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पेट्रोलियम कीमतों ने महँगाई को दी हवा

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नई दिल्ली , गुरुवार, 6 मई 2010 (15:07 IST)
आवश्यक खाद्य उत्पादों की कीमतों में लगातार तेजी और बजट के बाद पेट्रोलियम कीमतों में वृद्धि के कारण सामान्य मुद्रास्फीति फरवरी में 9.89 फीसदी पर पहुँच गई जो 16 माह में महँगाई की उच्चतम दर है।

सभी वस्तु वर्गों के थोकमूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति में फरवरी में 1.34 फीसदी का उछाल आया है। जनवरी में सामान्य मुद्रास्फीति 8.56 फीसदी थी।

केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) के प्रमुख प्रणव सेन ने कहा कि अब मार्च का मुद्रास्फीति का आँकड़ा दहाई अंक में पहुँच जाएगा। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी पिछली तैमासिक नीतिगत समीक्षा में कहा था कि मार्च तक मुद्रास्फीति 8.5 फीसदी के स्तर पर होगी। जनवरी में ही महँगाई दर ने इस अनुमान को पार कर लिया।

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी कहा था कि बजट में उत्पाद शुल्क में दो फीसदी की बढ़ोतरी से थोकमूल्य आधारित मुद्रास्फीति में सिर्फ 0.41 फीसदी बढ़ोतरी होगी।

सालाना स्तर पर खाद्य पदार्थ में चीनी, दाल और आलू की कीमत में क्रमश (55 फीसदी), 36 फीसदी और 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।

बजट में कच्च तेल पर आयात शुल्क और पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने से पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ गए हैं। ईंधन वर्ग का मूल्य सूचकांक आलोच्य माह में करीब 10 फीसदी बढ़ गया। इसका मुख्य कारण पेट्रोल और डीजल के दाम में बढ़ोतरी है। पेट्रोल 11.73 फीसदी महँगा हुआ है जबकि डीजल की कीमत 8.85 फीसदी बढ़ी है।

विश्लेषकों का मानना है कि मुद्रास्फीति के दबाव में आरबीआई अप्रैल में में नीतिगत ब्याज दरें बढ़ा सकता है। (भाषा)

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