एक वन में हाथियों का एक झुंड रहता था। झुंड के सरदार को गजराज कहते थे। वो विशालकाय, लम्बी सूंड तथा लम्बे मोटे दांतों वाला था। खंभे के समान उसके मोटे-मोटे पैर थे। जब वो चिंघाड़ता था तो सारा वन गूंज उठता था।
गजराज अपने झुंड के हाथियों से बड़ा प्यार करता था। स्वयं कष्ट उठा लेता था, पर झुंड के किसी भी हाथी को कष्ट में नहीं पड़ने देता था और सारे के सारे हाथी भी गजराज के प्रति बड़ी श्रद्घा रखते थे।
एक बार जलवृष्टि न होने के कारण वन में जोरों का अकाल पड़ा। नदियां, सरोवर सूख गए, वृक्ष और लताएं भी सूख गईं। पानी और भोजन के अभाव में पशु-पक्षी वन को छोड़कर भाग खड़े हुए। वन में चीख-पुकार होने लगी, हाय-हाय होने लगी। गजराज के झुंड के हाथी भी अकाल के शिकार होने लगे। वे भी भोजन और पानी न मिलने से तड़प-तड़पकर मरने लगे।