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बीमार इकाइयों की हिस्सेदारी बेचें-मोंटेक

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नई दिल्ली , रविवार, 11 अप्रैल 2010 (08:54 IST)
योजना आयोग ने कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र की बीमार इकाइयों को उबारने के लिए उनकी प्रबंधकीय हिस्सेदारी बेची जाना चाहिए, ताकि उन्हें खस्ताहली से उबारा जा सके।

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेकसिंह अहलूवालिया ने यहाँ कहा कि हम हमेशा से कहते रहे हैं कि इन इकाइयों के बार-बार पुनर्गठन की बजाय इनकी प्रबंधकीय हिस्सेदारी बेची जाना चाहिए।

उन्होंने कहा ये कंपनियाँ ज्यादातर समय यह कहती हैं कि आप हमें उबरने में मदद कर दें तो आपको ज्यादा पैसा मिलेगा। यदि आप रणनीतिक बिक्री नहीं करते हैं, तो आप यह कैसे सोच सकते हैं कि ये कंपनियाँ उबर जाएँगी। इस वजह से निर्णय लेने में विलंब होता है।

इससे पहले 2008-09 के आर्थिक सर्वेक्षण ने कहा था कि सभी घाटा उठाने वाले सार्वजनिक उपक्रमों को यदि उबारा नहीं जा सकता है तो उनकी नीलामी कर दी जानी चाहिए।

फिलहाल हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन, इंडियन ड्रग्स एंड फार्मास्युटिकल्स लि. और नगालैंड पल्प एंड पेपर जैसी करीब 20 सार्वजनिक इकाइयाँ बीमार हैं।

अहलूवालिया ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को आंतरिक स्रोतों से संसाधन जुटाने चाहिए, जिससे सरकार कल्याणकारी योजनाओं पर ज्यादा खर्च कर सके।

केंद्र पिछले तीन वर्ष में खस्ताहाल 36 सार्वजनिक उपक्रमों को खड़ा करने के लिए 15,254 करोड़ रुपए मंजूर कर चुकी है। इसमें से 4,877 करोड़ रुपए 14 कंपनियों को दिए गए हैं। इनमें से कुछ कंपनियाँ फायदे में आ गई हैं।

2007-08 से फायदे में आई कंपनियों में भारत पंप एंड कंप्रेसर, सीमेंट कॉर्पोरेशन, हैवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन और एड्रू यूल शामिल हैं। (भाषा)

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