पूर्व कप्तान रिची बेनो, बिल लॉरी और मार्क टेलर ने रिकी पोंटिंग का समर्थन करते हुए कहा कि लोगों को धैर्य बरतने की जरूरत है, क्योंकि मौजूदा ऑस्ट्रेलियाई टीम बदलाव के दौर से गुजर रही है।
सनद रहे कि ऑस्ट्रेलियाई टीम अपने ही घर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ लगातार दूसरा टेस्ट हारकर तीन टेस्ट मैचों की सिरीज भी 2-0 से हार गई है। दूसरे टेस्ट मैच में दक्षिण अफ्रीका ने ऑस्ट्रेलिया को नौ विकेट से रौंद दिया।
बेनो, लॉरी और टेलर को लगता है कि लोगों को पोंटिंग की आलोचना नहीं करना चाहिए जो शेन वॉर्न और ग्लेन मैग्राथ जैसे दिग्गज खिलाड़ियों के संन्यास लेने के बाद उबरने की कोशिश में जुटे हैं।
बेनो ने कहा कि पिछले 15 महीने में नौ खिलाड़ी संन्यास ले चुके हैं, जिसमें से तीन क्रिकेट के महान क्रिकेटर थे। बेनो ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया को 1963-64 में इसी तरह के संकट का सामना करना पड़ा था, जब उन्होंने नील हार्वे, एलन डेविडसन और केन स्लैशर मैके ने एक साथ क्रिकेट को अलविदा कहा था। इसके बाद बॉब सिम्पसन ने नई टीम बनाई थी।
बेनो ने कहा कि यह उनके (बॉब सिम्पसन) लिए काफी मुश्किल था। इसी तरह से अब पोंटिंग के लिए यह कठिन है क्योंकि उनके पास मुख्य गेंदबाज मौजूद नहीं हैं।
उन्होंने हेराल्ड सन से कहा कि 1983-84 में ग्रेग चैपल डेनिस लिली और रोडनीड मार्श ने एक साथ संन्यास लिया था। इससे ऑस्ट्रेलियाई टीम में काफी खालीपन आ गया था। अब भी ऐसा ही हो रहा है। अब कई अनुभवी खिलाड़ियों जैसे शेन वॉर्न, ग्लेन मैग्राथ और एडम गिलक्रिस्ट ने क्रिकेट को अलविदा कहा है।
बेनो ने कहा कि पोंटिंग को इस वक्त मैच विजेता गेंदबाजों मैग्राथ और वॉर्न की गैरमौजूदगी वाली टीम की अगुवाई करना पड़ रही है। उन्होंने कहा कि दो महत्वपूर्ण गेंदबाजों के अचानक संन्यास ले लेने के बाद कप्तान के लिए स्थितियाँ आसान नहीं होतीं क्योंकि तब उसे अपेक्षाकृत नए और अनुभवहीन गेंदबाजों पर निर्भर होना पड़ता है। लोगों को यह बात समझते हुए धैर्य से काम लेना चाहिए।
बेनो की तरह लॉरी का भी मानना है कि पोंटिंग को मौजूदा संकट से निपटने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए। लॉरी ने कहा कि भारत में जीतना कभी आसान नहीं रहा और आखिरकार हम हार गए, लेकिन उसके फौरन बाद ऑस्ट्रेलिया पर आलोचना की बारिश शुरू कर दी गई।
पोंटिंग संक्रमण से गुजर रही ऑस्ट्रेलियाई टीम का नेतृत्व कर रहे हैं, लिहाजा लोगों को हालात को समझते हुए धैर्य से काम लेना चाहिए। टेलर का भी मानना है कि टीम की विफलता का दोष सिर्फ कप्तान पर ही मढ़ना ठीक नहीं है।