आयो शरणे तुम्हारे, जिनवर करजो आशा पुरी ।
नाव्यो भवपारम्हारो, तुम बिन जगमां, सारले कोण हमारी ॥
गावो जिनराज आगे (आजे) हरख अधिकथी परम आनंदकारी ।
पायो तुम दर्श नासे भवो भव भ्रमणा नाव सर्वे हमारी ॥1॥
दर्शन के पश्चात
यदि समय हो तो मंदिरजी मे जितनी भी प्रतिमाएँ हैं, उन सबके समक्ष जाकर 'नमोजिणाणं' कहते हुए प्रणाम करें। तीन बार खमासमण भी दें।
यदि हमें सवेरे नवकारशी का पच्चक्खाण करना हो तो परमात्मा के समक्ष हाथ जोड़कर उसकी अवधारणा मन में करते हुए उसका प्रतिज्ञा सूत्र बोलें।
नवकारशी पच्चक्खाण सूत्र
उग्गेसूरे नमुक्कारसहियं मुट्ठिसहियं पच्चक्खाइ
चउव्विहं पि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं
अन्नत्थणाभोगेण सहसागरेण महत्तरागारेणं सव्वसमाहि
वत्तियागारेणं वोसिरइ... (वोसिरामि)
शाम का समय हो और 'तिविहार-चौविहार' का पच्चक्खाण करना हो तो निम्न सूत्र बोलें-
दिवसचरिमं पच्चक्खाइ चउव्विहं पि आहारं, तिविहं पि
अहारं असणं-पाणं-खाइमं-साइमं अन्नत्थणाभोगेणं
सहसागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं
वोसिरइ... (वोसिरामि)
नवकारशी- (सूर्योदय के पश्चात 48 मिनट बाद में मुँह में कुछ भी डालना-खाना-पीना)।
चौविहार- (सूर्यास्त के पश्चात अगले दिन सुबह तक कुछ भी खाना-पीना नहीं)।
तिविहार- सूर्यास्त के पश्चात भोजन नहीं करना... केवल पानी यदि पीना हो तो नीचे बैठकर 3 नवकार गिनकर, बैठे-बैठे पानी पीना... उठते समय एक नवकार गिनना। रात्रि में 12 बजे के बाद में पानी भी नहीं पीना।
नवकारशी पच्चक्खाण पारने का सूत्र- नीचे बैठकर, पालथी लगाकर, दाहिने हाथ की मुट्ठी बाँधकर जमीन पर रखते हुए, बाएँ हाथ की हथेली को मुँह के आगे रखकर एक नवकार गिनकर निम्न सूत्र बोलें-
उग्गए सूरे नमुक्कार-सहिअं मुठ्ठिसहिअं
पच्चक्खाण-किया चोविहार,
पच्चक्खाण फासिअं पालिअं
सोहिअं तीरिअं किट्टीअं आराहिअं जं च न आराहिअं
तस्स मिच्छामि दुक्कडं ॥
(बाद में हाथ ऊपर लेते हुए एक नवकार गिनें)