भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि अगले वित्त वर्ष में यदि सरकारी उधारी बजट अनुमानों के ही भीतर ही रहती है तो इसकी व्यवस्था करना उसके लिए कोई बड़ी चुनौती नहीं होगी।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने यहाँ कहा कि हमें सरकारी उधारी कोई बड़ी चुनौती नजर नहीं आती, लेकिन यदि निजी क्षेत्र की माँग और सरकारी उधारी उम्मीद से ज्यादा होती है और दूसरी तरफ पूँजी प्रवाह उम्मीद से कम रहता है तो जोखिम बढ़ सकता है, इस पर हमें नजर रखना होगी।
वित्त वर्ष 2010-11 के बजट में इस वर्ष के चार लाख 51 हजार करोड़ रुपए की तुलना में चार लाख 57 हजार करोड़ रुपए की सरकारी उधारी का अनुमान है। हालाँकि इसमें से अगले वित्त वर्ष में शुद्ध उधारी 3,45,000 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है।
गोकर्ण ने कहा कि आर्थिक सुधार अब ज्यादा टिकाउ और व्यापक स्तर पर हो रहे हैं। तरलता की संतोषजनक स्थिति के चलते केंद्रीय बैंक सरकार के उधारी कार्यक्रम का प्रबंधन आसानी से कर लेगी। (भाषा)