आशीष महते
हे शिक्षक तुम्हें नमन
महान हो तुम, गुणवान हो तुम,
ज्ञान की सदा से खान हो तुम।
जल से निर्मल, पुष्प से कोमल,
शिष्यों के भाग्य विधाता हो तुम।
नदियों से पावन, पर्वत से ऊँचे,
सूरज जैसे तेजवान हो तुम।
सागर से गंभीर, हृदय से कोमल,
ज्ञान की गंगा और भंडार हो तुम।
इस जग में तुम सा कोई नहीं,
संपूर्णता का वरदान हो तुम।