंदिया, चउरिंदिया, पंचिदिया ॥6॥
अभिहया वत्तिया, लेसिया, संघाइया, संघट्टिया, परियाविया।
किलामिया, उद्दवियां ठाणाओ ठाण सकामिया।
जीवियाओ ववरोविया, तस्स मिच्छामि दुक्कडं ॥7॥

तस्स उत्तरी करणेणं, पायच्छित्त करणेणं, विसोही करणेणं, विसल्ली
करणेणं, पावाणं कम्माणं निग्घायणट्ठाए ठामि काउस्सग्गं।

अन्नत्थ ऊससिएणं, नीससिएणं, खासिएणं, छीएणं,
जंभाइएणं, उड्डुएणं, वायनिसग्गेणं, भमलीए पित्तमुच्छाए ॥1॥
सुहुमेहिं अंगसंचालेहिं, सुहुमेहिं खेल संचालेहिं,
सुहुमेहिं दिट्ठिसंचालेहिं ॥2॥
एवमाइएहिं आगारेहिं अभग्गो अविराहिओ, हुज्ज मे काउसग्गो ॥3॥
जाव अरिहंताणं भगवंताणं नमुक्कारेण न पारेमि ॥4॥
तावकायं ठाणेणं, मोणेणं, झाणेणं अप्पाणं वोसिरामि ॥5॥

यहाँ पर 'कायोत्सर्ग मुद्रा' में खड़े रहकर या बैठकर एक 'लोगस्स सूत्र' का मन-ही-मन चंदेसु निम्मलयरा तक पाठ करें। लोगस्स सूत्र के माध्यम से 24 तीर्थंकर भगवंतों का स्मरण ध्यान करें।

यदि 'लोगस्स सूत्र' याद नहीं हो तो चार बार नवकार मंत्र का मौन रहकर मन-ही-मन पाठ करें।

कायोत्सर्ग के समय शरीर में जरा भी आलस, सुस्ती या तनाव-खिंचाव नहीं होना चाहिए।

स्वस्थ-सहज एवं प्रसन्न मुद्रा में 'कायोत्सर्ग ध्यान' करें। 'कायोत्सर्ग' यदि खड़े करते हैं, तो पैरों के दो पंजों के बीच में आगे 4 अंगुल की दूरी व पीछे एड़ियों के बीच 3 अंगुल जितनी दूरी रखें।

यदि बैठे-बैठे कायोत्सर्ग करना है, तो कमर से झुककर नहीं, वरन्‌ सीधे बैठें।

सूचना- कायोत्सर्ग पूरा होने पर धीरे से 'नमो अरिहंताणं' बोलें और वापस हाथ जोड़कर पहले की तरह खड़े रहकर या बैठे-बैठे निम्न सूत्र बोलें-

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