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नौकरियों के अवसरों में 12 फीसदी की कमी

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नई दिल्ली (वार्ता) , सोमवार, 2 नवंबर 2009 (10:06 IST)
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से अक्टूबर की अवधि में तृतीय श्रेणी के शहरों में रोजगार सृजन में 12.01 प्रतिशत की गिरावट आई है।

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उद्योग संगठन (एसौचेम) के एक अध्ययन में कहा गया है कि पहले सात महीनों में तृतीय श्रेणी के शहरों में रोजगार के अवसरों में 12.01 फीसदी की कमी आना इसका प्रतीक है कि सरकार द्वारा दिए गए राहत पैकेज का असर तृतीय श्रेणी के शहरों में नहीं पहुँचा है। अध्ययन में दावा किया गया है कि तृतीय श्रेणी के शहरों से बेरोजगार युवाओं को महानगरों या बड़े शहरों में आना जारी है।

अध्ययन के मुताबिक राहत पैकेज के असर से प्रथम श्रेणी के शहरों में रोजगार के अवसरों में अप्रैल से अक्टूबर की अवधि में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 5.71 प्रतिशत और द्वितीय श्रेणी के शहरों में 29.28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

इसी अवधि में तीन लाख 21 हजार 294 नौकरियों का सृजन हुआ, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में तीन लाख नौकरियों का सृजन हुआ था।

अध्ययन के परिणामों पर टिप्पणी करते हुए एसौचेम की अध्यक्ष स्वाति पीरामल ने कहा कि राहत पैकेजों का असर से भारतीय कंपनियों को पटरी पर लौटने में मदद मिली है।

मंदी के असर से पूरी तरह से निकलने तक राहत पैकेजों का जारी रहना जरूरी है। राहत पैकेजों और रियायतों से देश की अर्थव्यवस्था को गति मिली है।

हालाँकि निर्यात क्षेत्र और विनिर्माण क्षेत्र में स्थिति अभी भी नाजुक बनी हुई है। दूसरी ओर बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में रोजगारों के अवसरों में वृद्धि हो रही है।

अध्ययन के अनुसार पिछले वित्त वर्ष के पहले सात महीनों की तुलना में मौजूदा वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में आईटी में रोजगार के अवसरों में 7.84 प्रतिशत की गिरावट आई। हालाँकि इसी अवधि में रोजगार सृजन में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी 30.02 प्रतिशत रही। शिक्षण क्षेत्र में 31.54 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

अध्ययन में कहा गया है कि कुल रोजगार सृजन में बैंकिंग की 5.38 प्रतिशत, वित्तीय क्षेत्र की 4.83 प्रतिशत और बीमा क्षेत्र की 3.65 प्रतिशत हिस्सेदारी रही। रोजगार सृजन में बैंकिंग में 20.51 प्रतिशत, वित्तीय क्षेत्र में 2.92 प्रतिशत और बीमा 37.41 प्रतिशत दर्ज की गई।

रोजगार के बाजार में विज्ञापन एवं आयोजन प्रबंधन की 3.69 प्रतिशत और दूरसंचार की 3.15 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। इन दोनों क्षेत्रों में रोजगार सृजन में क्रमशः 115.03 प्रतिशत और 27.61 फीसदी की वृद्धि हुई है।

अध्ययन में कुल 56 शहर शामिल किए गए। रोजगार सृजन में प्रथम श्रेणी के छह शहरों की हिस्सेदारी 73.47 प्रतिशत, द्वितीय श्रेणी के 17 शहरों की हिस्सेदारी 18.83 प्रतिशत, जबकि तृतीय श्रेणी के 33 शहरों की हिस्सेदारी 7.7 प्रतिशत रही।

अप्रैल से अक्टूबर तक की अवधि में कुल रोजगार सृजन में दिल्ली और एनसीआर की हिस्सेदारी 34.06 प्रतिशत और मुंबई की हिस्सेदारी 13.48 प्रतिशत रही। हालाँकि पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में रोजगार सृजन में दिल्ली और एनसीआर में 23.42 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि मुंबई मे 3.28 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

रोजगार सृजन में द्वितीय श्रेणी के शहरों में शामिल पुणे की हिस्सेदारी 5.46 प्रतिशत और अहमदाबाद की हिस्सेदारी 5.01 प्रतिशत रही। रोजगार सृजन में वृद्धि दर पुणे में 6.25 प्रतिशत और अहमदाबाद में 21.50 प्रतिशत दर्ज की गई।

रोजगार सृजन में तृतीय श्रेणी के शहरों में शामिल वडोदरा की हिस्सेदारी 1.02 प्रतिशत, पुड्डूचेरी की 0.58 प्रतिशत और अंकलेश्वर की 0.56 प्रतिशत रही। रोजगार सृजन में वृद्धि दर वडोदरा में 1.31 प्रतिशत और अंकलेश्वर में 14.55 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि पुड्डूचेरी में 27.18 प्रतिशत की गिरावट आई।

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