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विजुअल मर्चेंडाइजिंग में करियर

डिसप्ले डेकोरेशन अर्थात विजुअल मर्चेंडाइजिंग

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- जयंतीलाल भंडारी
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जो दिखता है, वही बिकता है, यह जुमला वर्तमान में बाजार का सूत्र वाक्य बन गया है। बेहतर दिखने और बाजार पर राज करने की इसी कशमकश के चलते विजुअल मर्चेंडाइजिंग के क्षेत्र का तेज गति से विकास हो रहा है। रिटेल सेक्टर में आए उछाल और मॉल कल्चर के बढ़ते कदमों के कारण डिसप्ले डेकोरेशन अर्थात विजुअल मर्चेंडाइजिंग की मांग ग्राहक संबंधी सभी क्षेत्रों में देखने को मिल रही है। अब वह चाहे शोरूम हो या फिर रेस्टोरेंट।

बाजार में आज हर उस व्यक्ति को विजुअल मर्चेंडाइजर की सेवाओं की जरूरत है जो सीधे-सीधे उपभोक्ता से जुड़ा है। बीते कुछ वर्षों की बात करें तो एक विजुअल मर्चेंडाइजर की मांग कपड़ों के देसी-विदेशी शोरूम को सजाने-संवारने और आकर्षक बनाने के लिए ही हुआ करती थी लेकिन बहुराष्ट्रीय कंपनियों केभारतीय बाजार में प्रवेश करने से सारा का सारा परिदृश्य ही बदल गया है। सभी क्षेत्रों में विजुअल मर्चेंडाइजिंग का जमकर इस्तेमाल होने लगा है।

विभिन्न उत्पादों को उनके आकार, डिजाइन, रंगों आदि के आधार पर डिसप्ले करने, मैनेक्विन को सही जगह पर सजाकर रखने, शोरूम की साज-सज्जा और लाइट आदि का चुनाव करने केलिए विजुअल मर्चेंडाइजर की विशेष जरूरत होती है। इसलिए खासकर फैशन इंडस्ट्री में विजुअल मर्चेंडाइजिंग एक अनिवार्य हिस्सा हो गया है। विजुअल मर्चेंडाइजिंग की बदौलत मामूली से मामूली उत्पाद भी उपभोक्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं।

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मार्केटिंग, मर्चेंडाइजिंग, स्टोर डिजाइनिंग और विजुअल मर्चेंडाइजिंग की मदद से अपने डिपार्टमेंटल स्टोर को अन्य स्टोरों की तुलना में खरीदारों के लिए अधिक आकर्षक बनाया जा सकता है और अधिक व्यावसायिक मुनाफा कमाया जा सकता है।

विजुअल मर्चेंडाइजिंग को अगर छवि बनाने की कला कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें आपका काम क्लाइंट के लिए ऐसी प्रस्तुतीकरण करना होता है कि ग्राहक उसे देखकर सहज ही उस उत्पाद या शोरूम के प्रति आकर्षित हो जाए।

सामान्य भाषा में कहा जाए तो सामान्य लुक को गुड लुकिंग में बदलने की महारत को ही विजुअल मर्चेंडाइजिंग कहा जाता है। कार्य के स्वरूप की बात की जाए तो एक विजुअल मर्चेंडाइजर का कार्य होता है ग्राहकों को लुभाना और उन्हें उत्पाद तक खींचकर लाना। वर्तमान दौर में केवल ब्रांड ही नहीं, बल्कि प्रोडक्ट का खास लुक भी अहम स्थान रखता है।

किसी भी शोरूम में जाने से पहले ग्राहक उसके डिसप्ले बोर्ड पर नजर डालता है। अगर वही नीरस होगा तो वहां जाने का उसका मन ही नहीं करेगा। आज यह काम इतना महत्वपूर्ण हो गया है कि इसके लिए प्रोफेशनल लोगों की मांग की जाने लगी है और ऐसे ही कामों को विजुअल मर्चेंडाइजर अंजाम देता है।

विजुअल मर्चेंडाइजिंग में डिप्लोमा कोर्स करने के लिए बुनियादी योग्यता दसवीं कक्षा उत्तीर्ण होना है जबकि पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम के लिए किसी भी विषय में स्नातक होना आवश्यक है। इन कोर्सों में छात्रों को विजुअल मर्चेंडाइजिंग की प्रभावकारी रणनीति और व्यावहारिक तरीका व सामानों को अच्छी तरह से डिसप्ले करने की योजना तैयार करना, जिससे सामानों की अधिक से अधिक बिक्री हो सके, सिखाया जाता है।

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विजुअल मर्चेंडाइजिंग के क्षेत्र में सफलता हासिल करने के लिए सबसे जरूरी योग्यता है आपकी सृजनात्मक क्षमता। अगर आपमें सृजन की क्षमता है और नई चीजों के साथ-साथ आप बाजार की नब्ज पहचानते हैं तो फिर विजुअल मर्चेंडाइजिंग के क्षेत्र में अपना अलग स्थान हासिल करना कोई मुश्किल काम नहीं है।

इसके संस्थान निम्नानुसार है :-
1. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट) दिल्ली/मुंबई/कोलकाता।

2. जे.डी. इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली।

3. पर्ल एकेडमी ऑफ फैशन, सी 56/2 ओखला इंडस्ट्रियल एरिया, फेज-2, नई दिल्ली।

4. इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, एच-12, साउथ एक्सटेंशन पार्ट-1 नई दिल्ली।

5. सृष्टि स्कूल ऑफ आर्ट, डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी, बेंगलुरु।

६. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद।

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