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कर्नल सीके नायडू का था सख्त अनुशासन

(31 अक्टूबर को सीके नायडू की 114 वीं जयंती पर विशेष)

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हमें फॉलो करें कर्नल सीके नायडू़
इंदौर (भाषा) , शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2009 (18:16 IST)
क्रिकेट में गलाकाट प्रतिस्पर्धा के मौजूदा दौर में क्या किसी स्टार खिलाड़ी को सिर्फ इस ‘खता’ के चलते टीम से बाहर करने का जोखिम उठाया जा सकता है कि उसने कप्तान के आदेश के खिलाफ मैदान पर गला तर कर लिया हो, शायद नहीं।

लेकिन भारत के पहले टेस्ट कप्तान सीके नायडू ने अपने सख्त अनुशासन के चलते ऐसा किया था और ‘अनुशासहीनता’ को लेकर गाज गिरी थी तत्कालीन होलकर टीम के मजबूत स्तंभ चंदू सरवटे पर।

दरअसल, होलकर टीम के कप्तान नायडू का कठोर आदेश था कि टीम का कोई भी सदस्य मैच के दौरान मैदान पर पानी का एक घूँट तक नहीं पी सकता था।

दाएँ हाथ के बल्लेबाज सरवटे ने इस आदेश का उल्लंघन करते हुए एक मैच में पानी पी लिया था। मैच खत्म होने पर उन्होंने यह समझते हुए राहत की साँस ली थी कि कप्तान इस बात से अनजान हैं।

लेकिन यह अंदाजा तब गलत साबित हुआ, जब अगले मैच के लिए घोषित होलकर टीम में सरवटे सरीखे स्टार खिलाड़ी को जगह नहीं दी गई थी। कप्तान नायडू ने सरवटे को उनकी ‘अनुशासनहीनता’ की सजा दे दी थी।

भारत के पहले टेस्ट कप्तान को याद करते हुए उनकी बेटी चंद्रा नायडू ने यह किस्सा बताया, जो उन्हें होलकर टीम के सदस्य रहे खांडू रांगणेकर ने सुनाया था।

अपने पिता को ‘भारतीय क्रिकेट का लौहपुरुष’ बताते हुए चंद्रा कहती हैं, ‘कसी हुई कद-काठी वाले नाना (नायडू) अनुशासन के पक्के थे। इसी अनुशासन की वजह से वह 62 वर्ष की उम्र तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलते रहे थे और उन्होंने जब अपना अंतिम क्रिकेट मैच खेला, तब वह 68 बरस के थे।

31 अक्टूबर 1895 को नागपुर में जन्मे नायडू ने भारत की ओर से कुल सात टेस्ट मैच खेले। उन्होंने इन मैचों में दो अर्धशतकों की मदद से 350 रन बनाए और नौ विकेट भी लिए।

भारतीय क्रिकेट के इस महान आलराउंडर ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 207 मैचों में 35.94 के औसत से 11,825 रन बनाए और 411 विकेट चटकाए। नायडू ने 14 नवंबर 1967 को इंदौर में आखिरी साँस ली थी।

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