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'चोकर' से पीछा नहीं छुड़ा सका अफ्रीका

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लंदन (भाषा) , शनिवार, 20 जून 2009 (10:14 IST)
कप्तान ग्रीम स्मिथ भले ही दक्षिण अफ्रीका को 'चोकर' मानने से इनकार करें, लेकिन टीम बार-बार इसका सबूत देती रहती है कि उस पर बिना किसी कारण के यह ठप्पा नहीं लगा। 'चोकर' यानी ऐसी टीम जो अहम मौकों पर दबाव में बिखर जाए और घुटने टेक दे।

स्मिथ ने स्वीकार किया कि टी-20 विश्व कप के पहले सेमीफाइनल में कल पाकिस्तान के हाथों शिकस्त के बाद उनकी टीम टूट गई है। विश्व कप 1996, 1999, 2003 और 2007 हो या चैम्पियन्स ट्रॉफी और अब लगातार दो टी-20 विश्व कप, दक्षिण अफ्रीका को निराशा का ही सामना करना पड़ा।

इसके अलावा भी मौके आए जब दक्षिण अफ्रीका ने चोकर होने का सबूत दिया। टीम 2000 में आईसीसी नाकआउट ट्रॉफी के सेमीफाइनल में हार गई। दो साल बाद बेहतर स्थिति में होने के बाद उसने सेमीफाइनल मैच भारत को गँवा दिया और इसके बाद 2006 में भी सेमीफाइनल से बाहर हो गई।

दक्षिण अफ्रीका ने इंग्लैंड के पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी और खेल मनोचिकित्सक जेरेमी स्नेप को टीम को इसी संकट से उबारने के लिए दो साल पहले सहायक स्टाफ में शामिल किया।

दक्षिण अफ्रीका ने पर्थ में जब 400 रन से अधिक के लक्ष्य को हासिल करके ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट श्रृंखला जीती तो लगा कि स्नेप अपनी भूमिका निभाने में सफल रहे हैं लेकिन कल की हार से एक बार फिर साबित हो गया कि 'चोकर' के ठप्पे ने अभी टीम का पीछा नहीं छोड़ा है।

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