सालाना मौद्रिक एवं ऋण नीति में ब्याज दरों में और सख्ती किए जाने की नीति से मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने में ज्यादा मदद नहीं मिलेगी। अंतरराष्ट्रीय शोध फर्म मूडीज ने यह बात कही है।
मूडीज की शोध विभाग मूडीज इकानॉमीडॉटकॉम के अनुसार रिजर्व बैंक की आगामी 20 अप्रैल को घोषित होने वाली मौद्रिक एवं ऋण नीति यदि नीतिगत दरों को और कड़ा किया जाता है तो वर्तमान परिस्थितियों में इससे मुद्रास्फीति पर मामूली असर ही पड़ेगा।
मूडीज का कहना है कि वर्तमान मुद्रास्फीति माल आपूर्ति में कमी की वजह से है, जो केंद्रीय बैंक के नियंत्रण से बाहर है।
उल्लेखनीय है कि थोक मूल्यों पर आधारित मुद्रास्फीति की दर फरवरी में 9.89 प्रतिशत तक पहुँच चुकी है। खाद्य मुद्रास्फीति में आती मजबूती को देखते हुए यह माना जा रहा है कि मार्च में भी सकल मुद्रास्फीति दहाई अंकों में पहुँच जाएगी।
मूडीज ने कहा कि मार्च में भी नीतिगत दरों में बढ़ोतरी की गई थी, लेकिन इसका असर वाणिज्यिक बैंकों की ब्याज दरों पर दिखाई नहीं दिया। शोध फर्म के मुताबिक नीति को कड़ा करने का असर ब्याज दरों तक पहुँचने की गति काफी धीमी है। इससे पता चलता है कि बैंकिंग तंत्र में तरलता की स्थिति काफी अच्छी है। (भाषा)