आंग्ल खेल पत्रकारिता में विशिष्ट स्थान रखने वाले 'द हिन्दू' के खेल संपादक (दिल्ली) विजय लोकपल्ली का मानना है कि इंडियन प्रीमियर लीग के जरिए नोटों की जो बारिश हुई है, उसके कारण भारतीय क्रिकेटरों में गुरूर आ गया है और यही कारण है कि पहले की तुलना में अब अनुशासनहीनता अधिक देखने को मिल रही है।
'वेबदुनिया' से एक विशेष मुलाकात में उन्होंने कहा कि विदेशी क्रिकेटरों ने भारतीय जमीन पर अच्छा प्रदर्शन किया और पैसा भी खूब बटोरा, सिवाय रिकी पोंटिंग के, लेकिन कुछ भारतीय क्रिकेटरों में इस पैसे से ऐसी गर्मी बढ़ गई कि उनका दिमाग सातवें आसमान पर पहुँच गया। हरभजन और श्रीसंथ का चाँटा कांड इसी का ताजा उदाहरण है।
लोकपल्ली ने कहा कि क्रिकेट में पहले ही ग्लेमर था, लेकिन अब बॉलीवुड सितारों ने इसमें प्रवेश करके और बढ़ा दिया है। मैं नहीं समझता कि यह क्रिकेट के हित में है। जहाँ तक ट्वेंटी-20 क्रिकेट का सवाल है तो यह कभी भी टेस्ट क्रिकेट की जगह नहीं ले सकता। इसका बुखार जितनी तेजी से चढ़ा है, उसे उतरते भी देर नहीं लगेगी। यह भी संभव है कि भविष्य में हमें 10-10 ओवरों के क्रिकेट मैच देखने को मिलें।
वीरेन्द्र सहवाग के बारे में वरिष्ठ पत्रकार लोकपल्ली की राय थी कि उन्होंने कभी भी अपनी तकनीक के साथ समझौता नहीं किया। जैसा वे टेस्ट क्रिकेट में खेलते हैं, उसी प्रकार की बल्लेबाजी हमें वनडे के साथ-साथ ट्वेंटी-20 में देखने को मिल रही है। आईपीएल की पसंदीदा टीमों में लोकपल्ली की फेवरेट टीमों में दिल्ली का भी शुमार है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली को पहले चरण के शेष चार मैच अपने ही घर में खेलने हैं और वह भी अपने से कमजोर टीमों के खिलाफ, लिहाजा दिल्ली को सेमीफाइनल में पहुँचने में कोई कठिनाई नहीं आनी चाहिए।
उन्होंने खेलों की रिपोर्टिंग करने वालों से आग्रह किया कि वे क्रिकेट के साथ-साथ अन्य खेलों को भी अपने अखबार और वेबसाइट्स पर स्थान दें। यह जरूर है कि भारत का हॉकी, फुटबॉल और अन्य खेलों में स्तर काफी नीचे है लेकिन जब तक हम इनके खिलाड़ियों को समुचित प्रोत्साहन नहीं देंगे, तब तक इन खेलों का उद्धार नहीं होने वाला है।
लोकपल्ली के अनुसार खेल पत्रकारों को अपनी रिपोर्टिंग कुछ हटकर करनी चाहिए, तभी वे अपनी पहचान बना सकेंगे। उन्होंने इस बात पर दु:ख जाहिर किया कि हम उन खिलाड़ियों की उपेक्षा करते हैं, जब वे घरेलू क्रिकेट में खेल रहे होते हैं लेकिन जब आईपीएल में वे खेलते हैं तो हम उन्हें हीरो बना देते हैं।
कुछ समय पहले डेनिस लिली और वसीम अकरम ने ट्वेंटी-20 क्रिकेट के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा कि यह 'पायजामा क्रिकेट' है और इसके जरिये प्रतिभा का सही आकलन नहीं किया जा सकता। लोकपल्ली ने पूर्व क्रिकेटरों के इस बयान से अपनी सहमति जताई।
विद्युत शिवरामाकृष्णन, मनप्रीत गोनी, बद्रीनाथ जैसे युवा खिलाड़ी आईपीएल की देन नहीं हैं बल्कि वे पहले से ही अच्छा खेल रहे हैं। तब हमने उन्हें कवरेज नहीं दिया, जबकि होना यह चाहिए कि ऐसी प्रतिभाओं को हमें उसी समय सबके सामने लाना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि ट्वेंटी-20 क्रिकेट स्किल का गेम नहीं है। वरना मैग्राथ जैसे सितारे गेंदबाज यह नहीं कहते कि मुझसे 4 ओवर से ज्यादा मत फिंकवाना। उन्होंने इस बात से भी इनकार किया कि टीवी पर आने वाले अत्यधिक क्रिकेट की वजह से प्रिंट मीडिया को खतरा है। लोकपल्ली ने यह जरूर स्वीकार किया कि अब अखबारों ने ही पत्रिकाओं का स्थान ले लिया है और खेल पत्रिकाओं की प्रसार संख्या पर इसका असर पड़ा है।
अपने अच्छे अनुभव के बारे में कहा कि जब 1999 में मैं इंग्लैंड में था, तब ऑस्ट्रेलिया और द.अफ्रीका के बीच मैच टाई हो गया था। तब मुझे पाँच मिनट के भीतर अपनी रिपोर्ट फाइल करनी थी और लेपटॉप के जरिये यह मैं कर सका, जबकि भारत को 2003 के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों हारता देखना सबसे बुरा अनुभव रहा।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारतीय महिला क्रिकेट को विकसित होने की अभी काफी जरूरत है।