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भारत की नजरें अब टेस्ट श्रृंखला पर

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हैमिल्टन (भाषा) , मंगलवार, 17 मार्च 2009 (20:48 IST)
न्यूजीलैंड में एक दिवसीय श्रृंखला में पहली जीत दर्ज करने के बाद भारतीय टीम कल पहले क्रिकेट टेस्ट में उतरेगी तो उसका इरादा 41 साल से यहां टेस्ट श्रृंखला नहीं जीत पाने का कलंक भी धोने का होगा।

ऑकलैंड में आखिरी मैच को छोड़कर पाँच एक दिवसीय मैचों की श्रृंखला में भारत का ही दबदबा रहा। टीम इंडिया अब टेस्ट श्रृंखला में भी उसी स्तर को बरकरार रखने के इरादे से खेलेगी। भारत ने आखिरी बार यहाँ 1967-68 में मंसूर अली खान पटौदी की अगुआई में टेस्ट श्रृंखला जीती थी और अब धोनी एंड कंपनी की हसरत इतने बरस के इंतजार को खत्म करने की है।

धोनी ने हालाँकि वनडे श्रृंखला जीतने के बाद कहा था कि टीम को नये सिरे से शुरुआत करनी होगी और टेस्ट श्रृंखला में लगातार अच्छा खेलने की जरूरत है। धोनी ने कहा हमें फिर सिफर से शुरू करना होगा। टेस्ट क्रिकेट में पाँच दिन तक अच्छा खेलना होता है। यह एक या दो सत्र जीतने की बात नहीं है।

मेजबान कप्तान डेनियल विटोरी ने स्वीकार किया कि भारत ने वनडे श्रृंखला में उन्हें पूरी तरह उन्नीस साबित कर दिया, लेकिन यह भी कहा कि आखिरी वनडे जीतने से उनकी टीम का मनोबल लौटा है। विटोरी ने कहा जीत के साथ श्रृंखला खत्म करना हमारे लिए अच्छा रहा, लेकिन हमें पता है कि वनडे श्रृंखला में हम अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर सके।

उन्होंने कहा सचिन तेंडुलकर, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण की मौजूदगी में भारतीय टेस्ट टीम की चुनौती का सामना करना मुश्किल होगा, लेकिन आखिरी मैच में जीत से हमारे हौसले बढे़ हैं। सेडन पार्क की पिच हरी भरी और उछालभरी है, जिससे गेंदबाजों को मदद मिल सकती है। ऐसे में न्यूजीलैंड का भरोसा अपने तेज गेंदबाजों पर होगा, हालाँकि उनका काम इतना आसान भी नहीं है।

भारतीय टीम ने 2002-03 के दौरे पर यहाँ बेहद निराशाजनक प्रदर्शन किया था और उसका सर्वोच्च स्कोर 219 रन रहा, लेकिन तब से हालात बहुत बदल चुके हैं। तेंडुलकर, द्रविड़, वीरेंद्र सहवाग और लक्ष्मण में कीवी आक्रमण का माकूल जवाब देने की कूवत है।

सहवाग ने कीवी गेंदबाजों की बखिया उधेड़ने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी है। दिल्ली के उनके जोड़ीदार गौतम गंभीर भी फॉर्म में है और दोनों चल निकले तो मेजबान टीम के लिए काफी मुश्किल हो सकती है। इन दोनों के अलावा तेंडुलकर, द्रविड़ और लक्ष्मण मध्यक्रम की रीढ़ हैं, जो कुल मिलाकर 30000 रन बना चुके हैं।

युवराजसिंह भी लय हासिल करने की तलाश में हैं। कप्तान महेंद्रसिंह धोनी बल्लेबाज के तौर पर परिपक्व हो चुके हैं, जो हालात के मुताबिक बल्लेबाजी करने का फन जानते हैं। गेंदबाजी में भी भारत का पलड़ा भारी है। इस समय जहीर खान और ईशांत शर्मा नई गेंद को संभालने वाली दुनिया की सर्वश्रेष्ठ जोड़ी है। लक्ष्मीपति बालाजी भी अपनी उपयोगिता साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे और हरभजनसिंह मेजबान बल्लेबाजों को परेशान करने के हरसंभव उपाय करेंगे।

दूसरी ओर न्यूजीलैंड की सबसे बड़ी समस्या उसके बल्लेबाजों की अनुभवहीनता है। रोस टेलर (14), जेस्सी राइडर (6), डेनियल फ्लिन (9), टिम मैकिंतोष (2) और ब्रेंडन मैक्कुलम (41) ने मिलकर 72 टेस्ट खेले हैं जबकि तेंडुलकर अकेले की 156 टेस्ट खेल चुके हैं।

न्यूजीलैंड के पास स्विंग गेंदबाजी के माहिर जेम्स फ्रेंकलिन हैं। काइल मिल्स भी बल्लेबाजों को परेशान कर सकते हैं जबकि लेन ओ ब्रायन क्रिस मार्टिन या ब्रेंट अर्नेल की गेंदों में भी कम धार नहीं होती। डेनियल विटोरी अपनी फिरकी के पाश में भारतीय बल्लेबाजों को बांधने की कला बखूबी जानते हैं।

टीमें : भारत - महेंद्रसिंह धोनी (कप्तान), वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, राहुल द्रविड़, सचिन तेंडुलकर, युवराजसिंह, वीवीएस लक्ष्मण, हरभजनसिंह, जहीर खान, ईशांत शर्मा, लक्ष्मीपति बालाजी, मुनाफ पटेल और अमित मिश्रा।

न्यूजीलैंड - डेनियल विटोरी (कप्तान), मार्टिन गुप्टिल, टिम मैकलिनतोष, डेनियल फ्लिन, रोस टेलर, जेस्सी राइडर, ब्रेंडन मैक्कुलम, जेम्स फ्रेंकलिन, काइल मिल्स, क्रिस मार्टिन, लेन ओ ब्रायन, ब्रेंट अर्नेल, जीतन पटेल।

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